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उपचुनाव में त्िर भाजपा के करीब आए दलित मतदाता
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नुसूचित जाति के मतदाताओं का भाजपा सदे मोहभंग होनदे का जो त्वमर्श लोकसभा चुना्व परिणाम के साथ खडा हुआ , ्वह कुछ माह बाद ही हुए नौ त्वधानसभा सीटों के उपचुना्व में पलट गया । नौ में सदे सात सीटें जीतनदे ्वाली भाजपा को बदेशक यह दा्वा करनदे में संकोच नहीं है कि दलित फिर पूरी तरह उसकी तरफ लौट आया है , लदेत्न ्वास्तविकता में आंकड़े इस जाति ्वगमा की उलझन की कहानी भी फुसफुसा रहदे हैं ।
नौ सीटों पर हुए चुना्वों के परिणामों नदे एक बात साबित कर दी कि दलित लोकसभा चुना्व सदे उलट पूरी तरह सदे सपा के पालदे में नहीं गया है । दलित बंटडे हुए दिखाई दिए । कुछ प्रतिशत माया्वती को जरूर मिला लदेत्न बडी संखया में ्वोट बीजदेपी के पालदे में जाता हुआ दिखा । कांग्रदेस के इस चुना्व में न उतरनदे का नुकसान भी इंडिया ग्ठबंधन को हुआ । पारंपरिक दलित ्वोटरों नदे साइकिल के सिंबल का दबानदे सदे परहदेज किया ।
अनुसूचित जाति की बहुलता ्वाली सीटें संकेत िदे रही हैं कि उतिर प्रिदेश का दलित फिर चिंतन के चौराहदे पर है । जो दलित लोकसभा
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