Dec 2024_DA | Page 30

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अंतर्गत भिन्न-भिन्न समूह में मान्व समूह को िदेखा जा सकता है । समूह की यह व्यवसथा पदानुरितम् है , जो मान्व को श्रदेष््ठता और निम्नता के आधार पर त्वभाजित करती है । पदानुरिम की यह व्यवसथा कथित शुद्धता या अशुद्धता पर आधारित होती है , जिससदे पदानुरिम के शीर्ष और निम्न सतर पर भदेिभा्व को िदेखा जा सकता है । भदेिभा्व का यही मनोभा्व ए्वं व्यवसथा मान्व समाज की समसयाओं का मूल कारण है ।
सामाजिक समरसता मान्व समाज में उस सामाजिक संरचना के निर्माण को प्राथमिकता िदेता है , जिस सामाजिक संरचना सदे समाज में शसथरता लाई जा सकती है और जो मान्व समाज की गतिशीलता और निरंतरता को बनाए रखती है । किसी भी लोकतांतत्् व्यवसथा ्वालदे मान्व समाज की सफलता का आधार सामाजिक गतिशीलता सदे निर्धारित होता हैI गतिशीलता की शसथति में मान्व अपनी आवश्यकता के अनुरूप अपनी शसथतियों- पररशसथतियों में बदला्व करनदे में सक्म होता है । इससदे समाज समृद्ध होता है , निरंतरता ए्वं लयबद्धता बनी रहती है । इसके त्वपरीत समाज मं मान्व की भूमिका और सामाजिक शसथति में बदला्व की
प्रकिया न होनदे की शसथति में समाज का समग्र त्व्ास बाधित होता है । इससदे जटिल समसयाओं का जनम होता है । इसीलिए सामाजिक समरसता के माधयम सदे समाज में उन कारकों ए्वं कारणों को सथातपत किया जा सकता है , जो समाज में ऊर्ध्वाधर और क्ैतिज अर्थात दोनों प्रकार की सामाजिक गतिशीलता को सथातपत करतदे हुए सामाजिक निरंतरता ए्वं लयबद्धता को सथातपत करनदे में अपना योगदान िदेतदे है । समाज में ऊर्ध्वाधर गतिशीलता का अर्थ पादनुरिम में होनदे ्वालदे परर्वतमान सदे हैं , जहां मान्व उच्च या निम्न शसथति को प्रापत कर सकता है , जबकि क्ैतिज गतिशीलता सदे आशय मान्व की एक ही क्देत् , क्देत् या सामाजिक सतर पर एक शसथति सदे दूसरी शसथति में जानदे की क्मता को संदर्भित करती है । क्ैतिज गतिशीलता की शसथति में मान्व की सामाजिक शसथति में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं आता है । लदेत्न सामाजिक गतिशीलता में यह प्रतरिया समाज में संरचनातम् परर्वतमान लाती है , जो समाज में शसथरता बनाए रखनदे के लिए महत्वपूर्ण है ।
सामाजिक गतिशीलता को प्रभात्वत करनदे ्वालदे कारकों का वर्गीकरण आर्थिक , सामाजिक , शैतक्् और मनो्वैज्ातन् के आधार पर किया
जाता है । सामाजिक समरसता इन सभी कारकों में आवश्यक सुधार को प्राथमिकता िदेता है कयोंकि समाज के सभी सदसयों की उनकी आवश्यकता के अनुरूप संसाधन , अ्वसर , आर्थिक , सामाजिक ए्वं त्व्ास की प्रतरिया में सहभागिता होती है , तो सामाजिक गतिशीलता के साथ ही निरतंरता ए्वं लयबद्धता को बढ़ा्वा मिलता है , जिससदे मान्व के सामाजिक-आर्थिक शसथतियों में बदला्व सुनिश्चत होता है और समपूणमा समाज का समग्र त्व्ास होता है । समाज में निरंतरता ए्वं लयबद्धता के लिए सामाजिक समरसता का उपयोग ्वतमामान समय में अति आवश्यक हो गया है और इसके माधयम सदे ही मान्व समाज की जटिल सदे जटिल शसथतियों ए्वं समसया का समाधान बहुत ही सुगमता सदे किया जा सकता है I
सामाजिक समरसता अभियान का वैश्िक अनुमोदन
्वैश्विक मान्व समाज की त्वतभन्न संस्कृतियों की संरचना पर धयान दिया जाए तो भारतीय मान्व समाज ए्वं भारतीय सांस्कृति सिर्फ भारत में ही नहीं , अपितु पूरदे त्व््व में चर्चित है । भारतीय मान्व समाज में मौजूद त्वतभन्न संस्कृतियों ,
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