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यूपी : दलितों मरें पैठ बढा रही भाजपा

चंद्रशेखर बेअसर , मायावती का टूटता तिलिस्म ! दलितों की राजनीतिक दिशा होगी निर्णायक

बद्ी नारायण

त्तर प्देश विधानसभा के 2022 के चुनाव में दलित मतदाताओं का पलड़ा किस ओर झुकने वाला है और उनका चुनावी मूड क्या रहने वाला है , इस बारे में तमाम राजनीतिक विशेषज् उलझन में नज़र में आ रहे हैं । इसकी एक वजह ्यह है कि बहुजन समाज पाटटी की नेता मा्यावती ने अभी अपनी चुनाव अमभ्यान शुरू नहीं मक्या है और मीमड्या ्यह धारणा फैला रहा है कि उनका राजनीतिक आधार दिन-ब-दिन सिकुड़ता जा रहा है । दलित वोट उत्तर प्देश में काफी अहमम्यत रखता है । ्यहां उनकी आबादी करीब 21.6 फीसदी है , जिसमें दलितों की 66 जामत्यां शामिल हैं । मेरा मानना है कि दलित मतदाताओं के ध्ुिीकरण के बारे में अनुमान लगाने का ्यह सही वक़त नहीं है । ्यह तब लगा्या जा सकता है मा्यावती मैदान में उतर जाती हैं लेकिन मीमड्या विारा फैलाई गई धारणा से हट कर अगर कोई प्देश के गांवों में दलित बस्तियों में जाए और उनके राजनीतिक मूड का अंदाजा लगाए , तब उसे

एक आंशिक-सी तसिीर मिल सकती है । ्यह हमें दलितों की राजनीतिक दिशा की समझ करा सकता है ।
मायावती और बीएसपी का ‘ आकर्षण ’
दलितों के राजनीतिक मूड को समझने के क्रम में मैंने पा्या कि प्देश के विभिन्न क्ेत्ों में जाटव मतदाताओं का बड़ा समूह मा्यावती की बीएसपी के पक् में है । ्यह भी सच है कि इनमें से शहरी मतदाताओं का एक हिससा एसपी , बीजेपी , एरएलडी और कांरिेस की ओर मुड़ सकता है । चंद्रशेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पाटटी ने भी जाटव ्युवाओं को अपने पक् में करने में सफलता पाई है लेकिन विभिन्न आ्युिगषों के जाटव सत्ी-पुरुष अभी भी मा्यावती की ओर ही झुकाव रखते हैं । मा्यावती के प्मत दलितों के ‘ आकर्षण ’ को भंग करने के लिए राजनीतिक समूहों को जमीन पर उतरकर कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी । आंखें मूंद कर ्यह मान लेने की गलती मत कीजिए कि अगर कोई मा्यावती की
आलोचना करता है तो वह किसी दूसरी पाटटी को वोट देगा । उनसे करीबी बढ़ाइए तो वे धीरे से कबूल करेंगे कि ‘ भै्या हम कहां जाएंगे ? हम तो इस बार भी हाथी के साथ रहेंगे ।’ ्यह सच है कि कुछ जाटवों को शिका्यत भी है और उनका मोहभंग भी हुआ है लेकिन इसका अर्थ ्यह समझ लेना बहुत जलदबाजी होगी कि उनहोंने मा्यावती से अलग होने का फैसला कर मल्या है ।
जाटव एकजुट , गैर — जाटवों में बिखराव
हालांकि , पूिटी उत्तर प्देश के विभिन्न रिामीण अंचलों में दलितों के गैर-जाटव वोटों में बिखराव दिखता है लेकिन हमने पा्या कि पासी , धोबी , कोरी समुदा्यों में — जो जाटवों के बाद बड़े दलित समुदा्य हैं — बीएसपी और एसपी के
18 दलित आं दोलन पत्रिका iQjojh 2022