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सिंगल बेस नहीं है और ्यहां पर 31.9 % आबादी होने के बावजूद 39 अलग-अलग समुदा्यों में विभाजित हैं । मजहबी सिख , दलितों में सबसे अधिक 26.33 प्मतशत के साथ , सबसे बडे समूह का गठन करते हैं , जिसके बाद रविदामस्या और रामदामस्यां हैं , जो एक साथ 20.76 % के करीब है । वि-धमम्ण्यों और बालमीमक समुदा्य की आबादी क्रमशः 10.17 % और 8.6 % है । 2011 की जनगणना के अनुसार , पंजाब में चमार समुदा्य ( विभिन्न उप-समुदा्यों में विभाजित ) के 30,95,324 लोग थे । इनमें से 10,17,192 वि-धमटी थे और 20,78,132 ने अपनी पहचान रामदामस्यों और रविदामस्यों के रूप में की थी । जबकि 1,443,079 सिख रामदमस्या और 6,29,157 हिंदू रामदमस्या तथा रविदामस्या थे ।
दोआबा का प्रभारर्ाली दलित समुदाय
पंजाब में दलितों की आबादी करीब 31.9 % है । राज्य के तीन सामाजिक-सांस्कृतिक क्ेत्ों , ्यानी मालवा , दोआबा और माझा में सबसे अधिक दलित आबादी दोआबा में है , जहां राज्य के 40 % दलित रहते हैं । दोआबा क्ेत् के तहत कपूरथला , शहीद भगत सिंह नगर , होमश्यारपुर और जालंधर के जिले आते हैं । खास बात ्यह है कि दोआबा के कुछ गांवों में 65 % तक दलित आबादी रहती है । समाजशासत् विभाग , जीएचजी इंसटीट्ूट ऑफ लॉ फॉर विमेन , लुमध्याना विारा किए गए एक अध्य्यन के अनुसार , दोआबा के 3,000 से अधिक गांवों में दलित आबादी 40 % तक है । इस क्ेत् के दलित काफी संपन्न हैं क्योंकि वे कई अन्य देशों में चले गए हैं । अध्य्यन के अनुसार , जालंधर , होमश्यारपुर और नवांशहर सहित तीन जिलों में आप्िासन की संख्या सबसे अधिक है । इन क्ेत्ों के दलित शुरू में दुबई चले गए थे , लेकिन बाद में अन्य देशों में भी फैल गए । अध्य्यन से पता चला है कि विदेशों में प्िास करने वाले लगभग 70.83 प्मतशत दलितों ने दुबई को अपने गंतव्य के रूप में पसंद मक्या , इसके बाद इंगलैंड , कनाडा ,
इटली और जर्मनी का सथान है ।
बेहद महत्वपूर्ण है संत रविदास जयंती
हर साल संत रविदास ज्यंती के अवसर पर लाखों दलित जाति के लोग पंजाब से बनारस जाते हैं । बनारस संत रविदास की जनमसथली और कर्मसथली रही है । रविदामस्यों के सबसे बडे डेरा सचखंड बालन की ओर से चलाई जाने वाली एक विशेष ट्रेन से भी बडी संख्या में लोग बनारस पहुंचते हैं । ्यह त्य था कि 16 फरवरी को रविदास जं्यती की वजह से बहुत से लोग 14 फरवरी को चुनावों में मौजूद नहीं रहते । इसीलिए कांरिेस , आम आदमी पाटटी , भाजपा सहित सभी दलों ने चुनाव टालने की बात कही
थी । पंजाब में 32 फीसदी के करीब दलित आबादी है । एक अनुमान के मुताबिक , इनमें से लाखों लोग हर साल वाराणसी जाते हैं । जाहिर है जब इतनी बडी आबादी चुनावों के दौरान अपने घरों में नहीं रहेगी तो उसका खामम्याजा राजनीतिक दलों को ही उठाना पडेगा ।
रविदासिया और रामदासियां हावी
राज्य में दूसरा सबसे बडा समुदा्य होने के नाते रविदामस्या और रामदामस्यां हमेशा से पंजाब में राजनीतिक परिदृश्य पर हावी रहे हैं । रामदामस्या समुदा्य से ताललुक रखने वाले चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्ी बनने से एक बार फिर इस समुदा्य को फिर से राजनीतिक
iQjojh 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 27