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आंबेडकर ्वयं भी समबोसधत विचार-विमर्श में ससरिय सहभागी थिे । 15 नवमबर 1943 से लेकर 8 नवमबर 1945 तक उनहोंने श्रममंत्री के रूप में पांच संगोष्ठियों को समबोसधत किया थिा । इस उपलक्य में उनहोंने तकनीकी संस्थाओं का निर्माण किया । केनद्रीय जलमार्ग , ऊर्जा तथिा अनतर राष्ट्रीय नौचालन आयोग के बाद में नामानतरण केनद्रीय जल आयोग हुआ । बहुउद्ेशीय जलसंसाधन विकास , दामोदर नदी घाटी परियोजना , महानदी बहुउद्ेशीय परियोजना आदि संकल्नाओं का निर्माण किया गया । डॉ आंबेडकर ने भारत की जिन दो बड़ी परियोजनाओं का सन्चय किया वह हैं- दामोदर और महानदी परियोजना ।
डॉ आंबेडकर 3 जनवरी 1944 की दामोदर नदी घाटी परियोजना की पहली संगोष््ी में कहा थिा कि दामोदर परियोजना बहुउद्ेशीय होनी चाहिए । इस परियोजना का बाढ़ की सम्या के साथि-साथि सिंचाई , ऊर्जा और नौचालन के लिये इ्तेमाल होना जरूरी है । इसलिये नदी घाटी प्राधिकरण , केनद्रीय जल तथिा सिंचाई नौचालन आयोग , केनद्रीय तकनीकी ऊर्जा मणडल के निर्माण में उनका योगदान रहा । पानी के बहुउद्ेशीय विकास के लिये उनके द्ारा उठाए गए कदम साहसी कदम माने जाते हैं । उस समय बंगाल की दामोदर नदी में ‘ दुःख का मपूल ’ कहीं जाने वाली दामोदर व्तुतः भारत की राष्ट्रीय सम्या के रूप में उभरकर आ रही थिी । बाढ़ की सम्या बहुत गमभीर थिी । अनाज की कमी तथिा यातायात की सम्या खड़ी हुई थिी । 17 जुलाई 1943 को दामोदर नदी में आई बाढ़ के कारण गमभीर संकट उत्न्न हो गया थिा । पांच दिनों के लगातार जल रिसाव के कारण यह दरार 1000 फुट चौड़ी हो गई । इस प्रकार आई बाढ़ से 70 से अधिक गांव प्रभावित हुए थिे । 18 हजार मकान नष्ट हो गए थिे । इस बाढ़ में मानव जीवन की हानि बहुत हुआ करती थिी । इसलिये उस समय के बंगाल के राजय्ाल लार्ड ई जी केसी ने श्री महाराजाधिकार वर्धमान की अधयक्ता में एक दस सद्यीय जल समिति गठित की थिी । जिसमें मेघनाद साहा जैसे
विखयात वैज्ासनक भी शामिल थिे । श्री मेघनाद साहा अनुसपूसचत जाति समुदाय के सद्य थिे । समिति ने जो रिपोर्ट प्र्तुत की , वह राजय्ाल द्ारा केनद्र सरकार के पास उचित कार्यवाई के लिये भेजी गई । बंगाल की सम्या हल करने के लिये डॉ्टर अमबेडकर ने गवर्नर जनरल लॉर्ड वेवहेल अभियनता के साथि काम करने की इचछा प्रकट की थिी ।
अमेरिका की टेनेसी नदी घाटी परियोजना के आधार पर आयोजन करना निश्चत किया गया । बाढ़ नियंत्रण , जल सिंचाई और जल विद्ुत निर्माण इन तीन लक्यों की ्पूसत्ण के लिये केनद्र सरकार के अधीन ड्लयपू एल वहद्णवान नामक एक अमेरिकन ने दामोदर नदी घाटी परियोजना का प्र्ताव तैयार किया । प्राथिसमक प्रतिवेदन के अनुसार , एक दस लाख क्यूसे्स के बाढ़ के आधार पर आठ बांधों के निर्माण की योजना बनाई गई । तिलैया , देवोलबारी , मैथिन , बांध बराकर नदी पर बेरमो , अयर सनोलापुर बांध दामोदर नदी पर , बोकोरे तथिा कोनार बांध का बनाया जाना तय हो गया । इसके उपरानत चार विशाल बांधों का निर्माण हुआ । उनका मुखय उद्े्य ऊर्जा निर्माण , ककृसष सिंचाई , तापीय केनद्र और औद्ोसगक विकास के लिये किया गया । तिलैया बांध 45 मीटर ऊँचाई , कोनार बांध 58 मीटर ऊँचाई , मैथिॉन बांध 56 मीटर ऊँचाई और पानशेत बांध 49 मीटर ऊँचाई का निर्माण रिमशः 1953 , 1955 , 1957 और 1959 वर्ष में ्पूरा हुआ ।
दामोदर नदी घाटी परियोजना से बहुउद्ेशीय विकास-बाढ़ नियंत्रण , सिंचाई और परिणाम्वरूप अकाल से मुक्त तथिा बिजली आ्पूसत्ण की समभावना थिी । इसलिये बंगाल और बिहार की सरकार ने इसका उतसाह से ्वागत किया । ्योंकि इस परियोजना से : ( 1 ) 4,700,00 एकड़ क्ेत्र में नियमित जलाशय से जल उपल्ध होने वाला थिा , ( 2 ) 760,000 एकड़ क्ेत्र की अविरत सिंचाई के लिये पर्यापत जल उपल्धता ( 3 ) 300,000 किलो वॉट बिजली ( 4 ) 50 लाख लोगों का प्रतयक् रूप से कलयार होने वाला थिा ।
डॉ आंबेडकर ने कटक में ‘ ओडिशा की नदियों के विकास ’ की बहुउद्ेशीय परियोजना पर समबोधन दिया । बीज भाषण उद्ोधक तथिा महत्व्पूर्ण है । डॉ आंबेडकर ओडिशा की बाढ़ की सम्या से मुक्त चाहते थिे । ओडिशा में मलेरिया से भी मुक्त पाना चाहते थिे । नौचालन तथिा स्ती बिजली तैयार करके वे अपनी जनता का जीवनमान ्तर सुधारना चाहते थिे । उसके सभी उद्े्य सौभागय से एक योजना से ्पूरे हो सकते हैं । अथिा्णत जलाशयों का निर्माण और नदियों के बह जाने वाले पानी का भणडारण । इस बाढ़ की सम्या का सुलझाने के लिये सन् 1928 में उड़ीसा में आई बाढ़ की जांच के लिये सर मोक्गुंडम सव्वे्वरया के नेतृतव में उड़ीसा बाढ़ नियंत्रण जाँच समिति का गठन किया गया । सव्वे्वरया जैसे प्रखयात अभियनता ने दो रिपोर्ट पेश की थिीं । उस समय डॉ आंबेडकर दामोदर
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