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वामपंथियों के रचे दूषित इतिहास
डॉ पुनीत बिसारिया
वनवयासी समयाज वयासतव में एक ऐसया समयाज है , जिसने अपनी परमपरयाएं , संस्कार और रीति-रिवयाज संरलक्त रखे है । लेकिन अपने जल , जंगल-जमीन में सिमटया यह समयाज शैलक्क आर्थिक रूप से पिछड़ा होने के कयारण राष्ट्र की विकयास ्यात्रया के ियाभों से वंचित है । यह सच है कि दलित तबकया शिक्षा , विकयास त्या धनयाज्गन के मूलभूत अधिकयारों से वंचित रखया र्या , किन्तु ऐतिहयालसक तथ् यह है कि अंग्रेजों को भयारत से खदेडने के लिए पहिया विद्ोह तिलकया मयांझी ने 1824 में उस समय लक्या ्या , जब उनहोंने अंग्रेज़ कमिश्नर किीवलैणड को तीर से मयार गिरया्या ्या । 1765 में खयासी जनजयालत ने अंग्रेज़ों के विरूद विद्ोह लक्या ्या । 1817 में खयानदेश आनदोिन , 1855 में सं्याि विद्ोह त्या 1890 में बिरसया मतुंडया कया आनदोिन अंग्रेज़ों के विरूद वनवयालस्ों के संघर्ष की गौरव रया्याएं हैं , किन्तु दतुभया्गग् की बयात है कि इतिहयाकयार 1857 को ही नवजयाररण कया प्रस्थान बिन्दु मयानते हैं और वनवयालस्ों के सशसत्र विद्ोह की उपेक्षा कर देते हैं ।
यह अत्नत क्ोभ की बयात है कि जिन वनवयालस्ों ने भयारतभूमि को अंग्रेज़ों के चंरतुि से बियाने के लिए संघर्ष छ़ेड़ा , उनहीं दीन-हीन अबोध वनवयालस्ों को स्वाधीनतया मिलने के बयाद से ही विकयास के नयाम पर उनके जल , जंगल और जमीन से खदेडने कया अलभ्यान शतुरू कर लद्या र्या । परिणयाम यह हतुआ कि जिन जंगलों में वनवयासी प्या्गवरण के सया् एकयातमतया स्थापित करते हतुए निवयास लक्या करते थे , उनहें विकयास की आवश्कतया के नयाम पर उजाड़ लद्या र्या और वहयां पर बड़े-बड़े कल-कयारखयाने , खदयान , बयांध आदि बनया दिए गए ।
यदि आंकडों पर गौर करें तो हम पयाते हैं कि
वनवयासी देश की कुल आबयादी कया 8.14 प्रतिशत भूभयार पर हैं और भयारत के भौगोलिक क्ेत्रफल के 15 प्रतिशत भूभयार पर ये निवयास करते हैं । भयारत कया संविधयान वनवयासी अथवया अनतुसूचित जनजयालत समयाज को अलग से परिभयालषत नहीं करतया किन्तु संविधयान के अनतुच्छेद-366 ( 25 ) के अनतर्गत " अनतुसूचित " कया सनदभ्ग उन समतुदया्ों में करतया है , जिनहें संविधयान के अनतुच्छेद-342 में अनतुसूचित लक्या र्या है । संविधयान के अनतुच्छेद-342 के अनतुसयार अनतुसूचित जनजयालत्यां वह वनवयासी ्या वनवयासी समतुदया् ्या इन वनवयासी समतुदया्ों कया भयार ्या उनके समूह हैं , जिनहें राष्ट्रपति द्वयारया एक सयाव्गजनिक अधिसूचनया द्वयारया इस प्रकयार घोषित लक्या र्या है । किसी समतुदया् के अनतुसूचित जनजयालत में विशिषटीकरण के लिए पयािन किए गए मयानदणड हैं , आदिम िक्णों कया होनया , विशिषट संसकृलत , भौगोलिक लबिरयांव , वृहत्तर समतुदया् से समपक्क में संकोच और पिछड़ापन । यह दतुखद तथ् हैं कि वनवयासी समयाज की 52 प्रतिशत आबयादी गरीबी की रेखया के नीचे जीवन्यापन करती है त्या 54 प्रतिशत वनवयालस्ों के पयास आर्थिक समपदया , संियार और परिवहन की पहतुंच रही है ।
भयारत में वनवयासी समूहों की संख्या-700 से अधिक है । सन् 1951 की जनगणनया के मतुतयालबक उनकी आबयादी 1,91,11 , 498 थी , जो सन् 2001 की जनगणनया में बढकर 8,43,26,240 हो गयी । वनवयालस्ों के निवयास की दृलषट से भयारत के क्ेत्र को ियार भयारों में वरटीकृत लक्या जया सकतया है । ये हैं- उत्तर पूवटी क्ेत्र , मध् क्ेत्र , पलशिमी क्ेत्र और दलक्णी क्ेत्र । उत्तर-पूवटी क्ेत्र के अनतर्गत हिमयाि्ी क्ेत्र और ब्ह्मपतुत्र की यमतुनया-पद्मया शयाखया के पूवटी भयार कया पर्वतीय क्ेत्र आतया है । यहयां रतुरूंर , लिंबू , लेपिया , आकया , डयाफल , अबोर , मिरी , मिशमी , सिंगपी ,
मिकिर , रयाम , कवयारी , रयारो , खयासी , नयारया , कुकी , ितुशयाई , चकमया , न्ीशी , आदी , रयािो , आपयातयानी , मोमपया , तयारीन , शेरदतुरूपेन , खयामती , सिंगफो , नयाक्टे , बयांगिू , तयांगसया , आकया , मिजी , मेमबया , बतु्ररतुन , मर्रम , रर्याम आदि प्रमतुख वनवयासी जनजयालत्यां निवयास करती हैं । मध् क्ेत्र कया विस्तार उत्तर प्रदेश के लमजया्गपतुर जिले से लेकर दलक्णी और रयाजमहल पर्वतश्ेणी के पलशिमी भयार से होतया हतुआ दलक्ण में गोदयावरी तक है । इस क्ेत्र सं्याि , मतुंडया , उरयांव , भूमिज , हो , खडि़्या , बिरहोर , जतुआंग , खोंडं , सवरया , गोंड , भील , बैरया , कोरकू , कमयार , असेर , बिरजया , हिल खलढ्या , कोरवया , मयाि पहयालड़्या , सौरर्या , सवर सहयारर्या , अबूझमयालड़्या , भयालड़्या , बतुक्सा , रलज्या आदि जनजयातीय लोग निवयास करते हैं । पलशिमी क्ेत्र में मध् पलशिम रयाजस्थान से होकर दलक्ण सहयाद्रि पर्वतश्ेणी तक कया पलशिमी भयार आतया है । इस भयार में मीजया , ठयाकुर , कटकरी , कोलम , मयालड़्या , ग्रेट अणडमयानी , जयारवया , ओंगे , सेंटनेली , शोमपेन आदि जनजयालत्यां निवयास करती हैं । दलक्ण क्ेत्र के अनतर्गत गोदयावरी के दलक्ण से कन्याकुमयारी तक कया समपूण्ग क्ेत्र आतया है । इस भयार में चेंचू , कोड़ा , रेड्ी , रयाजगौंड , को्या , कोियाम , कोटया , कम्माद , कयांडकयाफ , कोंडदोरया ,
42 दलित आंदोलन पत्रिका vxLr 2021