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पर फिर से विचार करने की आवश्यकता से कतई इनकार नहीं वक्या जा सकता है । विधे्यक में भीड़ की परिभाषा बताई गई है वह सुपरिभाषित कानूनी शबदािली के अनुरूप कतई नहीं है । अब इस मामले की गेंद राज्य सरकार के पाले में है और विधे्यक में अपेवक्त व आवश्यक सुधार के बाद ही इस विधे्यक को वनणा्थ्यक सिीकृति के लिए राषट्पति के पास भेजा जा्येगा । कञािून से प्रताड़ित होंगे आरदिञासी : भञाजपञा प्रदेश भाजपा अध्यक् दीपक प्रकाश की ओर
से एक शिष्टमंडल राज्यपाल से मिलकर पहले ही विधे्यक की खावम्यों का उललेख करते हुए इस पर अपनी आपत्तियां दर्ज करा चुका है । भाजपा की ओर से विधे्यक की खावम्यों के बारे में विसतार से उललेख करते हुए राज्यपाल से मांग की गई थी कि इस दोषपूर्ण विधे्यक को हर्गिज मंजूरी ना दी जाए । इस पूरे मामले को लेकर भाजपा का साफ तौर पर कहना है कि विधान सभा से पारित विधे्यक को अगर कानून के तौर पर लागू कर वद्या ग्या तो भविष्य में आदिवावस्यों और मूलवावस्यों को प्रताडना का शिकार बना्या जा सकता है । प्रसतावित विधे्यक
में दो ्या दो से अधिक लोगों को भीड के रूप में परिभाषित किए जाने से भी भाजपा पूरी तरह असहमत है । भाजपा की मानें तो सरकार ने विधे्यक को लेकर विपक् को विशिास में लेने की जहमत नहीं उठाई और अपना राजनीतिक हित साधने के लिए उसने ऐसा कानून पारित करा वल्या है जो ना सिर्फ दोषपूर्ण है बसलक इसे लागू किए जाने के बाद इसकी सीधी मार आदिवावस्यों और मूल निवावस्यों को ही झेलनी होगी ।
सिञालों में सरकञार की नीक्त और नीयत
मॉब लिचिंग को लेकर सरकार द्ारा विधान सभा से पारित कराए गए विधे्यक के सिरूप से झलक रही नीति और नी्यत को लेकर झारखंड में पहली बार सरकार और राज्यपाल एक दुसरे के आमने — सामने हुए हैं । जबकि अब तक का अनुभव ्यही बताता है कि राज्यपाल रमेश बैस एक सुलझे हुए व्यसकत हैं और आम तौर पर सरकार के हर फैसले पर उनकी सहमति होती है । लेकिन ्यह पहली बार है जब किसी विधे्यक को दोबारा विचार करने के लिए संशोधन व सुधार की अपेक्ाओं के साथ राज्यपाल के द्ारा सरकार को वापस लौर्ा्या ग्या है । ऐसे में अब भीड हिंसा रोकथाम , मॉब लिचिंग विधे्यक 2021 को लेकर अब पेंच में फूंस ग्या है । विधे्यक को लेकर उतपन्न हुए विवाद के बाद अब इस विधे्यक को लेकर सोरेन सरकार की नीति और नी्यत सवालों के कठघरे में है । लिहाजा इसके व्यावहारिक व राजनीतिक पहलुओं को देखा जाए तो अब इसको लेकर सरकार को जवाब देने में ज्यादा वकत लग सकता है । राज्यपाल की ओर से उठा्ये ग्ये बिनदुओं पर सवाल खडे होने से सरकार को सम्य लगेगा जवाब देने में और इस बीच मौजूदा राषट्पति का का्य्थकाल भी समापत होनेवाला है । ऐसा संभव है कि न्ये राषट्पति के चुनाव के बाद ही विधे्यक को कानूनी रूप वद्या जा सके । ऐसी सूरत में अब कुछ सम्य के लिए मॉब लिंचिंग विधे्यक का मामला अधर में लर्क
vizSy 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 37