नदी परियोजना में वय्त थिे । उनके कार्य की सराहना करते हुए उड़ीसा के प्रससद नेता हरकिशन मेहताब ने बाबा साहेब को पत्र लिखा और महानदी घाटी बहुउद्ेशीय परियोजना का विकास करने की इचछा प्रकट की ।
1945 में उड़ीसा नदी बाढ़ सम्या भारत सरकार के पास सुलझाने के लिये भेजी गई । वैसे डा्टर ए एन खोसला , केनद्रीय जलमार्ग , सिंचाई तथिा नौचालन आयोग के अधयक् के नाते भेंट की । उड़ीसा राजय के गवर्नर के सलाहकार बी के गोखले तथिा मुखय अभियनता रायबाहदुर सरिज नारायण इस नतीजे पर पहुँचे की उड़ीसा राजय की बाढ़ , अकाल , गरीबी और बीमारी के सनमपू्णलन के लिये नदी जैसे जल सम्दा का जलाशय का निर्माण करके पानी का नियंत्रण , संवर्धन तथिा विनियोग कर सकते हैं । इस प्रकार बाढ़ नियंत्रण करके सिंचाई , नौचालन
जल विद्ुत निर्मिती , मत्य्ालन और मनोरंजन के लिये पानी का उपयोग हो सकता है । 1937 में , सर मोक्गुंडम सव्वे्वरया के प्रतिवेदन ने बहुउद्ेशीय नदी घाटी विकास करने की सिफारिश की थिी । बहुउद्ेशीय विकास अमेरिका में टेनेसी नदी घाटी परियोजना , कोलकमबया बेसिन विकास के अनतग्णत घाटी विकास किया गया थिा ।
1942-46 के कालखणड में डॉ आंबेडकर का भारत की विकास नीति में बहुत ही महत्व्पूर्ण योगदान रहा है । उनकी देश की जल और विद्ुत ऊर्जा नीति स्थापना में अहम भपूसमका है । 1940 के दशक में देश की आसथि्णक नीति तय हो रही थिी । उसकी स्थापना और ्वीकारना शुरू हुआ थिा । केनद्र शासन कैबिनेट का ्पूर्ण विकास समिति ने सिंचाई विद्ुत तथिा औद्ोसगक विकास की नीति अपनाने के लिये अनुशासनातमक प्रसरिया ्पूरी की । जल विकास
1935 के कानपून के तहत सिंचाई तथिा बिजली शक्त राजयशासन तथिा प्रानतीय सरकार के अधीनस्थ विषय थिे । डॉ आंबेडकर क्ेत्रीय विकास तथिा बहुउद्ेशीय विकास परियोजना द्ारा ्पूरे देश के अनदर जलसंसाधन नीति लागपू करना चाहते थिे । इसलिये पानी का विषय उनहोंने केनद्र सरकार के अधीन लाया । बाबा साहब ने संविधान में प्रावधान किया ्योंकि उस दौरान बाबासाहब श्रम मंत्री तथिा राजय घटना मसौदा समिति के अधयक् की दोहरी भपूसमका कर रहे थिे । इस नीति को अपनाने के लिये श्रम विभाग ने दो तकनीकी संस्थानों की नवमबर 1944 में केनद्रीय तकनीकी विद्ुत मंडल ( CTBT ) तथिा 5 अप्रैल 1945 में केनद्रीय जलमार्ग सिंचाई तथिा नौचालन आयोग ( CWINC ) स्थापना की । केनद्रीय विद्ुत मणडल को देश के आँकड़े संकलन करना , सवने संचालित करना और विद्ुत योजना तैयार करना जैसे महत्व्पूर्ण कार्य सौंपे गए । इससे ्पूरे देश में विद्ुत शक्त ्पूसत्ण , नियोजन , आवंटन तथिा कार्यानवयन इस प्रसरिया को बढ़ावा मिला । आज के ‘ केनद्रीय जल आयोग ’ को जल संसाधन कार्य , तथय संकलन , नियोजन , समनवयन तथिा कार्यानवयन करने की भपूसमका सौंपी , जल संसाधन के नियोजनबद संवर्धन करने का अहम काम भी सौंपा गया ।
अनतरराष्ट्रीय नदी घाटी विकास केनद्र शासन के दायरे में लाया गया , राजय , प्रानतीय तथिा केनद्र सरकार के संयु्त वर्तमान विकास करने का प्रावधना लाया गया । इस राष्ट्रीय जलनीति को बहुउद्ेशीय नदी घाटी विकास परियोजना का अंग माना गया । जिससे क्ेसत्रय विकास करने के लिये नियोजन में जल संसाधनों को बहुउद्ेशीय उपयोग और सामाजिक आसथि्णक तथिा पर्यावरण विकास के महत्व्पूर्ण पहलपू माने जाने की शुरुआत हो गई । इसलिये दामोदर , महानदी , सोन नदी और कोसी नदी का पहली बार बहुउद्ेशीय उ्रिम माना जाता है । इस प्रकार देखे तो डॉ आंबेडकर ने इस देश की ्पूरी जल संसाधन विकास नीति बनाने में महत्व्पूर्ण भपूसमका निभाई है । �
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