eMag_April 2021_Dalit Andolan | Page 39

अनतग्णत , देश की जलविद्ुत ऊर्जा निर्माण में अनेक बहुउद्ेशीय नदी घाटी परियोजनाओं को काया्णकनवत किया गया । जिसमें से भाखड़ा नांगल , हीराकुंड , चंबल , दामोदर , रिहंद , कोयना , पेरियार , सरिीसगरी , कुदाह , शरावती , माचकुंद , अपर सिलेरू , बालीमेला , उमियाम आदि अधिक प्रचलित हैं , इसमें डॉ आंबेडकर ने महत्व्पूर्ण भपूसमका निभाई । डॉ आंबेडकर इस देश के प्रथिम श्रेणी के पुरुष ही नहीं ,, बकलक भारतीय संविधान के शिल्कार के रूप में माने जाते हैं । उनहोंने देश को विकास की संकल्ना तथिा परियोजनाओं
का उपहार दिया है । वह एक इतिहासकार , अथि्णशा्त्री , समाजशा्त्री , अनुसनधानक , विधिवेत्ा , प्रभावी व्ता , पत्रकार , समाज के मार्गदर्शन संशोधक एवं ग्रंथकार के रूप में प्रखयात थिे ।
डॉ आंबेडकर ने 20 जुलाई 1942 को वाइसराय के मंत्रिमंडल में श्रम मंत्री के रूप में कार्य ग्हण किया । श्रम विभाग के साथि-साथि उनको सिंचाई और विद्ुत शक्त विभाग का भी कार्यभार सौंपा गया थिा । तब डॉ आंबेडकर ने युदोत्र पुनर्निर्माण समिति द्ारा अपनी जल
संसाधन तथिा बहुउद्ेशीय नदी घाटी विकास की नीति अपनाई । इस समिति में केनद्र सरकार प्रानतीय सरकार , रियासतों की सरकारें तथिा वया्ार , उद्ोग और वाणिजय के प्रतिनिधि भी शामिल थिे । मंत्री के रूप में उन तीनों विभागों के सचिव डॉ आंबेडकर की अधयक्ता में कार्य करते थिे ।
डॉ आंबेडकर कहते थिे , ‘‘ यह सोचना गलत है कि पानी की बहुतायत कोई संकट है मनुष्य को पानी की बहुतायत के बजाय पानी की कमी के कारण जयादा कष्ट भोगने ्ड़ते हैं । कठिनाई यह है कि प्रककृसत जल प्रदान करने में केवल कंजपूसी ही नहीं करती , कभी सपूखे से सताती है तो कभी तपूफान ला देती है । परनतु इससे इस तथय पर कोई अनतर नहीं ्ड़ता कि जल एक सम्दा है । इसका वितरण अनिश्चत है । इसके लिये हमें प्रककृसत से शिकायत नहीं करनी चाहिए बकलक जल संरक्र करना चाहिए ।’’ जनहित के लिये यदि पानी का संरक्र अनिवार्य है , तो पु्ता बनाने की योजना भी गलत है । यह ऐसा तरीका है जिससे जल संरक्र का अकनतम लक्य प्रापत नहीं होता इसलिये इसे तयाग दिया जाना चाहिए । ओडिशा का डेलटा ही एकमात्र उदाहरण नहीं हैं , जहां अतयसधक पानी आता है और उसके कारण बहुतायत से संकट उत्न्न होता है । अमेरिका में भी यही सम्या है । वहां की कुछ नदियों मिसौरी , मियामी और हेतेसी ने भी ऐसी सम्या उत्न्न की है ।
डॉ आंबेडकर कहते थिे कि ओडिशा को भी वही तरीका अपनाना चाहिए जो नदियों की सम्या से निपटाने के लिये अमेरिका ने अपनाया है , वह तरीका है पानी का स्थायी भणडार रखने के लिये कई जगह नदियों पर बाँध बनाना । ऐसे बाँध सिंचाई के साथि अनय कई लक्य भी साधते हैं । महानदी में बह जाने वाले ्पूरे पानी का भणडारण समभव है । इतनी भपूसम होने पर , दस लाख एकड़ जमीन की सिंचाई हो सकती है । जलाशयों में एकत्र जल से बिजली उत्ादन भी हो सकता है ।’’ उपरिनिर्दिष्ट विषयों पर डॉ आंबेडकर के अपने खुद के विचार थिे । 1942- 46 में राष्ट्रीय जलनीति अपनाई गई । तब डॉ
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