Dec 2024_DA | Page 28

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निर्धारित होती है तो ्वह प्रभा्वी रूप सदे समाज में कार्य करनदे में त्वफल हो जाती है । ्वगमा्वाद , जातत्वाद ए्वं प्रजातत्वाद को हथियार के रूप में प्रयोग करके एक ऐसी अशसथर राजनीतिक व्यवसथा का जनम होता है , जो संकट के दबा्वों के प्रति सं्वदेिनशील होती हैं और अव्यवसथा की शसथति में त्वतभन्न रूपों में खंडित हो जाती हैं । ऐसी त्वफलताओं के प्रभा्व सदे समाज में सामानय सहमति का अभा्व होता है , जिससदे समाज के त्वतभन्न वर्गों-समूहों के बीच तना्व की शसथति बनती है , जो राजनीतिक ्वैधता की समसया को जनम िदेती है ।
सामाजिक समरसता के माधयम सदे राजनीतिक क्देत् में ्वगमा्वाद , प्रजातत्वाद ए्वं जातत्वाद के कारण उतपन्न होनदे ्वालदे असंतुलन ए्वं जटिल समसयाओं का निदान किया जा सकता है । राजनीतिक रूप सदे एक समृद्ध समाज के निर्माण के लिए समाज के सदसयों में सहिष्णुता , स्वसथ मानसिकता , सामाजिक- आर्थिक समानता , आचार संहिता , सांस्कृतिक स्वमाग्राह्यता आदि की आवश्यकता होती है । इस दिशा में सामाजिक समरसता की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है । आशय यह है कि पूंजी्वादी लोकतंत् का सबसदे बड़ा शत्ु जातत्वाद , प्रजातत्वाद ए्वं ्वगमा्वाद है और इसका राजनीति में तनरदेध होना आवश्यक है । इसका एकमात् उपाय सामाजिक समरसता है । इसीलिए समाज के अंदर नकारातम् राजनीतिक परमपराओं को समापत करनदे के साथ ही सामाजिक समरसता जड़ता , ह्ठधर्मिता , अतार्किक ए्वं अ्वैज्ातन् सिद्धांतों पर आधारित चिंतन , कुप्रथाओं , रूढ़ियों , अन्धविश्वास , आधारहीन आसथा-अनासथा , जाति-प्रजाति-्वगमा आधारित अतार्किक चिंतन को समापत करके मान्व में स्वसथ मानसिकता को जनम िदेती है । इससदे राजनीतिक रूप सदे समाज में उतपन्न होनदे ्वाली अनिश्चतता , असंतुलन ए्वं अप्रा्कृतिक आधारहीन चिंतन की प्रतरिया ए्वं सामाजिक दृष्टिकोण को प्रभात्वत करनदे ्वालदे नकारातम् कारकों को दूर करनदे में मदद मिलती है और समाज में बंधुत्व ए्वं सहयोग की भा्वना पुनसथामातपत होती हैI
वैश्िक समाज में जाति , प्रजाति एवं वर्गवाद की घोर निंदा एवं सामाजिक समरसता अभियान का सिागत होना चाहिए
्वैश्विक समाज का का अर्थ मान्व के उस समूह सदे होता है , जहां एक सदे अधिक समान त्वचारधारा के मान्व आपस में मिलकर साथ रहतदे हुए मान्वीय तरियाकलाप करतदे हैं । मान्व के तरियाकलापों में उसका आचरण , जी्वन तन्वामाह हदेतु किए जानदे ्वालदे कर्म ए्वं सामाजिक- वयशकतगत सुरक्ा हदेतु की जानदे ्वाली
समसत गततत्वतधयों को रखा जा सकता है । समाज सदे जुड़ा मान्व एक-दूसरदे मान्वों के प्रति परसपर स्नेह , सहृदयता ए्वं सहयोग का भा्व रखतदे हुए अपनी एक त्वतशष्ट या अलग पहचान सुनिश्चत करता है । प्रत्येक मान्व अपनी नैसर्गिक ए्वं अर्जित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास करता है , जिसमें समाज की भी सहभागिता होती है । यहां इस तरय को धयान में रखनदे की आवश्यक है कि त्वपरीत या असमान त्वचार धारा के लोगों सदे एक सुसंगत्ठत समाज का निर्माण नहीं हो सकता है । इसीलिए एक सुसंगत्ठत समाज की संरचना के लिए समान त्वचार या त्वचारधारा का होना अति-
आवश्यक है । ऐसी शसथति में मान्व और
समाज , दोनों ही एक-दूसरदे सदे एक
निश्चत समबनध ए्वं व्यवहार
सदे जुडडे होतदे हैं , जिससदे मान्व और समाज के त्व्ास की दिशा और दशा निर्धारित होती है । मान्व समाज में मान्व के सामाजिक समबनध पारसपरिक चदेतना पर निर्मित होतदे हैं और यही पारसपरिक चदेतना ऐसी स्वमामानय संस्कृति को जनम िदेती है , जिसके कारण एक स्वसथ , सफल ए्वं सुवय्वशसथत मान्व समाज का निर्माण करती है । वय्वशसथत ए्वं वयापक स्वरूप ्वालदे सामाजिक समबनध ही समाज के ढांचदे के आधार भी होता है ।
भारतीय जी्वन पद्धति ( Bhartian Life Style ) की अ्वधारणा में मान्व समाज सनातन
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