fjiksVZ
अहेरिया , बहेलिया , करवल और पसिया समाज को मुख्यधारा में आगे लाने की हुई अपील
• अहेरिया समाज ने डॉ . रामबाबू हरित का मथुरा में किया अभिनंदन
• डॉ . विजय सोनकर शास्ती ने उठाई अहेरिया — बहेलिया के अधिकार और सम्ान की आवाज
v
खिल भयारतीय अहेरर्या , बहेलि्या , करवल और पलस्या समयाज के एक सममेिन में राष्ट्रीय अनतुसूचित जयालत और जनजयालत आयोग , भयारत सरकयार के अध्क् रह ितुके पूर्व सयांसद डॉ . विजय सोनकर शास्त्री और रयाज् अनतुसूचित जयालत आयोग , उप्र सरकयार के अध्क् डॉ रयामबयाबू हरित , श्ी श्याम सिंह अहेरर्या के सया् अनेकों अन् अतिथिगण उपलस्त थे । इस अवसर पर बडी संख्या में उपलस्त अहेरर्या , बहेलि्या , करवल और पलस्या समयाज के लोगों को संबोधित करते हतुए डॉ . शास्त्री ने ्याद लदिया्या
कि जब समयाज सो रहया ्या तब डॉ आमबेडकर जयार रहे थे , लेकिन अब जबकि समयाज जयार ितुकया है इसलिए दलित नेतयाओं को और भी बढ — िढ कर सलक््तया के सया् प्रतिनिधितव करने की आवश्कतया है ।
अहेरिया — बहेलिया समाज को न्ाय का इंतजार
अपने संबोधन में डॉ . शास्त्री ने इस बयात पर दतुख जतया्या कि अहेरर्या — बहेलि्या समयाज के सया् मध् कयाि से लेकर लब्लटश कयाि और अब सवतंत्र भयारत में भी अन्याय हो रहया है ।
उनहोंने बतया्या कि इस जयालत के लोगों कया पेशया शिकयार करनया ्या और ये अकसर जंगली सूअर कया शिकयार करते थे जिसकी वजह से मतुरि शयासक इनसे नफरत करते थे । जबकि मतुरि कयाि से पूर्व यह शयासक समयाज ्या और इस समयाज के लोगों कया रयाज — पयाट ्या , जमींदयारी थी और बड़े — बड़े महल थे । लेकिन मतुरिों ने अपनी नफरत के कयारण इनहें दर — बदर कर लद्या । उस दौरयान रयाणया प्रतयाप के नेतृतव में ये लोग मतुरिों से लड़े । बयाद में लब्लटश हतुकूमत के लखियाफ जब 1857 में क्रांति कया लबरतुि बजया तो इस समयाज ने अंग्रेजों को अपनया दतुशमन मयान
22 दलित आंदोलन पत्रिका vxLr 2021