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बिंदी लगाने पर दलित छात्ा को मिली मौत की सजा ...!
अजीत कुमार सिंह
के धनबाद जिले के तेतुलमारी थाना क्षेत् की दलित झारखंड
छात्ा को सकूल में बिंदी लगाकर जाने की सजा मौत के रूप में मिली ! यह आरोप दलित छात्ा ऊषा के परिजनों ने धनबाद लसित सेंट जेवियर्स सकूल की शिक्षका पर लगाया है । परिजनों के मुताबिक रोजाना की तरह उस दिन भी ऊषा सुबह-सुबह सकूल गई थी , लेकिन कुछ समय बाद वह वापस आ गई और फिर घर के एक कमरे में सियं को बंद करके अपनी जान दे दी I आतमहतया करने के कारण का उ्लेख ऊषा की सकूल ड्ेस में मिले सुसाइड नोट में लिखा हुआ था ।
ऊषा के परिजनों के अनुसार उनकी बेटी ऊषा पढने में ठीक थी I वह अपने करियर और पढाई को लेकर काफी उतसावहत रहती थी । इसके साथ ही वह सनातन धर्म से जुडी अपनी मानयताओं के प्रति काफी दृढ थी । परंपरा और संसकृवत के प्रति आसिािान रहना ऊषा को भारी पड़ गया और इसका मू्य उसे जान देकर चुकाना पड़ा । उसे नहीं पता था कि अपने ही देश में उसे अपनी परंपराओं और मानयताओं को पालन करने पर प्रतावड़त किया जाएगा और सरेआम सभी छात्ों के सामने अपमानित किया जाएगा ? उसे यह भी नहीं पता था कि एक बिंदी लगाने की सजा उसे मौत के रूप में मिलेगी ! यह घटना मात् बिंदी लगाने की नहीं है , बल्क यह घटना भारतीय परंपराओं को पालन करने वाली दलित छात्ा को विद्ालय में सभी के सामने बुरी तरह अपमानित करने की हैं , जिसका मू्य उसे अपने जीवन लीला को समापत कर चुकाना पड़ा । यह दर्दनाक कहानी अपनी
सनातन मानयताओं के प्रति दृढ रहने वाली दलित समाज से आने वाले एक परिवार में जनम लेना वाली लड़की की है । सबसे आशचय्ष की बात यह है कि दलित हितों के लिए ततपर रहने वाले कथित दलित संगठनों की चुपपी पर है । इस दलित बेटी के दोषियों को सजा दिलाने के लिए कोई भी दलित संगठन आगे नहीं आया और न ही संवेदना जताना उचित समझा गया ।
झारखंड के धनबाद जिले में तेतुलमारी थाना क्षेत् में एक गांव है हनुमानगढी और यही पर सेंट ्ेवियर्स सकूल भी है । जानकारी के अनुसार , मृत छात्ा तेतुलमारी थाना इलाके के सेंट जेवियर्स सकूल में 10वीं में पढती थी । गत 10 जुलाई को वह बिंदी लगाकर सकूल गई थी । लेकिन बिंदी देखकर उसकी शिक्षिका सिंधु बुरी तरह नाराज हो गई और प्रार्थना के दौरान शिक्षिका ने छात्ा से बिंदी लगाने का कारण पूछा । शिक्षिका के सवाल पर छात्ा ने जवाब दिया । लेकिन शिक्षिका ने सबके सामने अपमानित करते हुए छात्ा को थपपड़ मार
दिया । शिक्षिका के इस वयिहार से दलित छात्ा इस कदर आहत हुई कि घर पहुंचकर उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी । उसकी सकूल ड्ेस से एक पत् भी मिला , जिसमें आतमहतया करने के पीछे के कारणों का खुलासा किया गया था । जानकारी के सानुसार ऊषा अपने भाई-बहन में सबसे बड़ी थी । माता-पिता के सपने को पूरा करने की जिममेदारी उसी के कंधों पर थी । उसके पिता की कैंसर के कारण अगसत 2022 में मृतयु हो गई थी । ऊषा के बाद एक भाई और बहन है । ऊषा बड़ी होकर ऑफिसर बनकर देश की सेवा करना चाहती थी I उसके भविषय को पंख देने के लिए उसकी मां दिन-रात मेहनत करती थी । उसके सपने को पूरा करने के लिए रिशतेदार भी सहयोग करते थे । आसिािान ऊषा की मां को कहां पता था जिस बेटी के लिए वह जी-तोड़ मेहनत- मजदूरी कर रही है , बेहतर शिक्षा के लिए जिस धनबाद सेंट जेवियर सकूल में पढा रही है , उस सकूल और सकूल के घृणावादी शिक्षक के कारण ही उसकी बेटी को असमय इस दुनिया को छोड़ना पड़ेगा ।
न जानें इस देश में ऊषा जैसी कितनी छात्ाओं को अपनी परंपरा , संसकृवत मानने के कारण असमय मौत को गले लगाना पड़ता है I ऊषा योद्धा थी , उसने घुटने टेकने के बजाए सिावभमान के साथ जीना उचित समझा और जीते जी ऊषा ने खुद को समर्पित नहीं किया । जीवन के अंतिम क्षणों में उसने आतमहतया से पहले लिखे गए पत् के माधयम से वह समाज को जगा गई , लेकिन उसे जिंदा रहना चाहिए था । उसका जिंदा रहना जरूरी था कयोंकि तभी वह इस कथित संभ्रात समाज और गुणवत्ापूर्ण
14 vxLr 2023