eMag_Dec_2021-DA | Page 11

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हिन्ुस्ान को बना रहे मूर्खिस्ान

बे — सिर पैर के मसलों में उलझा देश

अमित शर्मा
इस देश ने हाल के वर्षों में 3 बड़े जन आंदोलन देखे हैं- 1- रोहित वेमुला करी मौत के कारण उपजा आंदोलन 2- शाहरीन बाग का आंदोलन , और 3- किसानों का आंदोलन ।
ये तीनों ही आंदकोिन बिना किसी ठकोर कारण के पैदा किए गए । रकोतहत _ ्वेमतुिा ने आतमहतया की थी । अपने ही हकोसटि में । सूइसाइड लेटर में उसका इशारा भी अपने ही उन सीनियर छात्रों के ऊपर था जको आंदकोिन के नाम पर िकोगों की भा्वनाओं कको भड़का कर उनहें के्वि ्वकोट का मतुद्ा बना देते हैं । लेकिन इस मामले पर देशद्रकोही ्वामपंथियों ने दलित समतुदाय कको भड़काकर मकोदी सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदकोिन खड़ा कर दिया और सरकार इस मतुद्े पर हर जगह बैकफुट पर नजर आई ।
दूसरा शाहीन बाग का आंदकोिन हतुआ । CAA , NRC जिसमें किसी के खिलाफ ककोई बात नहीं कही गई थी , के्वि पाकिसतान , अफगानिसतान और बांगिादेश से भाग कर आने ्वाले हिंदतुओं , ईसाइयों कको भारत में नागरिकता देने की बात कही गई थी , इसमें मतुरिमानों के लिए ककोई त्वरकोिी बात नहीं थी , लेकिन इसके बाद भी ्वामपंथियों ने मतुरिमानों कको भड़काकर देश कको तोड़ने का कुचक रच दिया और भारत सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदकोिन खड़ा कर दिया । अगर ककोरकोना और दिलिी दंगे न
हकोते , जिनमें 53 िकोगों की मौत हतुई , तको इसका दुष्परिणाम किस रूप में सामने आता , ककोई नहीं जानता ।
तीसरा किसानों का आंदकोिन । पहले दिन से
इस आंदकोिन के साथ किसी न किसी रूप से मैं जतुड़ा रहा । लगातार इसके बारे में किसानों , कृषि त्वशेषज्ञों और कृषि ्वैज्ञानिकों से बातचीत करता रहा । यदि आप भरकोरा कर सकें , किसी एक भी ्वैज्ञानिक ने इस कानून के खिलाफ ककोई बात नहीं कही । सबका कहना था कि नए जमाने के हिसाब से यदि भारत कको आगे चलना है , किसानों कको मजबूत करना है तको किसानों कको आगे ले जाना पड़ेगा । उनहें नए जमाने के हिसाब से आगे बढ़ाना पड़ेगा । लेकिन इसे भारत सरकार के खिलाफ एक आंदकोिन के रूप में सथातपत कर दिया गया और अंतताः सरकार कको कानून ्वापस लेने पड़े ।
इन तीनों ही आंदकोिनों का कारण और उसका परिणाम देखते हतुए जिसे अभी भी यह समझ नहीं आ रहा हको कि इन आंदकोिनों का कारण
केंद्र की भाजपा सरकार , नरेंद्र मकोदी और हिंदतुत्व के मतुद्े कको हराना है , देश कको कमजकोर करना है , उसके मानसिक सतर से के्वि मेरी सहानतुभूति ही हको सकती है । इससे अधिक कुछ नहीं । लेकिन
ये तीनों ही आां दोलन बिना किसी ठोस कारण के पैदा किए गए । रोहित _ वेमुला ने आत्महत्या की थी । अपने ही होस्टल में । सूइसाइड लेटर में उसका इशारा भी अपने ही उन सीनियर छात्ों के ऊपर था जो आां दोलन के नाम पर लोगों की भावनाओां को भड़का कर उन्ें के वल वोट का मुद्ा बना देते हैं ।
यह देश के लिए दतुभा्सगय का त्वरय है कि बिना सिर पैर के मतुद्ों कको खड़ा कर देश कको झतुकाने की ककोतशशें लगातार जारी हैं । ्वे इसमें सफल भी हको रहे हैं ।
पड़कोरी देश चीन , पाकिसतान ही नहीं , अमेरिका भी क्यों चाहेगा कि एक ्वैश्विक ताकत के रूप में भारत उभरे । एक उभरते देश कको कमजकोर करने का सबसे आसान तरीका उस पर हमला कर उसे कमजकोर करना नहीं , बपलक उसे रूस की तरह खणि-खणि कर कमजकोर कर देना हकोता है । दतुशमन देश कको जीतने का यह जयादा कारगर , ससता , त्वश्वसनीय और आजमाया हतुआ तरीका है । और मतुझे यह कहने में ककोई संककोच नहीं कि हमारे मूर्खिसतान के िकोग ्वामपंथी देशद्रकोतहयों के इसी उद्ेशयों की पूर्ति में सहयकोग कर रहे हैं । �
fnlacj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 11