ouoklh
2005-06 के अनतुसयार इनकी कुल जनसंख्या 34122 थी । वर्तमयान में इनकी जनसंख्या बढ़कर लगभग 40 हजयार से अधिक हो गई है । पहयाडी कोरवया जनजयालत की उतपलत्त के संबंध में ऐतिहयालसक प्रमयाण उपलबध नहीं है । कयािोनिल डयाॅ्टन ने इनहें कोियारियन समूह से निकली जयालत मयानया है । किवदंतियों के आधयार पर अपनी उतपलत्त रयाम-सीतया से मयानते हैं । वनवयास कयाि में रयाम-सीतया व लक्मण धयान के एक खेत के पयास से रतुजर रहे थे । पशतु-पलक््ों से फसल की सतुरक्षा हेततु एक मयानवयाकयार पतुतले को धनतुष-बयाण पकडयाकर खेत के मेढ़ में खडया
कर लद्या ्या । सीतया जी के मन में कौततुहल करने की सूझी । उनहोंने रयाम से उस पतुतले को जीवन प्रदयान करने को कहया । रयाम ने पतुतले को मनतुष् बनया लद्या यही पतुतिया कोरवया जनजयालत कया पूर्वज ्या । एक अन् मयान्तया के अनतुसयार शंकर जी ने सृलषट कया लनमया्गण लक्या । ततपश्चात् उनहोंने सृलषट में मनतुष् उतपन्न करने कया लवियार लेकर रेतनपतुर रयाज् के कयािया और बयािया पर्व से मिट्टी लेकर दो मनतुष् बनया्े । कयािया पर्वत की मिट्टी से बने मयानव कया नयाम कइिया त्या बयािया पर्वत की मिट्टी से बने हतु्े मयानव कया नयाम घतुमया हतुआ । ततपश्चात् शंकर जी ने दो नयारी मूर्ति
कया लनमया्गण लक्या जिनकया नयाम लसलद त्या बतुलद ्या । कइिया ने लसलद के सया् विवयाह लक्या , जिनसे तीन संतयानें हतुईं पहले पतुत्र कया नयाम कोल , दूसरे पतुत्र कया नयाम कोरवया त्या तीसरे पतुत्र कया नयाम कोडयाकू हतुआ । कोरवया के भी दो पतुत्र हतु्े । एक पतुत्र पहयाड में जयाकर जंगलों को कयाटकर दलह्या खेती करेन िरया , पहयाडी कोरवया कहिया्या । दूसरया पतुत्र जंगल को सयाफ कर हल के द्वयारया स्थाई कृषि करने िरया , डिहयारी कोरवया कहिया्या ।
भुंजिया : भतुंलज्या जनजयालत कया संकेनद्ण प्रमतुख रूप से रयाज् के गरर्याबंद , धमतरी एवं महयासमतुंद जिले मे है । जनगणनया 2011 अनतुसयार छत्तीसगढ़ रयाज् मे भतुंलज्या जनजयालत की जनसंख्या 10603 है । इनमें सत्री-पतुरूष लिंरयानतुपयात 1029 है । इनकी साक्षरतया दर 50.93 प्रतिशत है जिसमे पतुरूष साक्षरतया 64.19 एवं सत्री साक्षरतया 38.04 प्रतिशत है । भतुंलज्या जनजयालत की चैखतुलट्या भतुंलज्या एवं चिंदया भतुंलज्या दो उपजयालत्यां है । मयान्तया अनतुसयार चैखतुलट्या भतुंलज्या जनजयालत की उतपलत्त हल्बा पतुरूष एवं गोंड मलहिया के विवयाह से मयानया जयातया है वही रिज़ले ने चिंदया भतुंलज्या की उतपलत्त बिंझवयार एवं गोंड जनजयालत से मयानी है । अन् अवधयारणया अनतुसयार आग मे जलने के कयारण इनहें भतुंलज्या कहया जयाने िरया ।
भतुंलज्या जनजयालत ग्रयामों मे क्ेत्र की गोंड , कमयार आदि समतुदया्ों के सया् निवयासरत है । इनके घर सयामयान्तः 02-03 कमरों के होते है । घर प्रया्ः मिट्टी के बने होते है । फर्श की लिपयाई गोबर मिट्टी से प्रतिदिन की जयाती है । भतुंलज्या जनजयालत अपने आवयास की सयाफ-सफयाई एवं सवचछतया कया विशेष ध्यान रखते है । चैखतुलट्या भतुंलज्या लोग अपने घरों में पृथक से रयांधया घर बनयाते है जिसकी छत प्रया्ः घयास-फूंस की होती है व दिवयारे क्ेत्र मे पया्ी जयाने वयािी विशिषट प्रकयार की ियाि मिट्टी से पतुतयाई की हतुई होती है । जो पृथक से दिखयाई पड़ती है । इनमे रयांधया घर को ’’ ियाि बंरिया ’’ कहया जयातया है । ियाि बंरिया के संबंध में मयानया जयातया है कि यहयां इनकया देव स्थान होतया है । इस रयांधया घर को गोत्रज सदस् के अतिरिकत अन् कोई सपश्ग नही कर सकते है । �
vxLr 2021 दलित आंदोलन पत्रिका 41