eMag_Feb2022_DA | Page 17

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जाग उठी है राजनीतिक चेतना
जमीनी सतर पर जो दिलचसप बात दिख रही है उससे साफ पता चलता है कि विधानसभा चुनाव से पूर्व ऐन वकत पर बालमीमक समाज में भी राजनैतिक चेतना जाग उठी है और ्यमद जलद ही विभिन्न राजनैतिक दलों ने बालमीमक समाज को राजनीति की मुख्यधारा से न जोड़ा और समुचित हिससेदारी नहीं दी तो आंकड़ों की सूरत काफी हद तक बदल भी सकती है । उत्तर प्देश के बड़ी संख्या में दलित समाज बड़ा वोट बैंक माना जाता है । दलित आबादी में पहले जाटव समाज और दूसरे सथान पर बालमीमक समाज अपनी हिससेदारी रखता है । इन दोनों समाज के बाद दलितों में लगभग ्यूपी में दलितों की कुल
66 उपजामत्यां हैं , जिनमें 55 ऐसी उपजामत्यां हैं , जिनका संख्या बल ज्यादा नहीं माना जाता है । इसमें मुसहर , बसोर , सपेरा और रंगरेज जैसी जामत्यां शामिल हैं । वहीं 52 फीसदी ओबीसी समुदा्य के बाद उत्तर प्देश में दूसरी सबसे बड़ी हिससेदारी दलित समुदा्य की है सूबे में दलित आबादी 22 फीसदी के करीब है जो जाटव और गैर-जाटव के बीच बंटा हुआ है । 22 फीसदी कुल दलित समुदा्य में सबसे बड़ी संख्या 12 फीसदी जाटवों की है और 10 फीसदी गैर-जाटव दलित है । इधर राजनैतिक हिससेदारी की बात करें तो प्देश की सत्ता पर काबिज रह चुके दलों में राजनैतिक हिससेदारी में जाटव समाज के प्रतिनिधियों को उप्युकत सथान मिला , लेकिन बालमीमक समाज अभी तक हाशिए पर ही है ।
दलों ने दिया सीमित सांके तिक प्रतिनिधित्व
अब से 29 वर्ष पूर्व प्देश में छह महीने तक सत्ता पर काबिज रही बसपा सरकार ने लखनऊ के विधा्यक रामविलास बालमीमक को कारागार मंत्ी बना्या था । इसके बाद बसपा ने संगठन को मजबूती देने के लिए कई चेहरों को जिममेदारी भी दी । बसपा ने जिन चेहरों को संगठन में बड़ी जिममेदारी दी उनमें राजेश बालमीमक हैं , जिनहें कई मंडलों का प्भारी पद का दाम्यति भी सौंपा । उसके बाद बसपा ने फिर से कानपुर के अशोक कामल्या को उप् राज्य सफाई कर्मचारी आ्योग का अध्यक् मन्युकत मक्या , साथ ही लखनऊ निवासी राजू बालमीमक को भी पउप् का भाईचारा कमेटी का प्भारी मन्युकत मक्या , जिन प्देश के 18 मंत्ाल्यों का जनसमपक्फ अधिकारी बना्या था । वर्ष 2012 में सपा सरकार में भी सफाई कर्मचारी आ्योग के अध्यक् पद की जिममेदारी जुगल किशोर बालमीमक को सौंपी । वर्ष 2017 में प्देश की सत्ता पर काबिज हुई भाजपा ने भी उप् सफाई कर्मचारी आ्योग के अध्यक् पर सुरेनद्र नाथ बालमीमक को दाम्यति सौंपा । कभी बसपा के साथी रहे राजेश बालमीमक आज पॉलिटिकल जससटस पाटटी के राष्ट्रीय अध्यक् हैं और वर्तमान में सपा के साथ गठबनधन कर चुनाव लड़ रहे
हैं । समाज के लोगों का प्मतमनमधति भी कर रहे हैं ।
दिनों दिन बढ़ रहा है समाज में आक्रोश
चुनाव होने से पूर्व प्देश के सभी जनपदों में लाखों की संख्या में मतदाता बनें हैं , इनहें आगरा में नए वोटरों में 70 हजार नए वोटरों के बढ़ने से ्यहां पर कई सीटों पर बड़ा फेर बदल होने की संभावना जताई जाने लगी है । इधर एक बार फिर से सत्ता में वापसी की दावेदारी कर रही बसपा सुप्ीमो मा्यावती ने अकटूबर 2021 में प्देश के आगरा , लखनऊ और गोरखपुर से बालमीमक समाज के प्रतिनिधियों को प्देश सतरी्य कमेटी में सथान दिए जाने को लेकर कहा था , लेकिन अभी तक बसपा विारा ऐसा कुछ भी नहीं मक्या ग्या है । कुछ दिनों पूर्व पसश्मी उप् के प्भारी व बसपा नेता शमशुद्ीन राईन को सहारनपुर के बालमीमक समाज के लोगों ने एक ज्ापन देकर अपनी नाराजगी व्यकत की है ।
जातिवादी राजनीति से मोहभंग के संके त
वालमीमक समाज को सांकेतिक तौर पर तकरीबन सभी दलों ने लुभाने की कवा्यदें अवश्य की हैं लेकिन समाज के उन बडे नेताओं को उनकी ्योग्यता और क्मता के मुताबिक अहमम्यत मिलती हुई नहीं दिख रही है जिसके वे हकदार हैं । ऐसे में वालमीमक समाज में आक्रोश की भावना प्बल होना सिाभाविक है और सांकेतिक प्मतमनमधति के लुभावने प्रयासों से जिस कदर उनका मोह भंग होता हुआ दिख रहा है उससे ्यही तसिीर सामने आ रही है कि जाती्य सिामभमान को सिवोपरि मानने की परंपरा का परित्याग कर इस बार वे देश और प्देश के विकास को ध्यान में रखकर ही मतदान करेंगे । ऐसे में जातिवादी राजनीति करने वालों को वालमीमक समाज से निराशा हाथ आ सकती है और जाति के बंधन से ऊपर उठकर रा्ट्रवादी चेतना के जिस विसतार की धारा में वे बह रहे हैं उसका सहज सुफल प्देश को भी मिलेगा और देश को भी । �
iQjojh 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 17