eMag_Aug2021_DA | Page 34

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गोविंद निहियानी , मीरया नया्र , दीपया मेहतया जैसे लनदजेशकों की वजह से मतुद्े और नया्क की परिभयाषया बदली । उधर बयाजयार की सत्तया द्विज नियंत्रित होने के कयारण , सयामंती मयानसिकतया वयािे पतुरुषों के आधिपत् में सत्री आइटम गर्ल और हीरो की सहरयालमनी बनकर रह गई । इधर दलित उपेलक्त रह र्या ।
भयारतीय सिनेमया की समझ को देखें तो , हिनदी सिनेमया की ततुिनया में हॉलीवतुड लफ्म ने चरित्र , लेखन , इतिहयास आदि पर ज्यादया संजीदगी से कयाम लक्या है । कहीं न कहीं यह अमेरिकी समयाज के बदियावों को भी प्रतिबिंबित करतया है । यही वजह है कि अमेरिकया के प्रेसिडेंट एक नया्क की तरह बरयाक ओबयामया बन पयाते हैं । कयािे लोगों के जीवन पर आधयारित , संघर्ष और सच्ची घटनयाओं कया हॉलीवतुड लफ्मों में भरमयार है । यहयाँ कयािे नया्क किसी भी गोरे नया्क से कम नहीं । सयामयालजक न्याय की इच्छाशलकत सयाफ- सयाफ झलकती है । जिसमें कुछ कलम्यां हो भी तो , नजरअंदयाज लक्या जया सकतया है , क्ोंकि संभयावनया बहतुत है ।
अशवेत लोगों को केंद् में रखकर बनी कुछ पॉपतुिर सतुपर हीरो की लफ्में जिनमें- कैटवतुमन 2004 , हैनकॉक 2008 , बिेड 1998 -2004 , सटोम्ग कया चरित्र फ़ि्म एकस मैन 2000-2014 , बिैक पैंथर 2019 ( सबसे प्रलसद अशवेत सतुपर हीरो ). इन लफ्मों के अशवेत किरदयार वहयाँ की लफ्मों में 21वीं सदी के सतुपर हीरो हैं । इसमें कोई दो रया् नहीं की शवेत सतुपर हीरो सतुपरमैन , स्पाइडर मैन , बैटमैन इत्यादि की प्रलसलद ज्यादया है । इसके बयावजूद नजरर्या मया्ने रखतया है और इसी नजरिए में मलहिया सतुपर हीरो ‘ वंडर वतुमन ’, ‘ सतुपर गर्ल ’, ‘ सटॉम्ग ’ इत्यादि के किरदयार भी नजर आते हैं । यह बदियाव कया नजरर्या हीं है , जिसकी वजह से बयाजयार में ‘ बिैक सतुपर हीरो ’ और ‘ मलहिया सतुपर हीरो ’ की सवीकृति और प्रलसलद बढ़ी है ।
20 के दशक में कयािे लोगों को केंद् में रखकर कई सतुपर हीरो लफ्म बन ितुकी थी । इसके अियावया कयािे लोगों को केंद् में रखकर कई बेहतरीन हिट लफ्में जिनमें - ‘ रेस ’ 2016 जो जेसी ओवेंस की जिंदगी पर आधयारित थी ,
‘ रिमेंबर द टयाइटंस ’ एक बिैक फुटबॉल कोच की जिंदगी पर आधयारित , ‘ अली ’ 2001 , ‘ टवे्व ईयर ए सिेव ’ 2013 , सयाि 2015 में आई फ़ि्म “ द मैन हू न्ू इनफिनिटी ” जो भयारत के महयान गणितज् रयामयानतुजन की जिंदगी पर आधयारित है । लफ्म में एक भयारतीय के सया् नसिी् पूवया्गग्रह कया वह रूप दिखयाई पडतया है जो अशवेतों के समयान है । एक शवेत प्रोफेसर हार्डी की वजह से रयामयानतुजन उस मतुकयाम तक पहतुंच पयाते हैं , जिसे आज हमसब जयानते हैं ।
ऐसी कई हॉलीवतुड की लफ्में हैं , जिनकी ततुिनया हिनदी लफ्मों के गिने-ितुने दलित केंलद्त लफ्मों से की जया सकती है । इन लफ्मों की सवीकया््गतया सिर्फ कयािे लोगों के बीच नहीं अपिततु अमेरिकया में रह रहे कई शवेत लोगों के बीच भी उतनी ही प्रलसलद के सया् प्रिय है । इसलिए भी , जब जॉर्ज फिॉ्ड नयामक एक अशवेत की मई 2020 में , शवेत पतुलिसवयािों की वजह से मृत्यु हो जयाती है , तो उसके समर्थन में अमेरिकया के हर रंग के लोग एक सया् खड़े नजर आते हैं । अमेरिकया के इतिहयास में अशवेत आनदोिनों के अियावया , शवेत लोगों कया अशवेतों के लिए समर्थन , रयाजनैतिक इच्छाशलकत और शिक्षा-दीक्षा
इन सब की वजह से जो मयानसिकतया बदली है । कुछ कमियों के बयावजूद उस बदली मयानसिकतया कया प्रतिबिंब , सिनेमया और समयाज कया एकदूसरे की जवयाबदेही में दिखतया है ।
हमयारे यहयाँ जो भी दलित केंलद्त लफ्में इस दौर में बनी हैं ्या तो उसमें से कई किरदयार लफ्म की कहयानी कया एक हिस्सा मयात्र है ्या किसी घटनया पर केंलद्त हैं , नहीं तो गौण रूप से मौजूद हैं । लेकिन अगर हम प्रभयाव क्ेत्र की बयात करें तो दलित किरदयारों कया वह प्रभयाव उस तरह से देखने को नहीं मिलतया है , जो कि कयािे लोगों पर केंलद्त सिनेमया में देखने को मिलतया है । जबकि अशवेत लोगों को कया्दे से बहतुत सयारे अधिकयार जिसमें से वोट देने कया अधिकयार भी है 70 के दशक के आसपयास लमिया । जबकि हिंदतुस्तान 1947 में आजयाद हो र्या और 1950 में हमयारया गणतंत्र भी ियारू हो र्या । बरयाबरी कया , दलितों से बयाद मिले अधिकयार के बयावजूद कयािे लोग सयामयालजक न्याय में हिंदतुस्तान की ततुिनया में कयाफी आगे रहे , जबकि हमयारे यहयाँ सवर्ण मयानसिकतया की बयाधया के वजह से सयामयालजक न्याय कया प्रीतिनिधितव रेंग-रेंग कर बढ रहया है । दूसरी ओर सवर्ण समयाज कया जयालत की मयानसिकतया , जो
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