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आरक्षण के मसले पर कांग्ेस ने किया था डॉ . आंबेडकर का विरोध
अरविंद जयतिलक
जब भयारत के प्रमतुख लवद्वयान के तौर पर डया . अंबेडकर को भयारत सरकयार अधिनियम 1919 तै्यार कर रही सयाउथ बोरोह समिति के समक् गवयाही देने के लिए आमंत्रित लक्या र्या तो उनहोंने सतुनवयाई के दौरयान दलितों एंव अन् धयालम्गक समतुदया्ों के लिए पृथक लनवया्गलिकया और आरक्ण की मयांग की . डया . अंबेडकर के इस मयांग की तीव्र आलोचनया हतुई और उन पर आरोप िरया कि वे भयारतीय राष्ट्र एवं समयाज की एकतया को खंडित करनया ियाहते हैं . लेकिन सच तो यह है उनकया इस तरह कया कोई उद्े् नहीं ्या . उनकया असल मकसद उन रुढि़वयादी हिंदू रयाजनेतयाओं को सतर्क करनया ्या जो जयातीय भेदभयाव से िडने के प्रति कतई गंभीर नहीं थे .
इंगिैंड से लौटने के बयाद जब उनहोंने भयारत की धरती पर कदम रखया तो समयाज में छुआछुत और जयालतवयाद चरम पर ्या . उनहें िरया कि यह सयामयालजक कुप्रवृत्ति और खंडित समयाज देश को कई हिससों में तोड देरया . सो उनहोंने हयालशए पर खड़े अनतुसूचित जयालत-जनजयालत एवं दलितों के लिए पृथक लनवया्गलिकया की मयांग कर परोक् रुप से समयाज को जोडने की दिशया में पहल तेज कर दी . अपनी आवयाज को जन-जन तक पहतुंियाने के लिए उनहोंने 1920 में , बंबई में सयाप्ताहिक मूकनया्क के प्रकयाशन की शतुरुआत की जो शीध् ही पयाठकों में लोकप्रिय हो र्या . दलित वर्ग के एक सममेिन के दौरयान उनके दिए गए भयाषण से कोल्हापतुर रयाज् कया स्थानीय शयासक शयाहतु चततु््ग बेहद प्रभयालवत हतुआ । डया . आंबेडकर के सया् उसकया भोजन करनया रुढि़वयाद से ग्रसत
भयारतीय समयाज को झकझोर लद्या . डया . आंबेडकर मतुख्धयारया के महतवपूर्ण रयाजनीतिक दलों को जयालत व्वस्था के उनमूिन के प्रति नरमी पर वयार करते हतुए उन नेतयाओं की भी कटु आलोचनया की जो असपृश् समतुदया् को एक मयानव के बजयाए करुणया की वस्तु के रुप में देखते थे .
लब्लटश हतुकूमत की विफलतयाओं से नयारयाज अंबेडकर ने असपृश् समतुदया् को समयाज की मतुख् धयारया में ियाने के लिए एक ऐसी अलग रयाजनैतिक पहियान की वकयाित की जिसमें कयांग्रेस और लब्लटश दोनों कया कोई दखल न हो . 8 अगसत 1930 को उनहोंने एक शोषित वर्ग के सममेिन के दौरयान अपनी रयाजनीतिक दृलषट को दतुलन्या के सयामने रखया और कहया कि ‘ हमें अपनया रयास्ता सव्ं बनयानया होरया और सव्ं रयाजनीतिक शलकत शोषितों की समस्याओं कया निवयारण नहीं
हो सकती . उनको लशलक्त करनया ियालहए , उनकया उदयार समयाज में उनकया उचित स्थान पयाने में निहित है . उनको अपनया रहने कया बतुरया तरीकया बदलनया होरया . उनको लशलक्त होनया ियालहए . एक बडी आवश्कतया उनकी हीनतया की भयावनया को झकझोरने और उनके अंदर दैवीय असंतोष की स्थापनया करने की है , जो सभी ऊंियाइयों कया स्ोत है . इस भयाषण में डया . आंबेडकर ने कयांग्रेस की नीतियों की जमकर आलोचनया की .
दरअसल डया . आंबेडकर ही एकमयात्र रयाजनेतया थे जो छुआछुत की निंदया करते थे . जब 1932 में लब्लटश हतुकूमत ने उनके सया् सहमति व्कत करते हतुए अछूतों को पृथक लनवया्गलिकया देने की घोषणया की तब महयात्मा रयांधी ने इसके विरोध में पतुणे की यरवदया सेंट्रल जेल में आमरण अनशन शतुरु कर लद्या . यह डया . आंबेडकर कया प्रभयाव ही
36 दलित आंदोलन पत्रिका vxLr 2021