eMag_Aug 2023_DA | Page 28

bfrgkl

दलित विरोधी है कांग्ेस डॉ . आंबेडकर ने बताया था अपने भाषण में

बृजेश जविवे्दी

डॉ

. उनहोंने तब संविधान में उन चीजों
भीमराव आंबेडकर समय से आगे की सोच रखने वाले जननायक थे ।
को शामिल किया था , जो आज तक कई देश नहीं कर पाए हैं । पहली कैबिनेट का हिससा होने के बावजूद , कांग्ेस के अधिकांश नेताओं के साथ बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के संबंध अपेक्षाकृत मजबूत आधार पर टिके थे , लेकिन इसके विपरीत , भारत के पहले प्रधानमंत्ी जवाहरलाल नेहरू के साथ उनके संबंधों के बारे में बहुत कम जानकारी ही सामने आई है ।
जातिगत आरक्षण , हिंदू कोड बिल और विदेश नीति पर उनके विचारों के संबंध में , उनके निषपादन के बारे में दोनों के काफी विपरीत विचार थे । लेकिन डॉ . भीमराव आंबेडकर की समाज सुधारक वाली छवि कांग्ेस के लिए चिंता का कारण थी । शायद यही वजह थी कि पाटटी ने उनहें संविधान सभा से दूर रखने की योजना बनाई । नेहरू ने डॉ . आंबेडकर को किनारे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी , ताकि वह मुखय धारा की राजनीति में न आ सकें , इसके लिए कांग्ेस ने डॉ आंबेडकर के विरुद्ध दीवारें खड़ी की गईं । 27 सितंबर 1951 को कांग्ेस नेतृति और विशेषकर जवाहर लाल नेहरू द्ारा कैबिनेट से तयागपत् देने के लिए डॉ . भीमराव आंबेडकर को विवश किया गया । संसद में डॉ . आंबेडकर ने तयागपत् के साथ जो भाषण दिया , वह कांग्ेस के दलित एवं वनवासी विरोध वाले असली चेहरे को उजागर करता है ।
डॉ . आंबेडकर ने सितंबर 1951 में कैबिनेट से इसतीफा देते हुए भाषण में विसतार से अपनी उन-उन पीड़ा को बयान किया , जो-जो उनहोंने नेहरू के हाथों झेली । आंबेडकर राइटिंग ,
वॉ्यूम- 14 भाग 2 , पृषठ 1317-1327 में उनका भाषण संकलित किया गया है । अपने तयागपत् भाषण में डॉ . आंबेडकर ने कहा कि जब प्रधानमंत्ी नेहरू ने मुझे प्रसताि दिया तो मैंने उनहें सपषट बता दिया था कि अपनी शिक्षा और अनुभव के आधार पर एक वकील होने के साथ मैं किसी भी प्रशासनिक विभाग को चलाने में सक्षम हूं । प्रधानमंत्ी सहमत हो गए और उनहोंने कहा कि वह मुझे अलग से योजना का भी दायिति देंगे । दुर्भागय से योजना विभाग बहुत देरी से मिला , जिस दिन मिला मैं तब तक बाहर आ चुका था । मेरे कार्यकाल के दौरान कई बार एक मंत्ी से दूसरे मंत्ी को मंत्ालय दिए गए ,
मुझे लगता है कि उन मंत्ालयों में से भी कोई मुझे दिया जा सकता था । लेकिन मुझे हमेशा इस दौड़ से बाहर रखा गया । मुझे यह समझने में भी कठिनाई होती थी कि मंवत्यों के बीच काम का बंटवारा करने के लिए प्रधानमंत्ी जिस नीति का पालन करते हैं , उसके पैमाने की क्षमता कया है ? कया यह विशिास है ? कया यह वमत्ता है ? या कया यह लचरता है ? मुझे कभी भी कैबिनेट की प्रमुख समितियों जैसे विदेश मामलों की समिति या रक्षा समिति का सदसय नहीं चुना गया । जब प्रधानमंत्ी नेहरू इंगलैंड गए तो मुझे कैबिनेट ने इसका सदसय चुना , लेकिन जब वह वापस आए तो कैबिनेट समिति के पुनर्गठन में
28 vxLr 2023