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े े के अवसर मतधांतरित ुस्लिमों को नहीं मिल सकते

के पहलदे सदे ही राष्ट्रीय बदेचैनी का त्वरय रहा है । मिशनरी असपताल , स्ूल और तमाम सुत्वधाएं सदे्वाएं िदे्र गरीबों का मतांतरण करातदे हैं । तमिलनाडु , केरल , तदेलंगाना और झारखंड आदि कई राजयों में मतांतरण जारी है ।
महातमा गांधी नदे ्वर्ष 1936 में हरिजन में लिखा था , ‘ आप पुरस्ार के रूप में चाहतदे हैं कि आपके मरीज ईसाई बन जाएं ।’ डा . आंबदे््र नदे भी कहा था , ‘ गांधी जी के तर्क सदे ्वह सहमत हैं , लदेत्न उनहें ईसाई पंथ प्रचारकों सदे दो टूक शबिों में कह िदेना चाहिए कि अपना काम रोक दो ।’ उनहोंनदे वलातिमीर के ईसाई होनदे और एक साथ भारी भीड़ के मतांतरण का उदाहरण िदेतदे हुए कहा , ‘ इतिहास ग्वाह है कि धोखाधड़ी के कारण धर्म परर्वतमान हुए हैं ।’ अफ्ी्ी आर्कबिशप ्डेसमंड टूटू नदे कहा था , ‘ जब मिशनरी अफ्ी्ा आए तब उनके पास बाइबल थी और हमारदे पास धरती । मिशनरी नदे कहा हम सब प्रार्थना करें । हमनदे प्रार्थना की । आंखें खोलीं तो पाया कि हमारदे पास बाइबल थी और भूमि उनके कब्जे में ।’
मतांतरित वयशकत की िदेश के प्रति कोई आसथा नहीं होती । उसके आराधय भी बदल जातदे हैं । त्व््वत्वखयात लदेखक ्वी . एस . नायपाल नदे लिखा है , ‘ जिसका धर्म परर्वतमान होता है , उसका अपना अतीत नष्ट हो जाता है । नए त्व््वास के कारण उसके पू्वमाज बदल जातदे हैं । उसदे कहना पड़ता है कि हमारदे पू्वमाजों की संस्कृति अशसतत्व में नहीं है और न ही कोई मायनदे रखती है ।’ आजादी के बाद चार-पांच साल की अ्वतध में मधय प्रिदेश की कांग्रदेसी सरकार भी मतांतरण
सदे परदेशान रही । उस दौर में मुखयमंत्ी रहदे रत्वशंकर शुकल नदे नयायमूर्ति भ्वानी शंकर नियोगी की अधयक्ता में जांच कमदेटी बनाई । समिति नदे 14 जिलों के लगभग 12,000 लोगों के बयान लिए । ईसाई संसथाओं को भी अपना पक् रखनदे का अ्वसर मिला । नियोगी समिति नदे मतांतरण के लक्य को लदे्र भारत आए त्विदेशी तत्वों को िदेश सदे बाहर करनदे की सिफारिश की । उच्च नयायालय के सदे्वातन्वृति नयायमूर्ति एमएल रेंगदे के नदेतृत्व ्वाली जांच समिति नदे ईसाई मतांतरण को ही दंगों का कारण बताया । ्वदेणुगोपाल आयोग नदे यह ्कृतय रोकनदे के लिए नए कानून की सिफारिश की । ओडिशा में सतरिय ईसाई पंथ प्रचारक ग्राहम सटेंस और उनके दो बच्चों को जलाकर मारनदे की जांच करनदे ्वालदे ्वाध्वा आयोग नदे भी ईसाई मतांतरण को तचतनित किया ।
2020 में मोदी सरकार नदे सखती दिखाई और चार बडडे ईसाई संग्ठनों के अनुमति पत् ए्वं त्विदेशी अनुदान त्वतनयमन अधिनियम संबंधी प्रत्वधान निरसत कर दिए । अधिनियम के संशोधन में सभी एनजीओ को 20 प्रतिशत सदे अधिक प्रशासनिक वयय न करनदे के तनिदेश हैं । इससदे पू्वमा एनजीओ त्विदेशी सहायता का 50 प्रतिशत हिससा प्रशासनिक खातदे में दिखातदे थदे , मगर इस राशि का उपयोग मतांतरण के लिए होता रहा । त्विदेशी अनुदान को किसी अनय संग्ठन को हसतांतरिण पर भी रोक लगाई थी । प्रत्येक दृष्टि सदे प्रशंसनीय इस कानूनी संशोधन का भी त्वरोध हुआ । तृणमूल कांग्रदेस नदे अधिनियम का त्वरोध किया था । कांग्रदेस के
अधीर रंजन चौधरी नदे इसदे त्वपक् की आ्वाज दबानदे की कोशिश कहा था ।
धर्म प्रचार का अधिकार खतरनाक है । इसका सदुपयोग त्वरल है और फायिदे के लिए दुरुपयोग आसान । धर्म उपभोकता ्वसतु नहीं है । उपभोकता ्वसतुओं का प्रचार होता है । धर्म साधना के तल पर वयशकतगत है और सामूहिक सतर पर राष्ट्रजी्वन की आचार संहिता । ईसाई और इसलाम सहित सभी पंथ , मत और मजहब धर्म नहीं हैं । ्वदे पंथ / रिलीजन हैं । प्रत्येक पंथ और रिलीजन का कोई न कोई पैगंबर या िदे्विूत होता है ।
सनातन धर्म में ऐसा नहीं है । संत्वधान सभा के अधिकांश सदसय धर्म प्रचार के अधिकार के त्वरुद्ध थदे । सभा में तजममुल हुसैन नदे कहा था , ‘ मैं आपसदे अपनदे तरीके सदे मुशकत के लिए कयों कहूं ? आप भी मुझदे ऐसा कयों कहें ? आखिरकार धर्म प्रचार की आवश्यकता कया है ?’ लोकनाथ मिश्र नदे धर्म प्रचार को गुलामी का दसता्वदेज बताया था । के . एम . मुंशी नदे कहा , ‘ भारतीय ईसाई समुदाय नदे इस शबि के रखनदे पर जोर दिया । परिणाम कुछ भी हो । हमनदे जो समझौतदे किए हैं । हमें उनहें मानना चाहिए ।’ इसका अर्थ यही है कि भारतीय नदेतृत्व नदे अंग्रदेजी सतिा सदे धर्म प्रचार के अधिकार को संत्वधान में जोड़नदे का समझौता किया था ? मतांतरित अनुसूचित जातियों , दलितों को अनुसूचित जाति की श्रदेणी में नहीं रखा जा सकता । मतांतरित दलितों को अनुसूचित जाति का होनदे के आधार पर आरक्ण िदेना भारतीय समाज के साथ कदम मिलाकर चलनदे ्वालदे मूल दलितों को क्ति पहुंचाना है । दलितों नदे तमाम कष्ट सहदे हैं । ्वदे राष्ट्रजी्वन के प्रत्येक क्देत् में सतरिय हैं । उनके हिस्से के अ्वसर मतांतरित ईसाइयों ए्वं मुशसलमों को नहीं दिए जा सकतदे । शीर्ष अदालत नदे इस त्वचार को खारिज कर दिया है । मतांतरण के ्कृतय में जुटी मिशनरियों को गरीबों , अनुसूचित जातियों को मतांतरण का चारा फेंकनदे की प्र्वृतति रोकनी होगी । उच्चतम नयायालय का ताजा निर्णय स्वागतयोगय है ।
( साभार )
fnlacj 2024 47