eMag_Feb2022_DA | Page 19

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प्मत झुकाव को सिरे से नजरअंदाज नहीं मक्या जा सकता है । एसपी ने दलितों को अपने खेमे में लाने के लिए प्देश के विभिन्न हिससों में दलित सममेलनों का आ्योजन भी मक्या है । वासति में , एसपी प्देश में जाति आधारित छोटे दलों से गठबंधन करके और सामुदाम्यक सममेलनों का आ्योजन करके दलितों और सबसे पिछड़ी जामत्यों को अपने साथ जोड़ने और अपना सामाजिक आधार विसतृत करने की कोशिशों में जुटी हुई है । ऐसा लगता है कि बीजेपी भी आगामी चुनाव के मद्ेनजर इन समुदा्यों के कुछ हिससों को अपने पक् में लाने में कुछ हद तक सफल हो रही है । वह जाटव समुदा्य के दलित नेताओं को पाटटी और चुनाव में प्मतमनमधति देकर उनका समर्थन बनाए रखने की कोशिश कर रही है । साथ ही पाटटी ने बड़े गैर-जाटव दलित समूहों और अन्य पिछड़ी जामत्यों के साथ
संवाद जोड़ने और उनहें अपने पक् में करने के लिए ‘ सामाजिक संवाद ’ के का्य्णक्रम भी आ्योजित किए हैं ।
बीजेपी , आरएसएस और छोटे दलित समुदाय
इन दबंग दलित समुदा्यों के अलावा मुसहर , हरी , बेगार , कुचबमग्या जैसे करीब 50 छोटे समुदा्य हैं जो एकजुट हो जाएं तो संख्याबल के हिसाब से बड़ा वोट बैंक बनाते हैं । ्ये समुदा्य अभी अपनी राजनीतिक दिशा नहीं त्य कर पाए हैं और चुनावी रूप से समक्र्य होने का इंतजार कर रहे हैं । सामाजिक-आर्थिक रूप से ्ये दलितों में सबसे हाशिए पर पड़े समुदा्य हैं । उनमें से अधिकतर भूमिहीन मजदूर हैं जिनका कोई स्थायी पेशा नहीं है और जो बमुसशकल दो जून की रोटी जुटा पाते हैं । इन
दलित जामत्यों में ही बीजेपी को सप्ट तौर पर समर्थन हासिल है । प्धानमंत्ी नरेंद्र मोदी के ‘ प्धानमंत्ी उज्िला ्योजना ’, मुफत राशन और पेंशन ्योजना , ‘ प्धानमंत्ी आवास ्योजना ’ जैसे जनकल्याण का्य्णक्रम इनके बीच काफी लोकप्रिय हैं । इन समुदा्यों के बीच जाकर आरएसएस ने जो आधार तै्यार मक्या है वह भी इस चुनाव में बीजेपी को बढ़त दिला सकता है । हमने ्यह भी पा्या कि इनमें से कुछ समुदा्य सथानी्य दबंग नेताओं ्या समुदा्यों के प्भाव में आकर भी मतदान करते हैं । इसलिए मतदान का सिरूप क्ेत्िार अलग-अलग होता है ।
दलितों को समग्रता में देख रही भाजपा
पहले , बीजेपी का ज़ोर गैर-जाटवों का समर्थन जुटाने पर होता था लेकिन 2022 के चुनाव से पहले उसकी रणनीति में बदलाव दिख रहा है । वह कुछ जाटव वोटों को भी अपने पक् में करने की कोशिश कर रही है । राजनीतिक रूप से जागरूक शहरी दलित मतदाताओं का तबका बीजेपी का प्शंसक है और पाटटी प्देश के विभिन्न हिससों में उनका समर्थन हासिल करने का विशेष अमभ्यान शुरू करने जा रही है । बीजेपी बेबी रानी मौ्य्ण और दुष्यंत गौतम को प्देश की राजनीति में दलित नेताओं के रूप में सथामपत करने की कोशिश कर रही है । बेबी रानी मौ्य्ण को विधानसभा चुनाव में मैदान में भी उतारा ग्या है और सरकार बनने की सूरत में उनहें केबिनेट मंत्ी का दर्जा मिलना भी अभी से त्य है । इसी प्कार दुष्यंत गौतम को पाटटी ने राष्ट्रीय महासचिव का ओहदा देकर संगठन के शीर्ष नेतृति में दलित समाज को बडी व निरा्ण्यक भागीदारी दी है । जलद ही हमें पता चल जाएगा कि दलित मतदाताओं का बड़ा हिससा किसी एक पाटटी के पक् में एकजुट होकर मतदान करता है ्या हामश्ये पर पड़े समुदा्यों के प्गतिशील समूह की बढ़ती राजनीतिक महतिाकांक्ा के कारण ्यह वोट विभिन्न दलों के बीच बंट जाता है । �
iQjojh 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 19