Education in Delhi Schools: Rhetoric vs. Reality Delhi-School-Education-Rep-June-2018 | Page 27

जब क इन कमर म श ा का नाम - नशान तक नह । ं ट चर का तो इतना ब र ु ा हाल है क सीधे - सीध श द म कहना क ठन है । जब टूड स और उनके माता- पता श ा म स ध ार क बात करते ह तो कूल ट चर उ ह डराते और धमकाते ह या फर कूल म अ छ तरह पढ़ाने क बजाय उ ह ाइवेट य श न पढ़ने के लए मजब र ू करते ह। लोग प छ रहे ह क य द ब च ने ाइवेट य श न से पढ़ना है तो सरकार अ यापक को कस बात के पैसे दे ती है । यह तो सरकार धन का द ु पयोग है । लोग का यह भी मानना है क अ यापक का ऐसा चाल-चलन एक सामािजक ब र ु ाई ह नह ं बि क एक अपराध है िजसे सफ कान न ी प से हल कया जा सकता है और द ल सरकार को कारवाई करके ऐसे सभी अ यापक को नौकर से त र ु ं त नकाल दे ना चा हए। बेईमान अ यापक तो य है द ल क श ा का ब र ु ा हाल? वैसे तो हम इसके कई कारण गन सकते ह। ले कन द ल क श ा के सवनाश म सब से बड़ा हाथ है कूल ट चर या अ यापक का जो टाचार और बेईमानी क एक िज दा मसाल ह। जब व या थय क कूल क श ा ख़राब होगी तो उनक कॉलेज क या आगे क पढ़ाई कभी ठ क नह ं हो सकती। सरकार और ाइवेट कूल म ट चर का एक सा ह ब र ु ा हाल है । आज द ल के कूल – कूल नह ं बि क टाचार के े नंग सटर क तरह चल रहे ह। ट चर (अ यापक) लास म आते नह , ं जो आते ह वो पढ़ाते नह । ं बहुत से ट चर पढ़ा सकते नह ं य क उ ह पढ़ाना आता नह । ं पर ा म ट चर टूड स को नक़ल ख द करवाते ह। और लास म पढ़ाने क बजाय ट चर ब च को ाइवेट य श न पढ़ने के लए कहते ह जो एक अपराध ह नह ं बि क एक समािजक ब र ु ाई भी है । अगर टूड स ने ाइवेट य श न ह पढ़नी है तो कूल ट चर को कस बात के पैसे मल रहे ह? यह ट चर का टाचार नह ं तो और या है ? जो ट चर टूड स को नक़ल करके पास करवाते ह वह चोर नह ं तो और या है ? बहुत से कूल ट चर का तो इतना ब र ु ा हाल है क उ ह कुछ सखाया भी नह ं जा सकता। ऐसे लगता है क वे पाषाण य ग (Stone Age) से सीधे आधु नक य ग (modern world) म आ गए ह। उनको यह भी पता नह ं है क कूल म पा य म (syllabus) और कताब इतनी प र ु ानी और दशाह न ह क वह व याथ को नौकर लेने म काम नह ं आएंगे । हालाँ क सरकार कूल ट चर के श ण पर करोड़ पया खच करती है , ले कन यह सब सरकार पैसे क बबाद है । ऐसा समझ ल िजए क एक गधे को गीत गाना तो सखाया जा सकता है , ले कन एक कूल ट चर को आधु नक श ा नह ं द जा सकती। कृपया इस गधे वाल बात का कोई ग त मतलब न नका लएगा, यह सफ एक उदहारण है । बहुत से सरकार कूल ट चर को पता है क उनके कूल क पढ़ाई और माहौल ब कुल ख़राब है । ले कन वे इतने बेईमान ह क वे अपनी नौकर के पैसे तो सरकार से लेते ह पर तु अपने ब च को ाइवेट कूल म पढ़ाते ह – हालाँ क ाइवेट कूल क हालत भी ख़राब है । Education in Delhi Schools: Rhetoric vs. Reality. Research Report by Rakesh Raman. June 2018. Page 26 of 52