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केंद्र में ला्या ग्या है । बहुजन समाज पाटटी का गठन करने वाले सिगटी्य कांशी राम भी रामदमस्या समुदा्य से ही आते थे । वह पंजाब के रूपनगर जिले से थे , जो मालवा क्ेत् का एक हिससा है । पंजाब के डेरों में डेरा सचखंड साहिब बालन रविदामस्यों का डेरा कहा जाता है । डेरा सच खंड की सथापना 70 साल पहले संत पीपल दास ने की थी । जिनके करीब 15 लाख अनु्या्यी हैं । रविदामस्या समाज की वजह से ही पंजाब में बडे सतर पर दलित आंदोलन चला । और समाज में छछुआछूत और भेदभाव को खतम करने का आंदोलन चला्या ग्या । डेरे के लाखों अनु्या्यी हैं क्योंकि ्यह दोआबा क्ेत् में ससथत है जहां दलित आबादी 40 % तक है । हर साल , डेरा मंदिरों के शहर वाराणसी में तीथ्ण्यात्ा का आ्योजन करता है जिसमें गुरु रविदास की ज्यंती की पूर्व संध्या पर हजारों अनु्या्यी भाग लेते हैं । चूंकि इस साल 16 फरवरी को ज्यंती है , इसलिए इस संप्दा्य के अनु्या्यी 14 फरवरी को मतदान की तारीख के रूप में सहज नहीं
थे । मुख्यमंत्ी चरणजीत सिंह चन्नी के अनुसार , 10 से 16 फरवरी के बीच लगभग 20 लाख अनु्याम्य्यों के वाराणसी आने की उममीद है । ऐसे में वे मतदान की तारीख को सथमगत करने की मांग कर रहे थे ताकि वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें । इस समुदा्य के प्भाव के कारण ही पंजाब में मतदान की तारीख में बदलाव कर इसे 20 फरवरी तक के लिए टाल दी गई । दलितों पर टिकी हैं सबकी आर्ाएं
इस बार भाजपा से अलग होकर चुनाव लड रहे शिरोमणि अकाली दल ( बादल गुट ) ने बसपा के साथ गठबंधन मक्या है । साथ ही उसने वादा मक्या है कि अगर उसके गठबंधन की सरकार बनी तो डिपटी सीएम दलित होगा । लेकिन कांरिेस ने पहले ही दलित सीएम बनाकर , उसके दांव को कमजोर कर मद्या है । वैसे भी 2017 के चुनाव में कांरिेस को 41 % दलित वोट मिले थे , जिसमें 43 % दलित हिंदू
वोट शामिल थे । दोआबा क्ेत् में कुल 22 विधानसभा क्ेत् हैं , जिनमें से 2017 में कांरिेस ने 15 सीटें जीती थी । अब चन्नी के सीएम बनने के बाद पाटटी इस बार दलित वोटों के बढने की उममीद कर रही है । पिछले साल पंजाब कांरिेस में जब ततकालीन मुख्यमंत्ी कैपटन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच कुसटी के लिए खींचतान चल रही थी । उस वकत कांरिेस ने दलित वोटरों को लुभाने के लिए बडा दांव चला था । और दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्ी के पद पर बैठा्या । साफ है कि कांरिेस चन्नी के जरिए 32 फीसदी दलित वोट पर नजर गडाए हुए हैं । पाटटी को पिछले चुनावों में दलित प्भाव वाले मांझा और दोआब क्ेत् से अचछी खासी सीटें मिली थी । मांझा से कांरिेस को 25 में से 22 सीटें और दोआब से 22 में से 15 सीटें मिलीं थीं । अकाली और कांरिेस के अलावा आम आदमी पाटटी की आशाएं भी दलितों के समर्थन पर टिकी हैंं ्यही वजह है कि आम आदमी पाटटी ने भी प्दे्या में अनुसूचित जाति सममान सभा की शुरूआत की है । साथ ही पाटटी दलितों को लुभाने के लिए मुफत शिक्ा , सिासर्य , छात्िृत्ति का वादा कर रही है ।
पंजाब : दलित राजनीति की प्रयोगर्ाला
बहुजन समाज पाटटी के संसथापक कांशीराम पंजाब के होमश्यारपुर जिले के रहने वाले थे । उनहोंने पंजाब से ही अपनी दलित राजनीति शुरू की थी । लेकिन 32 फीसदी आबादी वाले दलित राज्य में बसपा , ्यूपी जैसा मुकाम नहीं बना पाई । पाटटी को 2017 के चुनावों में केवल 1.5 फीसदी वोट मिले थे । इसके पहले वह 1997 में अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड चुकी थी , उस वकत उसे 7.5 फीसदी वोट मिले थे । इसकी बडी वजह ्यह रही है कि राज्य में दलित समाज भी मजहबी सिख , रविदामस्या समाज , वि — धमटी और वासलमकी में बंटा हुआ है । अब देखना है कि 2022 के इस चुनाव में दलित मतदाता किस तरह वोट देता है । �
28 दलित आं दोलन पत्रिका iQjojh 2022