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जनजातीय गौरव के लिए राष्ट्र प्रत्तबद्ध प्रधानमंरिी मोदी ने दिया जनजातीय समुदायों को सम्ान
अर्जुन मुंडा
दतुतनया का एक अनूठा देश है , जहाँ 700 से अधिक जनजातीय भारत
समतुदाय के िकोग तन्वास करते हैं । देश की ताकत , इसकी सममृद सांसकृतिक त्वत्विता में निहित है । जनजातीय समतुदायों ने अपनी उतकृ्ट कला और शिलप के माधयम से देश की सांसकृतिक त्वरासत कको सममृद किया है । उनहोंने अपनी पारंपरिक प्थाओं के माधयम से पया्स्वरण के सं्वि्सन , रतुरक्ा और संरक्ण में अग्णी भूमिका निभाई है । अपने पारंपरिक ज्ञान के त्वशाल भंडार के साथ , जनजातीय समतुदाय सतत त्वकास के पथ प्दर्शक रहे हैं । रा्ट् निर्माण में जनजातीय समतुदायों द्ारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका कको मानयता देते हतुए , हमारे संत्विान ने जनजातीय संसकृति के संरक्ण और अनतुरूचित जनजातियों के त्वकास के लिए त्वशेष प्रावधान किए हैं ।
अं ग्ेजों के खिलाफ हुए जनजातीय कांतिकारी
आं दोलन जनजातीय िकोग सरल , शांतततप्य और
मेहनती हकोते हैं , जको मतुखयताः ्वन क्ेत्रों में पसथत अपने तन्वास सथान में प्ाकृतिक सद्भाव के साथ रहते हैं । ्वे अपनी पहचान पर ग्व्स करते हैं और सममान के साथ जी्वन वयतीत करना पसंद करते हैं । औपतन्वेशिक शासन की सथापना के दौरान तरिटिश राज ने देश के त्वतभन्न समतुदायों की स्वायत्ता के साथ-साथ उनके अधिकारों
और रीति-रर्वाजों का अततकमण करने ्वाली नीतियों की शतुरुआत की । तरिटिश राज ने िकोगों और समतुदायों कको पूर्ण अधीनता स्वीकार करने के लिए कठकोर कदम उठाए । इससे त्वशेष रूप से जनजातीय समतुदायों में जबरदसत आककोश पैदा हतुआ , जिनहोंने प्ाचीन काल से अपनी स्वतंत्रता और विशिष्ट परंपराओं , सामाजिक प्थाओं और आर्थिक प्णालियों कको संरतक्त रखा था । जल निकायों सहित संपूर्ण ्वन पाररपसथतिकी तंत्र , जनजातीय अर्थव्यवसथा का मतुखय आधार था । तरिटिश नीतियों ने पारंपरिक भूमि-उपयकोग प्णालियों कको तहस-नहस कर दिया । उनहोंने जमींदारों का एक ्वग्स तैयार किया और उनहें जनजातीय क्ेत्रों में भी जमीन पर अधिकार दे दिया । पारंपरिक भूमि व्यवसथा कको काशतकारी
व्यवसथा में बदल दिया गया और जनजातीय समतुदाय असहाय काशतकार या बंटाईदार बनने पर मजबूर हको गए । अनयायपूर्ण और शकोरक प्णाली द्ारा करों कको लागू करने तथा उनकी पारंपरिक जीत्वका कको प्तिबंधित करने के बढ़ते दमन के साथ कठकोर औपतन्वेशिक पतुतिस प्शासन द्ारा ्वरूली और साहूकारों द्ारा शकोरण ने आककोश कको और गहरा किया , जिससे जनजातीय कांतिकारी आंदकोिनों की उग् शतुरुआत हतुई ।
आजादी के आं दोलन में शहीदों की लंबी श्रंखला
जनजातीय आंदकोिनों और प्तततकया्वादी तरीकों की कुछ त्वशेषताएं एक जैसी थीं , हालांकि
fnlacj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 13