doj LVksjh
त्ववाद के लिए बहाना तलाश रहे त्वपक्ी
हताशा और अहम की राजनीत्त की भेंट चढे किसान और कृ त्ि
अनुज अग्रवाल
में सीएए हको या किसान आंदकोिन दकोनको ही लगातार दको भारत
िकोकसभा चतुना्व हार चतुकी कांग्ेर पाटटी की हार की हताशा का परिणाम थे । पहले में मतुरिमान हथियार बने तको दूसरे में जाट ( सिख ्व हिंदू ) किसान । सन 2019 के िकोकसभा चतुना्वों से पू्व्स भी महिलाओं के यौन उतपीड़न के मतुद्े पर भी कांग्ेर पाटटी ने ऐसे ही आंदकोिन खड़ा करने का असफल प्यास किया था । तको असली मतुद्ा है रकोतनया गांधी की कांग्ेर द्ारा भाजपा सरकार कको अपसथर कर “ येन केन प्करेण ” सत्ा में आना , चाहे इसके लिए देश कको ककोई भी कीमत क्यों न चतुकानी पड़े ।
मकोदी सरकार द्ारा यकायक तीनको कृषि कानूनों के ्वापस ले लेने के कारण कांग्ेर पाटटी सहित त्वपक् का पिछले ढाई सालों से चल रहा पहले सीएए और फिर किसान
आंदकोिन के नाम पर अराजकता ्व त्वध्वंश का तांि्व यकायक एक झटके में रुक सा गया है और टूटकर बिखर गया है और आगामी त्विानसभा चतुना्वों में भाजपा कको हराकर सत्ा में आने का भी सपना चूर चूर हको गया । किंततु ्वे मानेंगे नहीं और अगले कुछ महीनको में फिर किसी एक मतुद्े कको त्व्वादित बनाकर देश कको फिर अराजकता की भट्टी में झोंकने की ककोतशश करेंगे ही । उनका साथ देने के लिए कट्टरपंथी मुस्लिम , सिख ्व ईसाइयों के साथ आंदकोिनजी्वी एनजीओ गैंग ्व नक्सली नेताओ की फौज के साथ साथ चीन ्व पाक का समर्थन है ही । सच तको यह है कि यह अलपरंखयक्वाद बनाम बहतुरंखयक्वाद ्व सेक्यतुिरपंथी बनाम सनातनपंथी की िड़ाई है जिसमें सनातनपंथी बहतुरंखयकों ने खारी बढ़त बना ली है और सेक्यतुिरपंथी अलपरंखयक अराजक आंदकोिन की आड़ में मात्र खीज ही निकाल पा रहे हैं । त्वपक् आज भी नेतमृत्व त्वहीन है और मतुद्ा
त्वहीन भी और उसकको इस सच्ाई कको समझना पड़ेगा । उसकको अंतताः बहतुरंखयकको के हितों के प्ति सं्वेदनशील हकोना पड़ेगा और “ बाँटको ्व राज करको ” की नीति छोड़नी हकोगी अनयथा उसके लिए केंद्र और यूपी जैसे सूबों की सत्ा में ्वापसी नामतुमकिन ही बनी रहेगी ।
बात कृषि रतुिार की तको ्वत्समान कृषि पदति से किसी का भला नहीं हकोने ्वाला । न किसान का , न जनता का और न ही सरकार का । “ जैत्वक कृषि ” और “ शूनय लागत कृषि ” ही ्वत्समान कृषि , स्वास्थय ्व जि्वायतु परर्वत्सन की समसयाओं का इलाज है । जनता ्व त्वशेषज्ञ इस बात कको बहतुत पहले से जान समझ चतुके हैं , मकोदी जी ने अपने रा्ट् के नाम संबकोिन में इसकको मान लिया है और अब बस त्वपक् ्व उनके पिट्ठू तथाकथित किसान नेताओ कको और मानना है … तफिहाल तको देश के किसान और कृषि दकोनको का भविष्य अधर में लटक गया है तको बाकी जनता कौन सी रतुखी रहने ्वाली है । �
10 दलित आं दोलन पत्रिका fnlacj 2021