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लेकिन केंद्र सरकार की प्रोएपक्ट्व परॉतिसी के कारण इसमें भी नाकाम रहे । फिर कृषि रतुिारों के लिए बनाए गए तीन कानूनों के नाम पर इनहोंने किसानों कको डराने की ककोतशश की कि उनकी जमीन छीन ली जाएगी । इस खेल में खालिसतानी , जिहादी , नक्सली ताकतों ने पूरा जकोर लगाया । 26 जन्वरी , 2021 कको देश ने इन दंगाइयों का असली रूप देखा । दिलिी कको रौंदा , लाल किले की गरिमा कको तार-तार किया गया ।
बडी साजिश की हो रही लगातार कोशिश प्िानमंत्री नरेनद्र मकोदी ने स्वयं सामने आकर
' किसानों के हित में ' लाए गए तीनों कृषि कानूनों कको ' रा्ट् हित में ' ्वापस लेने की घकोरणा की । केबिनेट की बैठक में इस पर मकोहर लगी और संसद के शीतकालीन सत्र की शतुरूआत हकोते ही पहले दिन ही संसद के दकोनों सदनों से इन कानूनों कको ्वापस लेने का प्स्ताव ध्वनि मत से पारित करा लिया गया । इसके बाद भी अगर आंदकोिन कको लगातार जारी रखने की बात कही जा रही है और इसके लिए रकोज नए — नए बहाने गढ़े जा रहे हैं तको इसका मतलब साफ है कि किसानों के हित की आड़ में आरंभ किए गए इस आंदकोिन का मकसद ्वह नहीं है जको दिखाया और बताया जा रहा है । इसका असली मकसद आगामी दिनों में हकोने ्वाले पांच राजयों के
त्विानसभा चतुना्व में भाजपा की हार सुनिश्चित करने की जमीन तैयार करना है । खास तौर से पंजाब के किसान संगठनों द्ारा कृषि कानूनों की ्वापसी के बाद आंदकोिन जारी रखने के प्ति अरूचि प्कट किए जाने के बा्वजूद राकेश टिकैत जिस तरह से आंदकोिन कको आगे भी जारी रखने की बात कर रहे हैं ्वह यूपी की राजनीति में उलट — फेर करने की उनकी मंशा कको ही दर्शाता है । लिहाजा अब इस संभा्वना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अपनी कुपतरत मंशा कको मजबूती देने के लिए किसी ऐसी साजिश कको अंजाम दिया जाए ताकि उनके आंदकोिन की प्ारंगिकता पर ककोई र्वाल ना उठे ।
यूपी में असफल होती झूठ की खेती
हालांकि सच यही है कि उत्र प्देश के आम किसानों के बीच इस आंदकोिन की आंच नहीं पहतुंच सकी । ्वजह मकोदी पर भरकोरा । किसान कैसे मान लें कि जको प्िानमंत्री सीधे उनके खाते में सममान निधि पहतुंचा रहा है , ्वह उनकी जमीन छीन लेगा । किसानों के नाम पर शकोर मचाने ्वाले इस तथ्य कको कैसे झतुठला सकते हैं कि किसान सममान निधि का सालाना खर्च 75 हजार करोड़ रुपये है । साढ़े 11 करोड़ से जयादा किसानों के खाते में सीधे सालाना छह हजार रुपये पहतुंचते हैं । दिलिी बरॉि्डर पर धरने के नाम पर मानसिक और भौतिक अययाशी कर रहे इन कथित किसानों के लिए ये 6000 रुपये एक शाम का खर्च हको सकते हैं , लेकिन लघतु और सीमांत किसानों के लिए यह बहतुत बड़ी मदद है । फिलहाल उत्र प्देश में यकोगी सरकार ने लखीमपतुर खीरी में मारे जाने ्वालों कको तमाम किसम की मदद का ऐलान किया है । किसानों और सरकार के बीच समझौता हको गया है । लेकिन आग लगाने ्वाली ताकतें इस बतुझती आग कको ह्वा देने की ककोतशश जारी रखेंगी । जरूरी है कि इनसे सतर्क रहा जाए , सा्विान रहा जाए और अधिकतम दूरी बनाकर देश ्व समाज कको ही नहीं बपलक खतुद कको भी रतुरतक्त रखा जाए । �
fnlacj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 9