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दबंग जामत्यों विारा उनके ऊपर हो रहे अत्याचारों को दुमन्या के सामने ला रहे हैं , जो सामाजिक व्यवसथा में निचले िगयं का अभी भी दमन कर रहे हैं । तकनीक की अचछी समझ रखने वाले दलित ्युवा , अपनी नई हासिल हुई और हाथ में आई ताकत का इसतेमाल करके , दूर-दराज़ के गांवों से भी कानून व्यवसथा के अंतर्गत आने वाली नौकरशाही को सूचित कर रहे हैं । लेकिन वा्यरल करना भी बहुत महतिपूर्ण है । अशोक मेघवाल के मामले में भी पुलिस जांच में तेज़ी तभी आई जब वीमड्यो के हज़ारों बार देखे जाने के बाद डीजीपी मोहन लाठर ने दखल मद्या । अपने गांव में हुई इस भ्यानक घटना के बाद अशोक मेघवाल और दो अन्य चशमदीद कई घंटे तक पुलिस के साथ सर्किल ऑफिसर ( सीओ ) रिामीण के कक् में बैठे । अमभ्युकतों की शिनाख़त के लिए उनहोंने वीमड्यो को रोक- रोककर कई बार देखा । वीमड्यो में पुरुष महिलाओं को डंडों और ईंटो से मार रहे थे जबकि उसकी मां हाथ जोडकर उनसे रहम की भीख मांग रही थी और उसके सर से खून बह
रहा था । पहली पीढी का पढा हुआ अशोक- जिसके पास बीए , बीएड और एमए की मडमरि्यां हैं , घबरा्या हुआ नहीं था । उसके पास वो सारे सबूत थे जो उसे चाहिए थे- पूरे तीन मिनट के ।
कानून और नई सामाजिक व्यवस्ा
पुलिस और प्शासनिक अधिकारी इस नए तथ्य को समझने की कोशिश कर रहे हैं । अब घटना की जांच कर रहे अतिरिकत एसपी देवेंदर कुमार शर्मा ने कहा , ‘ आजकल हर आदमी के पास फोन और मोटरसाइकल है । लेकिन हर वीमड्यो सही नहीं होता । इसका इसतेमाल अकसर दूसरे समुदा्य को भडकाने के लिए मक्या जाता है ।’ एक अन्य पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि समाज का हर तबका नौकरर्यां पा रहा है , उसे एक अचछी जीवन शैली और सममामनत जीवन मिल रहा है , इसलिए राजसथान में समद्यों से चली आ रही सामंती व्यवसथा बाधित हो रही है । तकनीक सबको बराबर कर देती है । उनहोंने कहा , ‘ वा्यरल हो रहे वीमड्यो इसी टकराव का नतीजा हैं ।’ पाली मज़ला ममजसट्रेट अंश दीप का कहना है कि दलितों पर अत्याचार के मामले में अगर चशमदीद गवाह मुकर जाते हैं , तो वीमड्यो एक ठोस सबूत बन जाता है ।
जातियों के हाथ में सेल फोन का हथियार
मोबाइल फोन वीमड्योज़ का इसतेमाल न सिर्फ दलित , बसलक ताकतवर राजपूत रिामीण भी कर रहे हैं । लेकिन इनका मकसद बिलकुल अलग है । अशोक मेघवाल की घटना के बाद , एक और वीमड्यो वा्यरल हो ग्या । पाली से कोई 300 किलोमीटर दूर , एक सीमाितटी गांव गिराब में , कुछ ्युवा राजपूत लडके एक मेघवाल कमब्सतान गए । वो कूदकर मृतकों के ऊपर ्ढ गए , लाशों के कपडे उतार दिए और कब्ों के अंदर जानवरों की हड्डियां रख दी । एक राजपूत लडके को इस पूरे काम को रिकॉर्ड करने का ‘ जिममा ’ सौंपा ग्या । अगले दिन लडकों ने इन वीमड्योज़ को अपने वहा्सएप सटेटस में लगा
मल्या और उनहें मेघवाल समुदा्य के कुछ लोगों को भी भेज मद्या । 31 वर्षीय दामू राम जिसे वो वीमड्यो सबसे पहले मिला , बहुत नाराज़ हो ग्या चूंकि उसके अपने दादा और परदादा वहीं पर दफ्न थे । राम ने कहा , ‘ जब मैंने उनहें मुदषों को पीटते हुए देखा , तो उस वीमड्यो को अपने समुदा्य के सदस्यों को भेज मद्या ।’ कुछ दलितों ने उसे फेसबुक और ट्िटर पर अपलोड कर मद्या और राजसथान के मुख्यमंत्ी अशोक गहलोत , राज्य के डीजीपी , और एससी-एसटी आ्योग को टैग कर मद्या । पुलिस अधीक्क ने फिर उसका संज्ान मल्या , एक एफआईआर दर्ज की और कुछ गिरफतारर्यां कीं । पाली से 40 वर्षीय दलित का्य्णकर्ता प्हलाद राम ने कहा , ‘ जातिवाद हमने पहले भी देखा था लेकिन ऐसा पहली बार है कि हमें अपमानित करने की कोशिश में उनहोंने मुदषों तक को नहीं छोडा है ।’ दलितों के हाथ में आई ताकत
पाली के एसपी ऑफिस में बेचैन सा दिख रहा अशोक , प्ोफेसर और लेखक दिलिप मंडल तथा आंबेडकरवादी पत्कार सुमित चौहान के ट्िटर प्ोफाइलस खंगाल रहा है और बीच-बीच में एक अखबार का एप और वहा्सएप रिुपस देखने लगता है । राष्ट्रीय सुमख्ण्यों में आने के बाद राज्य के डीजीपी ने उसका केस अतिरिकत एसपी देवेंदर कुमार शर्मा के हवाले कर मद्या । अशोक हिंदी अखबारों में जोधपुर तथा पाली में , दलितों पर हो रहे अत्याचार पर नज़र रखता है । उसका इंसटारिाम अकाउंट भी है लेकिन वो उसे बहुत कम इसतेमाल करता है । उसने बता्या , ‘ उस दिन मुझे ट्िटर की ताकत का अहसास हुआ । पहले मैं वहा्सएप और फेसबुक पर सम्य बिता्या करता था । उस दिन मैंने उसे फेसबुक ्या वहा्सएप पर अपलोड नहीं मक्या । मैंने ट्िटर इसतेमाल मक्या । अगर ्ये ्िीट न होता तो मेरा केस दर्ज भी न मक्या जाता ।’ मेघवाल वीमड्यो को वा्यरल नहीं कर सकता था , अगर उसे दलित सोशल मीमड्या इनफलुएंसर्स की सहा्यता न मिलती ।
iQjojh 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 31