eMag_Aug 2023_DA | Page 41

सोसाइटी के अंतर्गत 1946 में , बंबई में सिद्धार्थ महाविद्ालय और 1950 में औरंगाबाद में मिलिंद महाविद्ालय की सिापना की । इसके साथ ही 1953 में , बंबई में सिद्धार्थ वाणिजय और अर्थशासत् महाविद्ालय एवं बंबई में , सिद्धार्थ विधि महाविद्ालय की सिापना की । शिक्षा से सालों तक उपेक्षित समुदाय को शिक्षा का महत्ि बताते हुए उनहोंने कहा , “ शिक्षा वह शेरनी का
दूध है जिसे जो पिएगा वह दहाड़ेगा ”
समाज सुधारक रायबहादुर सीताराम केशव के प्रयासों से 4 अगसत 1923 को बंबई विधान परिषद में एक प्रसताि पास हुआ , जिसके अनुसार अछूतों , दलितों , पिछड़ों को सार्वजानिक जगहों का उपयोग करने की उनहें अनुमति मिल गई । कानूनी अधिकार मिलने के बावजूद भी तथाकथित उच् कहलाने वाली कुछ जातियों
के लोगों ने , इसे सिीकार नहीं किया । महाड़ नामक बसती में चवदार तालाब के पानी का उपयोग अछूतों ने भी करना चाहा , लेकिन महाड़ बसती के सवर्ण इसके विरुद्ध थे । महाड़ के दलित कार्यकर्ताओं ने बाबा साहब को इस प्रकार के वयिहार के बारे में बताया । 19-20 मार्च 1927 में बाबा साहब के नेतृति में दलितों ने इसके विरुद्ध आंदोलन प्रारंभ किया । बड़ी संखया
vxLr 2023 41