fjiksVZ
है । ऐसे में सरकार के रूख से असंतुष्ट राज्यपाल रमेश बैस ने सरकार से अशांत भीड की परिभाषा पर फिर से विचार करने को भी कहा है और मॉब लिंचिंग से जुडे विधे्यक में दो बिनदुओं पर सुधार करने की बात भी कही है ।
रञाज्यपञाल की आपचत् िञाजिब
झारखंड विधान सभा ने शीतकालीन सत् में मॉब लिंचिंग के मामले को सखती से निपर्ाने के वल्ये भीड हिंसा रोकथाम और मॉब लिंचिंग विधे्यक 2021 को धिवनमत से पारित वक्या था । राज्यपाल के माध्यम से राषट्पति की सिीकृति मिलने के बाद ्यह कानून बन जा्येगा । कानून बनने के बाद मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों और इसके षड्यंत्कर्ताओं को आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान वक्या ग्या है । लेकिन राज्यपाल ने झारखंड विधान सभा से पारित विधे्यक के दो बिनदुओं पर सुधार करने के वल्ये राज्य सरकार को विधे्यक वापस कर वद्या है । राजभवन की ओर से बता्या ग्या है कि पहली बात तो ्यह कि विधे्यक के हिंदी और अंग्ेजी संसकरण में विभिन्नता है जिसमें एकरूपता लाए जाने की आवश्यकता है । इसके अलावा जो दूसरी लेकिन सबसे महतिपूर्ण बात है वह ्यह कि इस विधे्यक में अशांत भीड़ की जो परिभाषा दी गई है उस पर सही तरीके से दोबारा विचार करने की आवश्यकता है । राज्यपाल की ओर से सवाल उठा्या ग्या है कि दो ्या दो से अधिक व्यक्तियों के समूह को अशांत भीड़ करार नहीं वद्या जा सकता है ।
रञाज्य सरकञार के पञाले में गेंद
विधान सभा से पारित विधे्यक को राज्यपाल को राषट्पति के पास भेजे जाना था । लेकिन राज्यपाल ने इन दोनों बिनदुओं पर आपवत् जताते हुए सरकार से जवाब मांग वल्या है । अब ससरवत ्यह है कि सरकार की ओर से राज्यपाल द्ारा व्यकत की गई आपत्तियों का संतोषजनक जवाब आने अथवा विधे्यक में सुधार के प्रसताि को विधान सभा से पारित कराए जाने के बाद ही वह विधे्यक सिीकृति के लिए राज्यपाल के
माध्यम से राषट्पति के पास भेजा जा सकेगा । वासति में देखा जाए तो राजभवन ने गहन विधिक रा्य व परामर्श लेने और दूसरे अन्य राज्यों में लागू इस तरह के कानूनों का तुलनातमक अध्य्यन करने के बाद ही इसमें सुधार की अपेक्ा जताई है । साथ ही राजभवन ने विधे्यक के हिंदी संसकरण और अंग्ेजी संसकरण में अंतर ्या विभिन्नता का जो सवाल उठा्या है उसे भी गलत ्या गैर-वाजिब नहीं कहा जा सकता है । दरअसल विधे्यक के खंड-2 के उपखंड-11 में गवाह संरक्ण ्योजना की बात कही गई है जिसका बिल के अंग्ेजी संसकरण में तो उललेख
है लेकिन ्यह खंड विधे्यक के हिंदी संसकरण में शामिल नहीं है । राजभवन की ओर से इसी मामले का संज्ान लेते हुए विधे्यक के हिंदी और अंग्ेजी संसकरण में असमानता होने की बात कही गई है । वासति में ्यह इस विधे्यक में बहुत बड़ी और गंभीर त्रुटि है जिसे राज्य सरकार को सुधारना होगा , ताकि दोनों संसकरणों में पूरी तरह समानता व एकरूपता हो । इसके अलावा राजभवन से जो दूसरी और बेहद महतिपूर्ण बात की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट वक्या ग्या है वह विधे्यक की धारा 2 ( 6 ) में दी गई भीड़ की वह परिभाषा है जिस
36 दलित आं दोलन पत्रिका vizSy 2022