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से रासता निकाल सकता है । फिलम के मतुखय नायक ्वकील चंद्रू के वयपक्तत्व में भी इसकी झलक मिलती है । जय भीम में जाति आधारित भेदभा्व के मतुद्े कको भी काफी संजीदगी से दिखाया गया है । फिलम में सूर्या , ्वकील के किरदार में उमदा अभिनय करते दिखे हैं । ्वहीं न सिर्फ सूर्या बपलक अनय सभी किरदारों ने भी बेहतरीन प्दर्शन किया है । फिलम के कई सीन ऐसे हैं जिनहें देखकर आप रकोचने पर मजबूर हको जाएंगे । ' गणतंत्र कको देश में बचाने के लिए कभी कभी तानाशाही की भी जरूरत पड़ती है ' और ' कानून
तको अंधा है ही , अगर आज ये ककोट्ड गूंगा भी हको गया तको मुश्किल हको जाएगी ', जैसे कुछ डायिरॉगर और सीनर फिलम कको और खास बनाते हैं । फिलम कको जरूर देखा जा सकता है ।
सत्य घटना पर आधारित ' जय भीम '
तमिलनाडु में 1993 में घटी एक घटना पर आधारित जय भीम जतुड़ी है 2006 के मद्रास हाईककोट्ड के एक फैरिे से । फिलमकार ने सच्ी घटना और रमृजनातमक कलपना शक्ति का
इसतेमाल करके फिलम की पटकथा बतुनी है ताकि फिलम भारतीय समाज की आतद्वासी त्वरकोिी रिाह्मण्वादी मानसिकता कको उजागर कर सके और उसे भारतीय समाज की एक प्ातिनिधिक फिलम बना सके । बात फिलम की कहानी की करें तको ' जय भीम ' कुर्वा आतद्वासी समतुदाय के दंपतत् सेंगई और राजकन्नू की कहानी है । कुर्वा समतुदाय के िकोग सांप और चूहे पकड़ने का काम करते हैं और सांप के काटे का इलाज भी करते हैं । मार्च 1993 में तमिलनाडु के मतुदन्नी गां्व में कुर्वा आतद्वासी समतुदाय के चार परर्वारों में एक परर्वार राजकन्नू और सेंगई नाम के दंपतत् का भी था । सबकुछ ठीक चल रहा था कि इसी बीच 20 मार्च की रतुबह कुछ पतुतिस ्वालों ने के दर्वाजे पर दसतक दी । पतुतिस ने सबसे पहला र्वाल यही किया कि उनका पति राजकन्नू कहां है । सेंगई ने डरते हतुए बताया कि ्वको काम पर गया है । किसी कको नहीं पता था कि आखिर पतुतिस राजकन्नू कको क्यों तलाश रही है । रहसय से पर्दा उठाते ही ये बात सामने आई कि पास के गां्व में डेढ़ लाख के आभूषण चकोरी हतुए हैं और इस मामले में पतुतिस ने राजकन्नू कको दकोरी माना है । राजकन्नू तको नहीं मिला लेकिन पतुतिस पूछताछ के नाम पर सेंगई के साथ साथ उनके बच्ों , उनके पति के भाई और बहन कको अपने साथ पतुतिस सटेशन ले गई । इस दौरान सभी कको खूब मारा पीटा गया । इस बीच राजकन्नू जको इस मामले से एकदम अनजान था कको भी पतुतिस ने खकोज कर हिरासत में ले लिया । उसके बाद पतुतिस ने सेंगई और उनके बच्ों कको तको घर जाने की परमिशन दे दी मगर राजकन्नू हिरासत में पतुतिस की मार खाता रहा । अगले दिन दकोपहर के समय सेंगई खाना लेकर जब थाने पहतुंची तको उसने देखा कि उनके पति के पूरे कपड़े उतार कर उसे खिड़की से बांधा गया था । उसे देखते ही लग रहा था कि उसे बहतुत पीटा गया है । सेंगई ने जब इस संबंध में पतुतिस से र्वाल किये तको उसे ्वहां से भगा दिया गया । ना चाहते हतुए भी सेंगई कको घर लौटना पड़ा । ्वह दकोपहर करीब तीन बजे थाने से निकली और शाम छह बजे अपने गां्व पहतुंचीं । गां्व पहतुंचने
46 दलित आं दोलन पत्रिका fnlacj 2021