करने की । जब सिाधीनता संग्ाम का 1920 से लेकर 1922 का कालखंड खतम होता है तो उसके बाद भारत के लिए शासन वयिसिा में सुधार और जन अधिकारों को लेकर संवैधानिक प्रविधान में सुधार की मांग तेज होने लगी थी । परिणामसिरूप 1924 में अलेकजेंडर मुडिमैन की अधयक्षता में एक रिफार्म समिति का गठन किया गया । उनहोंने कुछ संवैधानिक सुझाव दिए थे जिसको कांग्ेस ने असिीकार कर दिया था ।
इसके कुछ अंतराल के बाद साइमन कमीशन का गठन हुआ जिसका जोरदार विरोध हुआ था । साइमन कमीशन जब भारत आया था , तब देश के कई हिससों में हिंसक वोध प्रदर्शन भी हुए थे । इसी दौर में ही इतिहास का एक बेहद दिलचसप मोड़ है , जिसकी चर्चा कम होती है । हुआ ये कि साइमन कमीशन की घोषणा के पूर्व भारतीय मामलों को सचिव लार्ड बर्कनहेड ने उस समय के भारतीय नेताओँ को एक सर्वमानय संविधान बनाने की चुनौती दी । उनको मालूम था कि मुलसलम लीग के नेता जिन्ना आदि कांग्ेस
vxLr 2023 37