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महामहिम का महा-अपमान :
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जादी के 75 बरस बाद ऐसा शुभ समय आया है जब आदिवासी समाज को सत्ा और वयवसथा
के शीर्ष पर पहुंचने का मौका मिला है । प्रधानमंरिी
नहीं सहेगा हिन्ुस्ान
फिर बेनकाब हुई कांग्ेस की कु त्सित मानसिकता वंचितों का वोट बैंक खिसकने की बौखलाहट
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नरेनद् मोदी की अगुवाई में भाजपानीत राजग ग्ठबंधन के घटक व समर्थक दलों ने द्ौपदी मुर्मू के रूप में ऐसे राष्ट्रपति का चयन किया है जो वा्तव में भारत और भारतीयता की प्रतीक दिखाई पड़ती हैं । जहां एक ओर उनमें हर महिला ही नहीं बल्क सभी वंचित , शोषित , पीड़ित , उपेक्षित और पिछड़छे-दलित को अपना वा्ततवक प्रतिनिधि दिखाई पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर हर भारतवासी उनमें अपनी बहन और दीदी की छवि देख रहा है । मुर्मू के महामहिम बनने से ना सिर्फ सामाजिक वयव्था में सबसे निचले
पायदान पर खड़छे वर्ग को शासन वयव्था में प्रतिनिधितव मिलने का एहसास हो रहा है बल्क समूचे संसार में यह संदेश प्रसारित हुआ है कि भारतीय लोकतंरि में किसी भी ्तर पर किसी भी प्रकार के भेदभाव की कोई जगह नहीं है । विकसित पसशिमी देशों में जहां इ्कीसवीं सदी में भी काले-गोरे का भेदभाव है , सांप्रदायिकता का बोलबाला है और अधिकांश देशों में मूलनिवासियों को आज भी कई मामलों में भेदभाव और उतपीड़न का सामना करना पड़ रहा है वहीं भारत में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे
10 vxLr 2022