वोट बैंक छिटकने की छटपटाहट
कांग्रेस ने कई दशकों तक देश पर लगातार राज किया तो इसके पी्छे समाज के सभी वगगों का उसके पक्ष में एकजुट होना ही था । देश को ्वतंरिता दिलाने का श्रेय लेकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पूरी उम्र बादशाहत कायम रखी । उसके बाद पहले इंदिरा गांधी ने और बाद में राजीव गांधी ने भी गरीबी हटाओ का नारा देकर कांग्रेस को सत्ा के शिखर पर बनाए रखा । बाद में ि्बे के दशक तक भी माहौल ऐसा रहा कि कांग्रेस के समर्थन के बिना किसी भी सरकार का सत्ा में बने रहना संभव नहीं था । इतने लंबे कालखंड तक कांग्रेस का वि्य्व इसलिए ही कायम रहा ्योंकि एक ओर मुसलमानों का एकजुट समर्थन उसे मिलता रहा और दूसरी ओर समाज का दलित , वंचित तबका कांग्रेस के गरीबी हटाओ के नारे पर भरोसा कर रहा था । लेकिन बाद में जब जातिवादी राजनीति ने जोर पकड़ा तक एक के बाद एक कांग्रेस का वोट बैंक बिखरने लगा और आज स्थति यह हो गई है कि एक भी जाति या वर्ग ऐसा नहीं है जिसका पूरा समर्थन कांग्रेस को मिल पा रहा हो । कांग्रेस की कथनी और करनी के अंतर ने उसे आम लोगों के बीच इस कदर अलोकप्रिय कर दिया है कि संसद में अपने दम पर विपक्ष के नेता के पद पर क्जा जमाए रखना भी उसके लिए बड़ी चुनौती बन गई है । ऐसे में वोट बैंक छिटकने की छटपटाहट का ही नतीजा है कि समाज के गरीब व कमजोर तबके की थोड़ी सी भी तर्की कांग्रेस को सहन नहीं हो रही है । यही वजह है कि गरीबों के लिए समर्पित मोदी सरकार की हर बात में आलोचना करने से कांग्रेस कभी परहेज नहीं करती । यहां तक कि भाजपा का विरोध करने के क्रम में वह कई बार भारत का विरोध करती हुई भी दिखाई पड़ने लगती है । यह वोट बैंक खिसकने की छटपटाहट और मतदाताओं द्ारा पूरी तरह नकारे जाने की बौखलाहट ही है जो कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं की जुबान से अपि्द के रूप में सामने आती है ।
दलित कार्ड की विफलता से बौखलाहट
बीते कुछ समय से कांग्रेस ने दलितों , पिछड़ों , आदिवासियों और महिलाओं का समर्थन हासिल करने के लिए बकायदा सोची-समझी रणनीति के तहत योजनाबद्ध तरीके से काम करती हुई दिख रही थी । खास तौर से पिछले दिनों हुए यूपी और पंजाब सहित पांच राजयों के चुनावों में पहली बार पंजाब में दलित को मुखयमंरिी बनाना हो , उत्राखंड में जीतने पर दलित को मुखयमंरिी बनाने का वायदा करना हो या यूपी में 40 फीसदी सीटों पर महिला उममीदवारों को खड़ा करने की बात हो । यहां तक कि इससे पूर्व झारखंड में आदिवासी नेता को मुखयमंरिी बनाने के लिए बिना शर्त एकतरफा समर्थन का ऐलान भी इसी रणनीति के तहत किया गया था । लेकिन कांग्रेस के राज में हुए शोषण और उतपीड़न की यादों से आज भी पीछा छुड़ाने में नाकाम दलित , वंचित , आदिवासी या महिला मतदाता कांग्रेस के किसी भी वादे पर विशवास करने के लिए तैयार नहीं हैं । नतीजन तमाम वायदों और घोषणाओं के बाद भी कांग्रेस को कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है । यही वजह है कि इन उममीदों के धराशायी होने
की बौखलाहट में लगातार कांग्रेसियों की जुबान से अपि्द निकलता दिखाई पड़ता रहता है । अब तो हालत यह हो गई है कि झारखंड में आदिवासी नेतृतव से समर्थन वापस लेने का बहाना तलाशा जा रहा है और राज्थाि सरीखे गिने-चुने कांग्रेस शासित राजयों में अनुसूचित वगगों और महिलाओं का जिस बड़छे पैमाने पर उतपीड़न हो रहा है वह इस वर्ग से कांग्रेस के मोहभंग और अंदरूनी खिन्नता का ही परिचायक है ।
नाशहिं बुमधि विनाशहिं काल
कहावत है कि ‘ जाके प्रभु दारूण दुख देहीं , वा की मति पहिले हरि लेहीं ।’ ऐसा ही हो रहा कांग्रेस के साथ । आजादी के बाद दशकों तक लगातार देश में पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक एक्रि राज करने वाली कांग्रेस की मौजूदा दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है । इस समय इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस के पतन का सिलसिला आगे भी जारी ही रहने वाला है ्योंकि हार की हताशा और योजनाओं की विफलता से पनपी बौखलाहट में जिस तरह से तमाम सत्ा प्रततष््ठान्नों , संवैधानिक सं्थाओं और चुनावी प्रक्रियाओं से लेकर आम मतदाताओं तक पर कांग्रेस अपनी भड़ास निकाल रही है वह निकट भविष्य में उसका कुछ अच्ा होने का संकेत तो तब्कुि नहीं दे रहा है । उ्रा इस तरह की बातों और हरकतों से वह अपनी रही-सही प्रततष््ठा भी गंवा रही है जिसके कारण सत्ा विरोधी वोटों का भी उसके पक्ष में ध्ुवीकरण होने की संभावना दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ रही है । ऐसे में आवशयक और अपेक्षित है कि कांग्रेस अपनी गिरेबान में झांके और अधीर रंजन चौधरी जैसे नेताओं का मौन रहकर बचाव करने के बजाय उन पर कड़ी कार्रवाई करे । वर्ना अधीर जैसे नेताओं को आगे करके दलितों , आदिवासियों और महिलाओं का जिस तरह से अपमान कराया जा रहा है उसके परिणाम से बचने के लिए राष्ट्रपति को माफीनामा भेजने से कुछ भी हासिल नहीं होगा । आम लोगों को आहत करने और उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करने के दु्साहस का दुष्परिणाम कांग्रेस को भुगतना ही पड़छेगा । �
vxLr 2022 13