eMag_April 2021_Dalit Andolan | Page 10

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लोकतांि�ाक मदूल्ों पर खड़ा होता है राष्ट्रवाद

साहब डॉ भीम राव आंबेडकर को जानने और समझने की सबसे बाबा

बड़ी सीमा यह रही है कि या तो उनकी अनदेखी की गयी , या फिर उनकी ्पूजा की गयी । अधिकतर लोग ऐसे हैं , जिनहोंने बाबा साहब के जीवन के किसी एक पहलपू को उनका ्पूरा ्वरूप मान लिया और उस टुकड़े में ही वह बाबा साहब का समग् चिंतन तलाशते रहे । इसके विपरीत बाबा साहब के लोकजीवन का सव्तार इतना बड़ा और विशाल है कि उसके किसी एक खंड की विशालता से विस्मत होना बिलकुल मुमकिन है । कई लोग इस बात से चकित हैं कि अछूत परिवार में पैदा हुआ एक बच्ा अपने दौर का सबसे बड़ा विद्ान कैसे बन गया ? कोई कहता है कि बाबा साहब संविधान निर्माता थिे , जोकि वह थिे । कुछ लोगों की नजर में बाबा साहब अपने दौर के सबसे बड़े अथि्णशा्त्री थिे , जिनके अधययन के आलोक में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना हुई , भारतीय मुद्रा और राज्व का जिनहोंने सव्तार से अधययन किया । कई लोगों की नजरों में बाबा साहब दलित उदारक हैं , तो कई लोग हिंदपू कोड बिल के रचनाकार के रूप में उनहें ऐसे शखस के रूप में देखते हैं , जिनहोंने पहली बार महिलाओं को पैतृक सं्सत् में सह्सा दिलाने की पहल की और महिला समानता की बुनियाद रखी । श्रम कानपूनों को लागपू कराने से लेकर नदी घाटी परियोजनाओं की बुनियाद रखने वाले शखस के रूप में भी बाबा साहब को जाना जाता है । कुल मिलकर देखा जाए तो बाबा साहब के कायषों और योगदानों की सपूची बेहद लंबी है ।
लेकिन , इन सबको जोड़ कर बाबा साहब की जो समग् त्वीर बनती है , वह सन्संदेह एक राष्ट्र निर्माता की है । बाबा साहब का भारतीय राष्ट्र कैसा है ? ्या वह राष्ट्र एक न्शा है , जिसके अंदर ढेर सारे लोग हैं ? ्या राष्ट्र किसी झंडे का नाम है , जिसे कंधे पर लेकर चलने से
कोई राष्ट्रवादी बन जाता है ? ्या भपूगोल ने , पहाड़ और नदियों ने अपनी प्राककृसतक सीमाओं से घेर कर जमीन के एक टुकड़े को राष्ट्र का रूप दे दिया है ? या फिर , ्या हम इसलिए एक राष्ट्र हैं कि हमारे स्वार्थ और हित साझा हैं ? बाबा साहब का राष्ट्र इन सबसे अलग है । धर्म , भाषा , न्ल , भपूगोल या साझा स्वार्थ को या फिर इन सबके समुच्य को , बाबा साहब राष्ट्र नहीं मानते । बाबा साहब का राष्ट्र एक आधयाकतमक विचार है । वह एक चेतना है । हम एक राष्ट्र हैं ,
्योंकि हम सब मानते हैं कि हम एक राष्ट्र हैं । इस मायने में यह किसी स्वार्थ या संकीर्ण विचारों से बेहद ऊपर का एक पवित्र विचार है । इतिहास के संयोगों ने हमें एक साथि जोड़ा है , हमारा अतीत साझा है , हमने वर्तमान में साझा राष्ट्र जीवन जीना तय किया है और भविष्य के हमारे सपने साझा हैं , और यह सब है इसलिए हम एक राष्ट्र हैं । राष्ट्र की यह परिकल्ना बाबा साहब ने यपूरोपीय विद्ान अनने्ट रेनॉन से ली है , जिनका 1818 का प्रससद व्तवय ‘ ह्ाट इज
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