eMag_Aug2021_DA | Page 32

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हिन्ी सिनेमा में दलित नायक

कुमार भासकर

हिं

दतुस्तान की महयाकयाव् परमपरया में नया्क के लिए िक्ण होते थे । आिया््ग विशवनया् के अनतुसयार “ महयाकयाव् कया नया्क कुलीन , क्लत्र् ्या देवतया होनया ियालहए ”। जयालत और देवतव कया भयाव समय के सया् आधतुलनक सयालहत् में तो खतम हो र्या , लेकिन समयाज से यह भयाव नहीं र्या । भयारतीय समयाज को देखें तो , अमूमन “ नया्क के लिए आदरभयाव जयातीय संस्कारों से प्रेरित होते हैं ।” महयाराष्ट्र और दलक्ण प्रयांतों में दलित सरोकयार नेतृतव और सयामयालजक आनदोिनों के चलते वहयां की सयामयालजक समझ में परिवर्तन आ्या । सया् ही दलित समयाज में अपने नया्कों के प्रति जयाररूकतया और आतमसम्मान कया भयाव विकसित हतुआ । लेकिन हिनदी पट्टी और उससे लगे क्ेत्र , जिसमें उत्तर प्रदेश , बिहयार , मध्प्रदेश , रयाजस्थान , रतुजरयात आदि को देखें तो यहयां सयामयालजक न्याय के आनदोिनों कया प्रभयाव तो पडया , लेकिन उसे कया्म रखने में उतनया कयाम्याब नहीं हो सकया । जिस कयारण इधर के कई दलित भी
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ब्राह्मणवयाद की चपेट में आए हतुए हैं । आंबेडकर को भी मयानेंगे , पंडित से पूजया भी करयाएंगे । इस दोहरी मयानसिकतया के कयारण ही दलित आनदोिन कमजोर हतुआ है । इसलिए भी पिछड़े / दलितों ने अपने नया्कों से ज्यादया सवर्ण जयालत के नया्कों को अपने दिलों में स्थान लद्या है । ्या यूँ कहें की उनहें बड़ा नया्क बनयाने में सहयोग लद्या । इसमें कोई संदेह नही की नया्कों की जयालत मया्ने नही रखती है । लेकिन सवीकया््गतया के पीछ़े जयातीय मयानसिकतया हो तो सवयाि पैदया होरया हीं । जो भी हतुआ जयाररूकतया और नेतृतव के अभयाव में हतुआ ।
दलित नया्कों के योगदयान को सयालजशन और पयारमपरिक जयातीय दमभ की मयानसिकतया के कयारण समयाज कया उच्च तबकया कम करके आंकतया है । ऊंची जयालत के सभी लोग तो नही , लेकिन ज्यादयातर उच्च वर्ग किसी दलित को नया्क मयानतया भी है तो , उसमें छियावया अधिक होतया है । नहीं तो अपने रंग में रंगकर सवीकयार करतया है । जयालत की मयानसिकतया से ग्रसित हमयारया समयाज , बिनया किसी द्विज ठपपे के किसी दलित नया्क
को सवीकर नहीं करतया है । नया्क के प्रति कुलीनतया बोध , उसी पतुरयानी महयाकयाव् की परमपरया के समयान , समयाज में मौजूद है । जिस प्रकयार तमयाम आधतुलनक बोध के बयाद भी अंधविश्वास , कर्मकयांड और ब्राह्मणवयाद हमयारे समयाज कया अहम हिस्सा है ।
90 के दशक से व्वसयाल्क / फयामू्गिया सिनेमया कया उठयान होतया है , जो 90 से 20 के दशक में और भी रफ्तार पकडतया है । यह दौर सलमयान , अक्् , रवीनया , मयाधतुरी शयाहरुख , गोविंदया , करिश्मा कया है । इनहीं के सया्-सया् करण जौहर , ड़ेलवड धवन , सतुभयाष घई , यश चोपड़ा , सूरज बडजयात्या जैसे व्वसयाल्क सिनेमया के सफल लनदजेशकों कया भी है । भूमंडलीकरण की वजह से सिनेमया के व्वसया् को कयाफी मदद मिली । इसकी वजह से लफ्मों कया बयाजयार बढ जयातया है । धीरे-धीरे म्टीपिेकस कया दौर आतया है । जिसमें पीवीआर , m2k , सिनेपोलिस जैसे इलीट किसम के सिनेमयाघर आ जयाते हैं । ये सिनेमयाघर मध्मवरटी् समयाज को अभिजयात्तया कया बोध करयातया है । सयामयालजक