eMag_April 2021_Dalit Andolan | Page 35

परिवर्तनवादी समाज व्यवस्ा के प्णेता डॉ आंबेडकर

आननद दास

साहब डॉ भीम राव अंबेडकर के जनमसदवस के अवसर पर उनके बाबा

आदशषों को आतमसात करने की जरूरत है । वर्तमान परिवेश में उनका जीवन , विचार और आदर्श अतिप्रासंगिक है । उनका जनम मधय प्रदेश के महपू छावनी क्बे में 14 अप्रैल 1891 को भीमा बाई तथिा रामजी की संतान के रूप में हुआ । वह दलित वर्ग की महार जाति में जनम लिए थिे । यह वह समय थिा जब
भारतीय समाज ्पूरी तरह से वर्ण . वयवस्था के चंगुल में फंसा हुआ थिा ऐसी स्थिति में एक दलित बालक का संविधान निर्माता बनना तो दपूर , ्ढ़ना और फिर योगयता के बल पर अपने लिए एक नई राह का निर्माण किया ।
बालक भीम के बचपन के नायक कबीर थिे । कबीर पंथिी परिवार होने के कारण कबीर के दोहे , पद और गीत भीम को घुट्टी में मिले थिे । उनके पिता धार्मिक और अनुशासन प्रिय वयक्त थिें । दैनिक उपासना करते थिे । पिता रामजी
सकपाल का यह प्रभाव बालक भीम पर भी पड़ा । रामजी सकपाल पहले रामानंदी वैष्णव थिे । बाद में कबीरपंथिी हो गएं । डॉ आंबेडकर ने जीवन में ्वयं को कबीर की तरह एक विद्रोही नायक के रूप में पाया । इसका प्रमाण जानने के लिए हमें उनके द्ारा दिए गए मई 1956 के भाषण को ्ढ़ना चाहिए । अछूत परिवारों में वर्ण . वयवस्था की पोल खोलने वाले कबीर से बड़ा नायक कौन हो सकता है । 1907 में जब तरुण भीमराव ने मैट्रिक की परीक्ा पास की तब यह
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