यूपी में दलित रञाजनीक्त की नई दिशञा
तेवर और कलेवर बदल रहञा दलित समञाज
बड़ा सिञाल : अब किस करवट मुडेगी
दलित आंदोलन पदरिका ब्यूरो
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त्र प्रदेश चुनाव के नतीजों ने इतना तो साफ कर वद्या है कि जाती्य सिावभमान की ठेकेदारी करने के बहाने अपनी मनमानी करते रहना समाज को कतई सिीका्य्थ नहीं हो सकता है । ्यही वजह है कि इस बार के चुनाव में मतदाताओं ने एक तरफ जहां दलितों के वोर् बैंक की राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी को अब तक के अपने निचले सतर पर पहुंचा वद्या है वहीं दूसरी ओर उस मिथक व मान्यता को भी पूरी तरह जड से उखाड कर फेंक वद्या है कि प्रदेश में बसपा की सरकार बने ्या नहीं बने लेकिन उसका वोर् बैंक हर हालत में पूरी तरह अडिग रहेगा । वासति में देखा जाए तो वर्ष 1996 के बाद ऐसा पहला मौका सामने आ्या है जब बसपा को 20 फीसदी वोर् नहीं मिले हैं । इस बार के विधानसभा चुनावों में बसपा को केवल 12.88 फीसदी वोर् ही हासिल हो पा्या है , जो 2017 के मुकाबले करीब 10 फीसदी
दलित रञाजनीक्त
vizSy 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 25