दलितों को लुभाने के लिए चुनािमी चारा !
अपना दल के सं्थापक और अनय तप्ड़ा वर्ग ( ओबीसी ) के दिगगज नेता सोनेलाल परछेि की जयंती मनाने के कुछ दिनों बाद , राष्ट्रीय लोक दल ( रालोद ) ने सभी पारटी विधायकों को अपने विधायक ्थािीय क्षेरि विकास कोष ( एमएलएएलएडी ) का 35 प्रतिशत खर्च करने का निदवेि दिया । विधायकों को औपचारिक तौर पर परि लिखकर निदवेतित किया गया है कि अनुसूचित जाति ( एससी ) के क्याण के लिए विधायक निधि से अधिकतम आर्थिक योगदान करने में कतई हिचकिचाहट ना दिखाए । राजनीतिक जानकारों से लेकर पारटी के नेताओं
का साफ तौर पर कहना है कि जयंत का यह कदम 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले दलितों के लिए पारटी की आउटरीच योजना का एक तह्सा है । यानी इतना तो तय है कि जयंत किसी भी सूरत में सपा के भरोसे रालोद की नैया पार लगाने की उममीद में हाथ पर हाथ रखकर बै्ठिे के पक्ष में नहीं हैं । वह पारटी के समर्थकों की तादाद में इजाफा करने की राह तलाश रहे हैं । इसमें उनहें पता है कि अगड़ी जातियों को भाजपा से और यादव व मुस्िम समाज को सपा से तोड़कर उनके एकमुशत समर्थन को अपने पक्ष में मोड़ पाना नामुमकिन की हद तक मुसशकि है । ऐसे में उनहें अपने लिए सबसे बेहतरीन संभावनाएं दलित समुदाय के भीतर ही दिखाई पड़ रही हैं तो इसमें कुछ
भी अ्वाभाविक नहीं है ।
दलितों के कल्ार का बहाना , वोट बैंक पर निशाना
पारटी अधयक्ष जयंत चौधरी ने रालोद के विधायक दल के नेता राजपाल बा्याि को परि लिख कर उनसे यह सुनिसशित करने को कहा है कि रालोद के सभी विधायक निदवेि का पालन करें । चौधरी ने अपने परि में लिखा , " सभी रालोद कार्यकर्ताओं का सामाजिक नयाय में अटूट विशवास है और हमारा मानना है कि बड़े सामाजिक सुधार और सकारातमक बदलाव तब तक संभव नहीं हैं जब तक कि अधिक से अधिक सरकारी योजनाओं का लाभ कमजोर और वंचित वगगों तक नहीं पहुंच जाता ।" उनहोंने कहा , " इस उद्देशय के लिए , हमारी पारटी के विधायक अपने ्थािीय क्षेरि विकास कोष का 35 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति ( एससी ) के क्याण पर अपने-अपने निर्वाचन क्षेरिों में खर्च करेंगे ।" साथ ही जयंत चौधरी ने अपनी पारटी के विधायकों को विधानसभा में एससी और पिछड़े वगगों के मुद्दों को उ्ठाने , उन घटनाओं पर नजर रखने और उनहें नयाय दिलाने के लिए काम करने का भी निदवेि दिया है । दरअसल चुनावी राजनीति में बसपा के पतन के बाद दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की होड़ मची हुई है । इसमें रालोद भी इसी प्रयास में है कि मायावती से मोहभंग के बाद अपने लिए ्थाई और मजबूत नेतृतव की तलाश कर रहे दलित समुदाय के समक्ष खुद को सबसे सि्त व संबेदनशील विक्प के तौर पर प्र्तुत किया जा सके । इसी रणनीति के तहत दलित समुदाय के क्याण के लिए जी — जान से जुटा हुआ दिखाने की रालोद जी — तोड़ कोशिशें कर रही है । लेकिन यह देखना तदिि्प होगा कि भाजपा के पक्ष में मजबूती से लामबंद हो चुके दलित मतदाताओं को अपने पाले में लाने और जाटों की दलितों से जमीनी ्तर की दूरी को समापत करने में जयंत को किस हद तक कामयाबी मिल पाती है । �
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