eMag_Feb2022_DA | Page 24

fjiksVZ

किसानों के कांधे पर सत्ा की सवारी

आं दोलनजीवियों की राजनीतिक महत्वाकांक्ाएं आं दोलन था बहाना , सत्ा पर है निशाना

मनीष सिन्ा
आंदोलन सथमगत हो ग्या है लेकिन किसानों के कुछ संगठन

किसान

और किसान नेताओं की तरफ से हरर्याणा और पंजाब में चुनाव लडने की खबर आ रही है । वैसे तो सं्युकत किसान मोर्चा ने चुनाव लडने से मना कर मद्या है लेकिन हरर्याणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ,
जो मूलतः पंजाब के हैं , उनहोंने चुनाव लडने की इचछा जता्यी है तो दूसरी ओर प्मतस्ठत किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने भी चुनाव में उतरने का ऐलान मक्या है । सवाल ्यह है कि आंदोलनकारर्यों का चुनाव में उतर के अपने लक््य को प्ापत करने का उद्ेश्य कितना सफल हो पाता है । एक आंदोलनकारी के रूप में हमने महसूस मक्या है कि आंदोलनकारी कुछ बुमन्यादी लक््य को लेकर आंदोलन करते हैं जिनके मन में ढेर सारे सपने रहते हैं । ऐसे में जब ्यह चुनाव में उतरने का फैसला करते हैं तो उसी सपने ्या आदर्श को लेकर सामने आते हैं लेकिन उनके सामने वहां पर एक अलग तरह की परिससथमत नजर आती है जो उनके आदर्श से बिलकुल विपरीत रहती है । चुनाव लडने वाली मुख्यधारा की पामट्ट्यों ने भी चुनाव को बहुत महंगा कर ऐसी परिससथमत बना दी है । ्यह भी प्त्यक् देखने को मिलता है ्यही आंदोलनकारी पाटटी भविष्य में ऐसी पाटटी से गठबंधन करती है जो पूरी तरह आदर्श से विमुख हो चुकी होती है ।
सवालों में आं दोलनकारियों की सियासत
आंदोलनकारर्यों का चुनाव लडने का फैसला हमेशा से विवादासपद रहा है । छात् ्युवा संघर्ष वाहिनी , नकसल आंदोलन , नर्मदा बचाओ आंदोलन , छत्तीसगढ के शंकर गुहा मन्योगी के नेतृति में आंदोलन , सीपीआई ( एमएल ) लिबरेशन , अन्ना आंदोलन जैसे कई आंदोलन हुए हैं जहां बाद में उनके एक गुट के विारा चुनाव लडने का फैसला मक्या ग्या । पंजाब में वामपंथी संगठन जो “ नागी रेड्ी गुट ” के नाम से जाना जाता है , उसने चुनाव लडने का फैसला नहीं मक्या है लेकिन सीपीआई ( एमएल ) बिहार में कुछ सीटों पर हमेशा जीतने की ससथमत में रहती है और इस बार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन करके उसने अपनी सीटों की संख्या दो अंकों में कर ली । जब आंदोलनकारी राजनीति में उतरने का फैसला करते हैं तो उसी संगठन में कई गुट सामने आते
24 दलित आं दोलन पत्रिका iQjojh 2022