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प्रतिबंध की वजह से स्थाई ग्रयाम बसने लगे हैं ।
कमार : कमयार जनजयालत गरर्याबंद जिले की गरर्याबंद , छूरया , मैनपतुर त्या धमतरी जिले के नगरी त्या मगरलोड विकयासखणड में मतुख्तः निवयासरत हैं । महयासमतुंद जिले के महयासमतुंद एवं बयारबयाहरया विकयासखणड में भी इनके कुछ परिवयार निवयासरत हैं । इस जनजयालत को भयारत सरकयार द्वयारया ‘‘ विशेष पिछड़ी जनजयालत '' कया दजया्ग लद्या र्या है । 2011 की जनगणनया अनतुसयार रयाज् में इनकी जनसंख्या 26530 दर्शित है । इनमें 13070 पतुरूष एवं 13460 स्त्रियाँ हैं । कमयार जनजयालत अपनी उतपलत्त मैनपतुर विकयासखणड के देवडोंगर ग्रयाम से बतयाते हैं । इनकया सबसे बडया
देवतया ‘‘ वयामन देव ” आज भी देवडोंगर की ‘‘ वयामन डोंगरी ” में स्थापित है ।
इस जनजयालत के लोगों के मकयान घयास फूस ्या मिट्टी के बने होते हैं । मकयान में प्रवेश हेततु एक दरवयाजया होतया है , जिसमें लकड़ी ्या बयाँस कया किवयाड होतया है । छपपर घयास फूस ्या खपरैल की होती है । दीवयारों पर सफेद मिट्टी की पतुतयाई करते हैं । फर्श मिट्टी कया होतया है , जिसे स्त्रियाँ गोबर से लीपती हैं । घरेलू वस्तुओं में मतुख्तः चककी , अनयाज रखने की कोठी , बयांस की टोकनी , सूपया , चटयाई , मिट्टी के बर्तन , खयाट , मूसल बयांस बर्तन बनयाने के औजयार , ओढ़ने बिछयाने त्या पहनने के कपड़े , खेती के औजयार जैसे - गैती ,
फयावडया , हंलस्या , कुल्हाड़ी आदि । इस जनजयालत के लोग शिकयार करते थे , तीर-धनतुष त्या मछली पकड़ने कया जयाि प्रया्ः घरों में पया्या जयातया है ।
बैगा : बैरया छत्तीसगढ़ की एक विशेष पिछड़ी जनजयालत है । छत्तीसगढ़ में उनकी जनसंख्या जनगणनया 2011 में 89744 दशयाई गई है । रयाज् में बैरया जनजयालत के लोग मतुख्तः कवधया्ग और लबियासपतुर जिले में पया्े जयाते हैं । मध् प्रदेश के डिंडौरी , मंडिया , जबलपतुर , शहडोल जिले में इनकी मतुख् जनसंख्या निवयासरत है । बैरया जनजयालत के उतपलत्त के संबंध में ऐतिहयालसक प्रमयाण उपलबध नहीं है । रसेल , ग्रियर्सन आदि
vxLr 2021 दलित आंदोलन पत्रिका 39