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पसथत ितुमबनी में और उनका महाप्याण ईसापू्व्स 483 में कुशीनगर , भारत में हतुआ ।
नेपाल और भारत में धार्मिक , सामाजिक , सांसकृतिक , प्ाकृतिक ए्वं व्यावहारिक सामयता स्वाभात्वक रूप से दमृप्टगकोचर हकोती है । इसलिए भारत -नेपाल के मधय धार्मिक , सामाजिक ए्वं सांसकृतिक सीमारेखा का आभाष नहीं हकोता है , यदि हकोता है तको एक राजनीतिक सीमा रेखा का , ्वह भी धार्मिकता और सामाजिकता के समक् गौण सा ही प्तीत हकोता है । लगभग सात लाख नेपाल की बेटियां भारत में त्व्वाहित हैं और इसी प्कार लगभग पांच लाख भारतीय बेटियां नेपाल में त्व्वाह के उपरांत रह रही हैं । नेपाल के लाखों
कुछ नहीं किया ।
विकम सम्वत 2068 की जनगणना के अनुसार- दलित हिंदयू जनसँखया — 13.12 रिवतशत पहाडरी दलित हिंदयू जाति — 7 रिकार मधेशरी दलित जाति — 19 रिकार संघरीय संसद में दलित समुदाय करी संखया — 6.9 रिवतशत रिदेश सभा में — 5.8 रिवतशत नगरपालिका मेयर करी संखया — 2.05 रिवतशत उपमेयर करी संखया — 4.10 रिवतशत गाँव पालिका अधयक्ष — 0.22 रिवतशत गांव पालिका उपाधयक्ष — 3.26 रिवतशत वार्ड सदस्य — 21.9 रिवतशत
्वर्ष 2021 के र्वदेक्ण के मतुताबिक 41 प्तिशत दलित हिंदू गरीबी रेखा के नीचे हैं । 77 प्तिशत दलित हिंदू कको अपने खेत / जमीन से पया्स्त अन्न नहीं मिलता है । पहाड़ में 20 प्तिशत , मधेश में 44 प्तिशत दलित हिंदू अभी भी भूमिहीन हैं । नयाय प्शासन में दलित हिंदू समतुदाय 0.4 प्तिशत और अब तक सिर्फ एक दलित हिंदू ही नयायाधीश पद तक पहतुंच सका है ।
महर्षि निमिपाल के नाम से समबंतित नेपाल
्वैदिक और उसके बाद सनातन ससकृति का केंद्र रहा है । हिमालय सनातन धर्मियों के आराधय ए्वं माता नैना ( माता पा्व्सती जी की माँ ) की भूमि है । सनातनी हिन्दुओं का पूजय पत्वत्र सथान कैलाश मानसरको्वर का रासता नेपाल से ही हकोकर जाता है । बाबा गकोरखनाथ की तपको भूमि भी नेपाल ही रही है । बाबा पशतुपतिनाथ संसार भर के सनातनी हिन्दुओं की आसथा ए्वं त्वश्वास का केंद्र है । काशी में अवस्थित बाबा त्वश्वनाथ ए्वं काठमांडू में अवस्थित पशतुपतिनाथ के देश नेपाल में ककोई अनाथ हको ही नहीं सकता । " जनमे यहीं गौतम बतुद , शांति के अग्दूत " का देश नेपाल है । भग्वान बतुद का जनम ईसापू्व्स 563 में नेपाल
नागरिक भारत में रकोजगार इतयातद से जतुड़े हतुए हैं । रकोटी बेटी का यही समबंि भारत-नेपाल के दमृढ़ सांसकृतिक एकता का मूलभूत आधार है । ऐसे में धार्मिक , सामाजिक , सांसकृतिक एकातमता हकोने के कारण हिनदू समाज के लगभग समपूण्स नियम-कानून , रीतिरर्वाज , परमपरा ए्वं सामाजिक मानयताएं नेपाल और भारत के हिनदू समाज पर समान रूप से लागू हकोती है । नेपाल के हिन्दुओं और भारतीय हिन्दुओं तथा दकोनों देशों के हिनदू धार्मिक समाजों के हिनदू िकोकजी्वन में ककोई अंतर नहीं है । दकोनों देशों की संसकृति में अधिकतम सामयता है ।
भारत की तरह नेपाल में भी हिनदू समाज में
fnlacj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 35