उनहोंने उस कालखंड में जनम लिया , जब देश पर मुगलों का शासन था । समाज अलसिरता , उतपीड़न और अतयाचार से जूझ रहा था । उस समय भी रविदास जी समाज को जागा रहे थे । उसे उसकी बुराइयों से लड़ना सिखा रहे थे ।
इस अवसर पर राजय के मुखयमंत्ी शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह मधयप्रदेश के लिए , बुंदेलखंड के लिए और सागर के लिए सौभागय का दिन है कि संत शिरोमणि रविदास जी महाराज , उनका दिवय , भवय और आलौकिक मंदिर इस धरती पर बनने जा रहा है । संत रविदास जी महाराज भारत को जोड़ने वाले संत थे ।
ऐसा होगा संत रविदास का मंदिर
संसकृवत और रचनातमक के साथ संत रविदास के कृतिति-वयलकतति को प्रदर्शित करने वाला मयूवजयम का निर्माण भी इसी परिसर में होगा । मयूवजयम में चार गैलरी बनेगी , जिनमें भलकत मार्ग , निर्गुण पंथ में योगदान , संत जी का दर्शन और उनके साहितय , समरसता का विवरण भी रहेगा । लाइब्ेरी के अलावा संगत हाल , जल कुंड , भकत निवास भी बनेगा , जो आधयालतमक और आधुनिक सुविधाओं से युकत होगा । भकत निवास में देश-विदेश से संत रविदास के अनुयायी और अधयेता आएंगे , जिनहें संत जी के जीवन से प्रेरणा मिलेगी । पनद्रह हजार वर्गफुट में भोजनालय का निर्माण होगा । मंदिर में दो भवय प्रवेश द्ार होंगे , सीसीटीवी कैमरे और लाइटिंग की वयिसिा भी रहेगी । वासतु और विनयास अनुसार संत रविदास का मंदिर अधयातम कला मयूवजयम भी होगा , जो श्द्धा , आसिा और भलकत का अभूतपूर्व सिल होगा । दार्शनिक और अधयेता और जिज्ासु भी देश-विदेश से आएंगे । संत रविदास का कृतिति-वयलकतति और दर्शन पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायी होगा ।
संत रविदास मंदिर-समारक 11.29 एकड़ जमीन पर 100 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाना है । इसकी दीवारों पर संत रविदास के दोहे और शिक्षाएं उकेरी जाएंगी । पूरा प्रोजेकट
नागर शैली में होगा । मंदिर में संत रविदास की कमल पुषप पर विराजित प्रतिमा सिावपत की जाएगी । कला वीथिका भी बनेगी । भकत निवास के साथ कई अनय चीजें भी बनेंगी । संत रविदास मंदिर के लिए पूरे प्रदेश के 53 हजार गांवों से मिट्टी और 350 नदियों का जल लाया गया है । संत रविदास के मंदिर परिसर में 12,500 वर्गफीट में भकत निवास का निर्माण जाएगा । इसमें यहां आने वाले श्द्धालुओं के ठहरने के लिए 15 एसी रूम बनाए जाएंगे । इसके अलावा 80 लोगों के ठहरने के लिए डोरमेट्ी ( शयन कक्ष ) का निर्माण होगा । मंदिर परिसर में आने वाले यावत्यों के लिए 15,000 वर्गफीट में सर्व सुविधायुकत फूड कोर्ट भी प्रसतावित है । संत रविदास महाराज के जीवन वृतांत का वचत्ण पूरे परिसर में मयूरल और सक्पचर के माधयम से किया जाएगा । मंदिर परिसर में भकतों के आवागमन के लिए दो भवय प्रवेश द्ार बनाए जाएंगे । वहीं पावकिंग भी रहेगी । इसके अलावा सुरक्षा की दृलषट से पूरे परिसर में सीसीटीवी लगाए जाएंगे । फायर फाइटिंग , लाइटिंग आदि की वयिसिा रहेगी , ताकि मंदिर में होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके । संसकृवत संचालनालय की ओर से संत रविदास मंदिर को लेकर जारी उद्ेशय में लिखा है- ' मन चंगा तो कठौती में गंगा ' का मूल मंत् प्रसतावित करने वाले संत रविदास के जीवन और उनकी वाणियों को मानव क्याण के लिए विभिन्न माधयमों में अभिवयकत करने के साथ मधयप्रदेश की वर्तमान भौगोलिक सीमा से संबद्ध संतों के जीवन और उनकी वाणियों का विविध रूपों में प्रदर्शन करना ही इस प्रोजेकट का उद्ेशय हैं ।
संत रविदास
संत रविदास का जनम काशी में हुआ था । काशी को ही उनका निवास सिान माना गया है । उनके जनमकाल के विषय में विद्ानों में मतभेद हैं । कहीं उनका जनम 1376 ईसवीं और कहीं 1377 ईसवीं और कहीं 1398 ईसवीं माना जाता है । रैदास की परिचय में जनमकाल का उ्लेख नहीं है । भकतमाल और डॉ . भंडारकर के अनुसार उनका जनम 1299 ईसवीं में हुआ था । डॉ . भगवतव्रत वमश् के अनुसार कवि का जनमकाल 1398 ईसवीं और मृतयुकाल 1448 ईसवीं के मधय होना चाहिए । उनका जनम काशी के गोवर्धनपुर गांव में हुआ । उनकी माता का नाम कलसादेवी तथा पिता संतोखदास थे । उनकी पत्ी का नाम लोनाजी और पुत् का नाम विजय दास था । रविदास कबीर को अपना आधयालतमक गुरु मानते थे । कबीर के कहने पर ही उनहोंने पं . रामानंद को अपना गुरु बनाया । संत रविदास महाराज ने जात-पात का घोर खंडन किया और आतम-ज्ान का मार्ग दिखाया । बुंदेलखंड में संत रविदास के अनुयायी अधिक संखया में हैं ।
नरयावली विधायक प्रदीप लारिया कहते हैं कि बुंदेलखंड में संत रविदास महाराज को मानने वालों की संखया अधिक है । गांव-गांव में संत रविदास के अनुयायी हैं । भाजपा लगातार सागर में संत रविदास महाकुंभ का आयोजन करती आ रही है । इसमें समाज के लोग बढ़-चढ़कर हिससा लेते हैं । सागर में चार बार संत रविदास महाकुंभ का आयोजन हो चुका है । लगातार अनय कार्यक्रम भी होते रहते हैं । लोगों की आसिा को देखते हुए मंदिर निर्माण के लिए सागर जिले का चयन किया गया है । �
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