eMag_Aug 2023_DA | Page 11

lejlrk

दलितों के लिए सावरकर ने चलाया था अभियान , आंबेडकर ने की थी प्रशंसा

वीर सावरकर हमेशा से जात-पात से

मुकत होकर कार्य करते थे । राषट्ीय
एकता और समरसता उनमें कूट- कूटकर भरी हुई थी । रत्ावगरी आंदोलन के समय उनहोंने जातिगत भेदभाव मिटाने का जो कार्य किया वह अनुकरणीय था । वहां उनहोंने दलितों को मंदिरों में प्रवेश के लिए सराहनीय अभियान चलाया । साथ ही असपृशयता को समापत करने की दिशा में महनीय योगदान दिया । महातमा गांधी ने तब खुले मंच से सावरकर की इस मुहिम की प्रशंसा की थी । यही नहीं , संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर ने सावरकर के बारे में कहा था – “ मैं
इस अवसर का उपयोग सामाजिक सुधारों के क्षेत् में आपके कामों की प्रशंसा के लिए करता हूँ । यदि अछूतों को मुखयधारा के हिंदू समाज का हिससा बनना है तो केवल असपृशयता को समापत करना पर्यापत नहीं होगा । इसके लिए चतुर्वर्ण का अभयास समापत करना होगा । मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि आप उन कुछ लोगों में से हैं , जिनहोंने ऐसा करने की आवशयकता को पहचाना है ।“
महाराषट् के महान समाज सुधारक महर्षि शिंदे ने लिखा “ मैं इस सामाजिक आंदोलन की सफलता से इतना प्रसन्न हूँ कि मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वह मेरा शेष जीवन उनहें
( सावरकर को ) दे दें ” ( सतयशोधक – 5 मार्च , 1933 )। वहीं प्रसिद्ध लेखक प्रबोधंकर ठाकरे ने लिखा “ हिंदू एकता की आवशयकता को महसूस करने के बाद जाति उनमूलन का मुद्ा चाहे जितना कठिन हो , इसे हल करना आवशयक है । इस दिशा में सावरकर के प्रयास प्रशंसनीय हैं ।” ( सिराजय , मुंबई , 2 सितंबर , 1936 )। भारत का इतिहास दुनिया के लिए एक प्रेरणा है , पूरे विशि के लिए अनुकरणीय है । समपूण्ष दुनिया भारत की ओर देख रही है , हमेशा भारत में विशि गुरु की पात्ता निरनतर प्रवहमान रही है । देश ने कोरोना महामारी के संकट के दौरान दुनिया के सभी देशों के हित-चिनतन का भाव रखा । बिना किसी भेदभाव के वसुधैव कुटुमबकम की भावना पर ये नया भारत चल रहा है । यही वीर सावरकर का दर्शन था । यही उनका चिंतन था कि भारत प्रभुता समपन्न गौरवशाली राषट् बने । पूरी दुनिया का पथ-प्रदर्शक करने वाला राषट् बने । जिस पर भारत शनै : -शनै : चल रहा है ।
14 अप्रैल , 1942 को बाबासाहब आंबेडकर जब अपना ५०वां जनमवदिस मना रहे थे , तब
vxLr 2023 11