eMag_April2022_DA | Page 12

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में बसपा की इतनी खराब ससरवत इससे पहले कभी नहीं रही । बसपा को इस चुनाव में मिला वोर् प्रतिशत ्यह साफ बता रहा है कि उसका बेस वोर् बैंक ( दलित वोर्र ) उसके पाले से खिसकता जा रहा है । प्रदेश में 22 प्रतिशत दलितों की आबादी है जबकि इस विधानसभा चुनाव में बसपा को महज 12.88 प्रतिशत वोर् ही मिला । 2012 के चुनाव में बसपा को 25 प्रतिशत वोर् मिला था जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में ्यह घर्कर 20 प्रतिशत पर आ ग्या ्यानी पिछले विधानसभा चुनाव में पाँच प्रतिशत का नुकसान बसपा को हुआ और अब 2022 के चुनाव में सात प्रतिशत का नुकसान झेलते हुए पार्टी 12.88 प्रतिशत वोर् पर ही सिमर् कर रह गई तो ्यह कैसे माना जा्ये कि बसपा का कोर वोर्र आज भी उसी के साथ है ।
बसपञा से छिटकञा बेस वोट बैंक
बसपा का अससतति उसका बेस वोर् बैंक दलित ही रहे हैं । कांशीराम ने दलितों के साथ
अतिपिछडा वर्ग को जोडा तो बसपा सत्ा के शिखर तक पहुंची । 2007 में दलितों के साथ ब्ाह्मण और अन्य सवर्ण जुडे तो बसपा को पूर्ण बहुमत मिला था । सवर्ण के अलग होने के बाद बिखड़ी बसपा वर्ष 2012 के बाद से अपने-आप को समेर्ने में भी नहीं काम्याब हो सकी । बसपा सुप्रीमो मा्यावती ने इस बार के चुनाव में दावा वक्या था कि उनहोंने कोविड काल में साल भर तक लखनऊ में रहकर कैडर को मजबूत वक्या । लेकिन , बंद कमरों में हुई बैठकों को जनता के बीच पहुंचाने में पार्टी के का्य्थकर्ता काम्याब नहीं हुए । चुनाव से ऐन पहले पार्टी ने महासचिव सतीश चंद्र मिश्ा को प्रचार की कमान सौंपी । सतीश चंद्र मिश्ा प्रदेश के सभी जिलों में ब्ाह्मण सममेलन कर आए । इसमें पार्टी के का्य्थकर्ता दलित समाज से होते थे और बात ब्ाह्मणों की हो रही थी । ऐसे में न तो ब्ाह्मण सधा और न ही दलितों के बीच बात को बेहतर तरीके से पहुंचा्या जा सका । पिछले चुनावों में लगातार खराब प्रदर्शन के बाद भी बसपा सुप्रीमो मा्यावती लगातार कहती रहीं कि उनका कैडर वोर् बैंक
उनके साथ हैं । लेकिन , ्यह जमीन पर नहीं दिखा । वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा चुनावी मैदान में पूरी ताकत के साथ उतरी थी । लेकिन , पार्टी को 19.60 फीसदी वोर् ही मिले । 22 से 25 फीसदी वोर् बैंक की राजनीति करने वाली बसपा का वोर् घर्ा तो लोकसभा चुनाव 2014 में पार्टी का खाता ही नहीं खुल पा्या ।
12 दलित आं दोलन पत्रिका vizSy 2022