ckck lkgc dh tUe t ; arh ij fo ' ks " k
भारत के जल संसाधन विकास में डॉ आंबेडकर की भूमिका
डॉ . डी . टी . गा्यकवाड़
1940 के दशक में देश की आसथि्णक नीति तय हो रही थिी । उसकी स्थापना और ्वीकारना शुरू हुआ थिा । केनद्र शासन कैबिनेट का ्पूर्ण विकास समिति ने सिंचाई , विद्ुत तथिा औद्ोसगक विकास की नीति अपनाने के लिये अनुशासनातमक प्रसरिया ्पूरी की । जल विकास 1935 के कानपून के तहत सिंचाई तथिा बिजली शक्त राजयशासन तथिा प्रानतीय सरकार के अधीनस्थ विषय थिे । जल एक प्रमुख प्राककृसतक संसाधन है । जल संसाधन का समबनध
सम्पूर्ण मानव जीवन , मानव सभयता एवं संस्कृति से निकट तथिा बहुत गहरा रहा है । जल मानव जीवन के लिये नितानत आव्यक तथिा पवित्र माना जाता है । इसीलिये जल संसाधनों की राष्ट्रीय ्तर पर नियोजन , विकास , कार्यानवयन और प्रबनधन की आव्यकता है । विकास के लिये जल संसाधन क्ेत्र का एक अहम योगदान रहा है । देश के विकास के लिये , डॉ आंबेडकर 1942 से 1946 के दौरान वायसराय के मंत्रिमणडल में श्रम मंत्री के रूप में थिे । उनहोंने बहुउद्ेशीय नदी घाटी विकास , जल संसाधन
का उपयोग , रेलवे और जलमार्ग , तकनीकी बिजली बोर्ड का निर्माण , केनद्रीय जलमार्ग , सिंचाई तथिा नौचालन आयोग ; केनद्रीय जल आयोग , दामोदर नदी घाटी निगम , महानदी पर हीराकुंड बाँध का निर्माण और सोन नदी परियोजना यश्वी करने के लिये योगदान दिया है । इससे कम लोग परिचित हैं । डॉ . आंबेडकर की अथि्णशा्त्र , राजयशा्त्र तथिा संवैधानिक कानपून के क्ेत्र में बुसदमत्ा तथिा कल्ना अलौकिक थिी ।
प्रारमभ में , तीन पंचवार्षिक योजनाओं के
38 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf vizSy 2021