स्वयं ही अपने अधिकारचों को छोड देती हैं । सामाजिक और मानसिक दबाब की पराकाषठा
का सतर दो माह पू्व्थ राजयस्ान मे हुई घ्टना से लगाया जा सकता है जहां रक्ाबंधन पर बहनचों से भाई के लिए पिता की संपत्ति पर अपने अधिकारचों का स्वेच्ा से तयाग करने की अपील तहसीलदार कार्यालय से जारी प्रेस नो्ट के माधयम से की गई ।
सियासत में महिलाओं को हक की तलाश
भारत में राजनीति के दपृलष्टकोण से महिलाओं की लस्शत को देखा जाए तो आज भी उनहें श्वधायिका में हर सतर पर आरक्ण का लाभ देने पर राजनीतिक दलचों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है । कहने को तो हर दल महिलाओं को संसद में आरक्ण देने के पक् में है लेकिन इस घोषणा में ईमानदारी कम और दिखा्वा ही अधिक रहता है । यही ्वजह है कि महिला आरक्ण श्वधेयक आज भी संसद की दहलीज पर धूल फांक रहा है । राजनीति में महिलाओं को झांसा देने की परंपरा आजादी के बाद गठित पहली संसद से ही शुरू हो गई थी । आजादी के बाद पहली सरकार पंडित ज्वाहरलाल नेहरू की थी जिसमें 20 केनद्रीय मंरिालयचों में से के्वल एक स्वासथय मंरिालय ही अमपृत कौर को मिला । बाकी सभी पदचों पर पुरुषचों की ही नियुलकत हुई । इसके बाद लाल बहादुर शासरिी की सरकार में
महिलाओं को एक भी मंरिालय नही दिया गया । इंदिरा गांधी के नेतपृत्व में गठित देश की पांच्वी , छठी ्व न्वीं कैबिने्ट मे एक भी महिला केनद्रीय मंरिी नही थी । राजी्व गांधी के मंशरिमंडल में भी के्वल एक महिला मोहसिन किद्वई को ही शामिल किया गया था । इस मामले में मौजूदा मोदी सरकार मे महिलाओं की लस्शत में सुधार हुआ है । 2014 में मोदी सरकार के कार्यकाल में कुल नौ महिला सांसदो को कैबिने्ट और राजयमंरिी बनाया गया । 16्वीं लोकसभा में कुल 61 महिला उ्मीद्वार जीती हैं । इस बार प्रधानमंरिी मोदी ने अपनी सरकार में गयारह महिलाओं को मंरिी बनाया है जो कि शनलशचत तौर पर एक बडी उपललबध है ।
राजनीतिक तौर पर जागरूक होनरे की जरूरत
बेशक मौजूदा मोदी सरकार ने महिलाओं पर बहुत अधिक भरोसा जताया है और पहले कार्यकाल में श्वदेश और मान्व संधासन सरीखे महतपूण्थ श्वभागचों की शज्मेदारी महिलाओं को देने के बाद इस दूसरे कार्यकाल में भी श्वत्त सरीखा सबसे महत्वपूर्ण श्वभाग निर्मला सीतारमण के रूप में एक महिला के ह्वाले करने में उन्होंने हिचक नहीं दिखाई है । लेकिन फिर भी इसे यह मान लेना गलत होगा कि महिलाओं को उनका पूरा अधिकार मिल गया है । इसे धयान में रखने के जरूरत है कि देश की आधी आबादी महिलाओं की है और ्वे बढ — चढकर मतदान के अधिकार का उपयोग भी कर रही हैं । चुना्व दर चुना्व महिला मतदाताओ की संखया में लगातार ्वपृशधि हुई है और 1980 मे महिला मतदाताओं की संखया 51 प्रतिशत थी जबकि 2014 में 66 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इसतेमाल किया । लेकिन इस लस्शत को बहुत बेहतर नहीं माना जा सकता क्योंकि यह आंकडा अभी भी कम है । साथ ही महिला किस पार्टी को ्वो्ट देंगी यह फैसला आज भी अधिकांशत : घर के पुरुषचों द्ारा ही किया जाता है और ्वह उसी पार्टी को ्वो्ट देने के लिए बाधय हो जाती है । हालांकि गुपत मतदान की व्यवस्ा के कारण
महिलाएं जिसे चाहें उसे ्वो्ट दे सकती हैं लेकिन कहीं ना कहीं राजनीतिक तौर पर महिलाओं को अभी अधिक जागरूक होने की जरूरत है ्वना्थ मतदान के अपने अधिकार का पूरा सदुपयोग ्वे कैसे कर पाएंगी ? राजनीतिक क्ेरि में महिला सिलकतकरण की अ्वधारणा को किस हद तक जमीनी सतर पर साकार किया जा सका है इसके उदाहरण के रूप में हम ग्ाम पंचायतचों को देखते हैं तो पाते हैं कि महिलाएं मुखिया और सरपंच तो बन जाती हैं परंतु उसके कामकाज घर के पुरुषचों द्ारा संपादित किए जाते हैं । महिला के्वल नाम मारि की जन — प्रतिनिधि बनकर रह जाती है जबकि अधिकारचों और हनक का इसतेमाल मुखियापति और सरपंचपति करते देखे जाते हैं ।
सशक्तिकरण करे लिए बनाना होगा वातावरण
यदि हम सही मायने में महिला सिलकतकरण करना चाहते है तो हमे सामाजिक ्व मानसिक ्वाता्वरण बनाने की जरूरत है जिसमें महिलाओं की आधी जनसंखया को अपना पूरा हक हासिल करने के लिए अलग से सोचना या कुछ करना ना पडे । यदि सभी माता पिता अपनी लडशकयचों को खुद ही अपनी स्पशत में से उनका हक देना आरंभ कर दें और इसे परंपरा के तौर पर समाज द्ारा अपना लिया जाए तो लैंगिक सतर पर आर्थिक श्वषमता धीरे धीरे स्वयं ही समापत हो जाएगी । तब महिलाएं अपने अधिकारचों का उपयोग कर एक नए और बेहतर समाज की नीं्व रख पाएंगी जिसमे लिंग के आधार पर समाज का श्वकास प्रभाश्वत ्व संचालित नहीं होगा बल्क समाज का हर ्वग्थ सुरशक्त ्व आतमशनभ्थर होगा । इस दिशा में एक पहल ' बे्टी बचाओ बे्टी पढाओ ' अभियान के रूप में अ्वशय हुई है लेकिन अभी इस दिशा में बहुत कुछ करने की आ्वशयकता है । भारत को लैंगिक भेदभा्व रहित देश बनाने के लिए सरकार और समाज के साथ ही परर्वार और वयलकत को भी अपनी भूमिका ईमानदारी से निभानी होगी और इस दिशा में जो प्रयास हो रहे हैं उसकी गति बेशक धीमी है लेकिन दिशा एकदम सही है । �
iQjojh 2023 31