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अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के छात्रों के साथ होने वाले भेदभाव पर सख्त हुई मोदी सरकार

में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के छात्ों के साथ विशिविद्ालयों

होने वाले भेदभाव को रोकने के लिए मोदी सरकार कड़े कदम उठाने की तैयारी कर रही है । इस समबनध में केंद्रीय शिक्षा मंत्ालय के वनददेश पर विशिविद्ालय अनुदान आयोग ( यूजीसी ) उच् शैक्षणिक संसिानों में पढने वाले अनुसूचित जाति ( एससी ), अनुसूचित जनजाति ( एसटी ) और अ्पसंखयक समुदायों के छात्ों से संबंधित अपने नियमों में बदलाव करने के लिए तैयार हो चुकी है और उसने एक विशेरज् समिति गठन कर दिया है । गठित की है । यूजीसी द्ारा गठित यह समिति छात्ों के मधय होने वाले भेदभाव को रोकने के लिए कदम सुझाएगी ।
अधिकारियों के अनुसार यह कदम तब उठाया गया है , जब सुप्रीम कोर्ट ने पिछले माह
उच् शिक्षण संसिानों में वंचित समुदायों के छात्ों की मौत को संवदेनशील मुद्ा बताया , जिस पर लीक से हटकर सोचने की आवशयकता पर जोर दिया । आयोग ने 2012 में उच् शिक्षण संसिानों में समानता को बढािा देने के लिए नियम जारी किए थे । इन नियमों में सभी उच् शिक्षण संसिानों में दाखिले के मामले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति जनजाणती वर्ग के किसी भी छात् से भेदभाव न करने का प्रविधान किया गया है । लेकिन इन नियमों के बावजूद प्रायः विलशिद्ालयों से जातिगत भेदभाव के समाचार आते रहे हैं । ?
इसमें इन संसिानों में जाति , नसल , धर्म , भाषा , लिंग या शारीरिक अक्षमता के आधार पर किसी भी छात् का उतपीड़न रोकने तथा ऐसा करने वाले लोगों व प्राधिकारियों को दंडित करने का भी प्रविधान है । यूजीसी ने
इस साल अप्रैल माह में अनुसूचित जाति , अनुसूचित जनजाति , अनय पिछड़ा वर्ग एवं महिला प्रतिनिधियों को छात् शिकायत निवारण समितियों का अधयक्ष या सदसय नियुकत करना अनिवार्य कर दिया था ।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्ों की आतमहतया के मामले उच् शिक्षण संसिानों में इन िगथों के विरुद्ध कथित भेदभाव को लेकर चिंता बढा रहे हैं । सुप्रीम कोर्ट के जलसटस एएस बोपन्ना और जलसटस एमएम सुंदरेश की पीठ ने शैक्षणिक संसिानों में जाति-आधारित भेदभाव के कारण आतमहतया करने वाले रोहित वेमुला और पायल तडवी की माताओं की ओर से दाखिल याचिका पर यूजीसी से इस दिशा में उठाए गए कदमों का विवरण मांगा है । �
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