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दलित आंदोलन पदरिका ब्यूरो
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गले
अनुसूचितों को लुभाने में
साल राजसरान में विधान सभा के चुनाव होने हैं । इस लिहाज से देखा जाए तो प्रदेश में अशोक गहलोत की अगुवाई में चल रही कांग्ेस की सरकार ने जो बजर् प्रसतुत वक्या है वह चुनाव से पहले इस सरकार का अंतिम पूर्ण बजर् है । ऐसे में सिाभाविक ही है कि चुनावी नफा — नुकसान को देख कर ही बजर् तै्यार वक्या ग्या है जिसमें ना सिर्फ नौकरीपेशा वर्ग को लुभाने के लिए पुरानी पेंशन व्यवसरा बहाल की गई है बसलक इसमें सबसे बडा दांव अनुसूचित जावत्यों और जनजावत्यों पर खेला ग्या है । अब जबकि चुनाव की चुनौती दरवाजे पर खडी दिखाई पड रही है तब कांग्ेस की गहलोत सरकार को प्रदेश की उस 32 फीसदी आबादी की ्याद आई है जो एकजुर् होकर वनणा्थ्यक भूमिका निभाने वाली है । ्यही वजह है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए बजर् में अलग से प्रावधान वक्या ग्या है । लेकिन इसे कानूनी सुरक्ा नहीं मिली हुई है । अब विधानसभा में विधे्यक पारित होने से ्योजनाओं को लागू करना और फूंड का सही उप्योग करना कानूनी रूप से आवश्यक हो जाएगा ।
एक हजञार करोड कञा अलग से फं ड राजसरान में सरकारी कर्मचारर्यों के लिए
जुटी गहलोत सरकार रञाजस्थञाि में कञांग्ेस कञा दलितों — आरदिञासियों पर दञांव चुिञाि करीब आए तो आई 32 फीसदी अनुसूचितों की यञाद
42 दलित आं दोलन पत्रिका vizSy 2022