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वामपंथमी षड़यंत् के कारण है सवर्ण दलित मतभेद

ग्रंथों की मनगढ़ंत व्याख्या कया सच जयाननया जरूरी हिन्दुओरं को तोड़कर कमजोर करने की सयाजिश

पवन कुमार ( योगाचार्य )

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रतीय की महान सभयता , सं्कृति , धर्म , परमपरा , हिंदू और हिंदू धर्म विरोधी वामपंथी कैसे हिंदुओं को सवर्ण और दलित में बांटकर आपस में िड़ाकर हिंदुओं और हिनदु्ताि को कमजोर करने का षड़यंरि कर रहे हैं , उसका कुछ उदाहरण देखिए :
1 . कथित से्युिर वामपंथी एक तरफ पढ़ाते हैं हिंदू सिर्फ 1500 ई्वी पूर्व मधय एशिया से भारत आये और दूसरी तरफ कहते हैं शूद् जो भारत के मूल निवासी थे उनहें ब्ाह्मण और क्षतरिय गुलाम बनाकर पांच हजार वषगों से शोषण कर रहे हैं । ऐसे में सवाल है कि बीच के 3500 वषगों में पूरा भारत लगभग 1000 वर्ष आक्रमणकारी मुसलमानों और घुसपैत्ठये ईसाईयों ( अंग्रेजों ) का गुलाम रहा जिसमें सर्वाधिक शोषण और मरण क्षतरिय और ब्ाह्मणों का ही हुआ । डॉ्रर भीमराव रामजी आंबेडकर की मानें तो आज के अधिकांश शूद् कल के शोषित , पीतड़त और पतित क्षतरिय ही हैं ( शूद्
कौन , लेखक- डॉ आंबेडकर )। फिर ये वामपंथी किस शोषण की बात करते हैं ?
2 . कथित से्युिर वामपंथी कहते है श्रीराम और रामायण का्पतिक हैं परनतु रामायण के रचयिता बा्मीतक इतिहास पुरुष थे और दलित थे , रामायण का एक पारि शमबर ( शमबूक ) नामक असुर वा्ततवक था और दलित था जिसका वध श्रीराम ने किया था । मतलब चित भी मेरी पट भी मेरी ?
3 . ये कथित से्युिर वामपंथी महर्षि बा्मीतक को दलित अर्थात अछूत , शोषित , पीतड़त , वंचित समूह से बताते हैं परनतु उस बा्मीतक के चरणों में श्रीराम की वनदिा और सीता को लेकर राम के दरबार में पहुँचने पर सभी ऋषियों और महर्षियों द्ारा खड़े होकर उनका ्वागत करने की बात नहीं बताते हैं ।
4 . ये शमबर नामक असुर के मारे जाने पर उस श्रीराम को जिसके अस्ततव में ये यकीन ही नहीं रखते उनहें दलित विरोधी साबित करते हैं , परनतु एक धोबी ( दलित , प्रजा ) की संतुष्टि
के लिए अपनी प्राण पयारी राजमहिषी सीता का परितयाग करने को भी कलंकित करते हैं । एक दलित शबरी के जू्ठछे बैर खाने की चर्चा नहीं करते । यदि श्रीराम दलित विरोधी थे तो ्या ऐसा करते ? और ्या सचमुच बा्मीतक , धोबी और शबरी दलित थे जिसका मतलब अछूत , शोषित , पीतड़त , वंचित समूह से है । नहीं , उस समय लोगों में ऐसी गंदी मानसिकता नहीं थी । दलित ि्द नीच वामपंथियों की गंदी मानसिकता की आधुनिक उपज है । इसका सनातन धर्म सभयता से कोई लेना देना नहीं है ।
5 . ये कथित से्युिर वामपंथी आर्य व देव जाति विरोधी असुरों और दानवों को शुद् घोषित करते हैं और शुद् को आयगों का गुलाम अर्थात अछूत , शोषित , पीतड़त , वंचित समूह । जबकि वा्ततवकता यह है की असुरों और दानवों के लिए मानव अर्थात मनुवादी किसी गिनती में ही नहीं थे । हिरणयकशयप से लेकर रावण तक का इतिहास जो वामपंथियों की नजर में का्पतिक है , पढ़ लीजिए वे मानवों को तुच् समझते थे
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