eMag_April2022_DA | Page 11

है । दिलली से राजनीति की शुरुआत करने वाली आप अब पंजाब में भी कलीन सिीप करते हुए सत्ा में आ गई है । ऐसे में उसके लिए भविष्य की उजिल संभावनाएं दिखाई पडना सिाभाविक ही है । भले ही आप को ्यूपी और उत्राखंड के मतदाताओं ने सिरे से नकार वद्या हो लेकिन पंजाब में सत्ा पा लेने और गोवा में अपनी उपससरवत दर्ज कराने में काम्याबी हासिल कर लेने के बाद उसके हौसले में इजाफा होना वाजिब ही है । पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सामने आए जनादेश का एक सपष्ट संकेत ्यह भी है कि अब देश की राजनीति से जाती्य आधार पर राजनीति करने वाली पावर््ट्यों की शसकत में कमी आ रही है । खासकर दलित राजनीति करने वाली ताकतें अब हाशिए पर चली गई दिखती है । इसके कई कारण हैं । बसपा का चुनाव में
प्रदर्शन इसकी गवाही देता दिखता है । उत्र प्रदेश ही नहीं , देश के अन्य हिससों में भी चुनाव परिणाम इसकी गवाही देते दिखाई पड़ रहे हैं । इसका सबसे बड़ा कारण बसपा का कैडर वोर् बैंक में बिखराव है । बसपा कभी दलित वोर्रों की एक मात् पार्टी होने का दंभ भरती थी , लेकिन अब वह ससरवत नहीं दिखती है । इसका कारण बसपा की रणनीति में लगातार बदलाव का आना रहा । मा्यावती काल में बसपा लगातार कमजोर होती गई , लेकिन उस ससरवत में बदलाव के लिए कोई ठोस का्य्थ नहीं वक्या ग्या ।
जञाक्तगत रञाजनीक्त से दलितों कञा मोहभंग देश के दलितों की राजनीति करने का दंभ
भरने वाली बहुजन समाज पार्टी ने विधानसभा
चुनाव 2022 में तीन राज्यों में महज चार सीर्ों पर जीत हासिल की । गोवा और मणिपुर में पार्टी चुनावी मैदान में नहीं थी । लेकिन , कांशीराम की जनमसरली पंजाब में शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरने का कोई फा्यदा पार्टी को नहीं मिला । बसपा महज 1.77 फीसदी वोर् शे्यर के साथ एक सीर् पर जीत दर्ज करने में काम्याब रही । उत्र प्रदेश से अलग होकर बने राज्य उत्राखंड में बसपा 5 फीसदी वोर् भी नहीं पा सकी । राज्य में 4.82 फीसदी वोर् शे्यर के साथ पार्टी ने 2 सीर्ों पर कबजा जमा्या । सबसे खराब ससरवत उत्र प्रदेश की रही । प्रदेश में चार बार सरकार बनाने वाली बसपा केवल 12.88 फीसदी वोर् हासिल करने में सफलता दर्ज की । पार्टी को केवल एक सीर् पर जीत से ही संतोष करना पडा । उत्र प्रदेश
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