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नेपाल की दलित समस्ा :
समझ एवां समाधान
भारत — नेपाल की साझा है सांस्ृति और समस्ाएां सामाक्जक स्वरूप में परिवर्तन की आवश्यकता
डॉ . विजय सोनकर शास्त्री
ने भूमिका , उनका यकोगदान , दलित का
पाल के हरेक राजनीतिक परर्वत्सन में , जनांदकोिन में , दलित हिंदू समतुदाय की
तयाग , दलित की शहादत , किसी अनय समतुदाय से कम नहीं है । दस वर्षों तक माओ्वादियों के द्ारा चलाए गए सशसत्र त्वद्रकोह हों या मधेश में
तीन बार हतुए मधेश आंदकोिन , इनमें दलित हिंदू की भूमिका अहम् रही है । सशसत्र त्वद्रकोह हको या मधेश त्वद्रकोह , दलितों ने इस देश में समानता , सममान , पहचान के लिए अपना बलिदान भी दिया है । लेकिन दलित हिंदू के सहयकोग से हतुए आंदकोिन के बाद जको राजनीतिक उपलब्ि हासिल हतुई , उसमें दलित हिंदू समतुदाय कको भी
भतुिा दिया गया । दलित हिंदू समतुदाय का राजनीतिक रूप से इसतेमाल करके छकोड़ दिया गया । आरक्ण के प्तिशत में दलित हिंदू समतुदाय कको सीमित कर दिया गया । दलित आयकोग बनाकर खानापूर्ति कर दी गयी । लेकिन सामाजिक , सांसकृतिक , आर्थिक , शैक्तणक रूप से दलित हिंदू समतुदाय कको आगे बढ़ाने के लिए
34 दलित आं दोलन पत्रिका fnlacj 2021